नगर निगम में लाखों का घोटाला,ट्रेड फेयर के नाम पर लगाया जा रहा है चूना
दो लाख वर्ग फीट से ज्यादा का उपयोग,अनुमति सिर्फ डेढ हजार वर्ग फीट की
रतलाम,29 फरवरी (इ खबरटुडे)। अम्बेडकर ग्राउण्ड में आयोजित किए जा रहे ट्रेड फेयर में नगर निगम को करीब 28 लाख रु. का चूना लगाया जा रहा है। नगर निगम को मिलने वाली यह आय कतिपय अधिकारियों और मेला आयोजकों की जेब में जा रही है।
अधिकारिक जानकारी के अनुसार,नगर निगम परिषद द्वारा आम्बेडकर मैदान के व्यावसायिक उपयोग हेतु दो रु. प्रति वर्गफीट प्रति दिन की दर निर्धारित की गई है। आम्बेडकर मैदान लगभग सात लाख वर्गफीट का है। निगम द्वारा निर्धारित दर के मान से इस मैदान का प्रतिदिन का किराया चौदह लाख रुपए होता है।धार्मिक व निजी विवाह समारोह इत्यादि के लिए इस मैदान के किराये की दर अत्यन्त नगण्य है,परन्तु व्यावसायिक उपयोग की दरें निगम परिषद में पारित प्रस्ताव के आधार पर निर्धारित है।
वर्तमान में अम्बेडकर मैदान में एक निजी संस्था द्वारा ट्रेड फेयर आयोजित किया जा रहा है। उक्त ट्रेड फेयर में मेला आयोजक द्वारा विभिन्न व्यवसायियों को निश्चित शुल्क पर दुकानें आवंटित की गई है। साथ ही एक बडे डोम लगाकर उनके भीतर भी विभिन्न सामग्रियों की दुकानें लगाई गई है। इस तरह इस ट्रेड फेयर द्वारा मैदान की लगभग पूरी ही भूमि का उपयोग किया जा रहा है। इसे कम भी माना जाए,तो ट्रेड फेयर में लगाई गई दुकानों व डोम में ही करीब दो लाख वर्ग फीट भूमि का उपयोग किया जा रहा है। नगर निगम द्वारा निर्धारित शुल्क के मुताबिक मेला आयोजक को प्रतिदिन चार लाख रु.किराया निगम के खजाने में जमा करवाया जाना चाहिए। यह मेला सात दिनों की अवधि का है। इस लिहाज से नगर निगम को मैदान की भूमि के किराये के रुप में कम से कम 28 लाख रु.की आय प्राप्त होना चाहिए।
लेकिन वस्तुस्थिति सर्वथा भिन्न है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मेला आयोजक द्वारा नगर निगम से मात्र दो हजार वर्ग फीट भूमि उपयोग की अनुमति ली गई है और दो हजार वर्ग फीट भूमि के मान से प्रतिदिन मात्र चार हजार रु.किराया नगर निगम को दिया जा रहा है।
इस तरह नगर निगम को जहां सात दिनों के लिए कुल अ_ाईस लाख रु. किराया मिलना चाहिए,जबकि मेला आयोजक द्वारा ली गई अनुमति के हिसाब से निगम को मात्र 28 हजार रु. की राशि किराये के रुप में प्राप्त हो रही है। नगर निगम को हो रही लाखों रुपए की हानि से मेला आयोजक और निगम के कतिपय नेता व अधिकारी लाभान्वित हो रहे है।
सूचना के अधिकार कानून की धज्जियां
नगर निगम के अधिकारी कर्मचारियों के लिए देश में लागू सूचना के अधिकार कानून का कोई महत्व नहीं है। अम्बेडकर मैदान को फर्जी तरीके से किराये पर देने का यह पहला मामला नहीं है। कुछ समय पूर्व भी इसी तरह के व्यावसायिक आयोजन के लिए यह मैदान किराये पर दिया गया था। इस मैदान के किराये से निगम को हुई आय तथा किस आयोजन के लिए कितनी भूमि किराये पर दी गई,इस सम्बन्ध में नगर निगम में सूचना के अधिकार के तहत लगाए गए अनेक आवेदनों को नगर निगम द्वारा गायब कर दिया गया है। निगम के अधिकारी जानते है कि यदि सूचना के अधिकार के तहत प्रस्तुत आवेदन पर जानकारी दे दी गई तो निगम में चल रहे इस बडे घोटालें का पर्दाफाश हो जाएगा।