देशहित को ध्यान में रखकर करें पत्रकारिता
नारद जयन्ती समारोह में आर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर
रतलाम,4 मई (इ खबरटुडे)। आरएसएस का मुखपत्र कहे जाने वाले अंग्रेजी साप्ताहिक आर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने आज यहां कहा कि यदि प्रिन्ट मीडीया अपनी विश्वसनीयता कायम रखेगी तो प्रिन्ट मीडीया को कोई चुनौती नहीं है। कतिपय अखबार,टीवी चैनलों का अनुसरण करने लगे है और इससे उनकी विश्वसनीयता प्रभावित हुई है। यही कारण है कि सोशल मीडीया का महत्व बढा है। पत्रकारों को आदि पत्रकार नारद की परंपरा को आगे बढाना होगा और देश हित को ध्यान में रखकर पत्रकारिता करना होगी।
श्री केतकर आज यहां रतलाम प्रेस क्लब द्वारा नारद जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। वर्तमान समय की पत्रकारिता पर टिप्पणी करते हुए उन्होने कहा कि प्रिन्ट मीडीया,समाज को शिक्षित और जागरुक करने के साथ साथ आगे ले जाने का काम करती है,लेकिन समय के साथ साथ पत्रकारिता के इस कार्य में कुछ नकारात्मकता आ गई है। समाचार पत्रों में नकारात्मक खबरों की बहुलता हो गई है। पत्रकारिता के इस कर्म को नारद जी के भक्ति सूत्रों के आधार पर किया जाना चाहिए।
पत्रकारिता के लिए नारद जी की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए श्री केतकर ने कहा कि आदि पत्रकार नारद जी के भक्ति सूत्रों में चार प्रमुख सूत्र ऐसे है,जो सीधे सीधे पत्रकारिता का आदर्श है। उन्होने नारद के भक्ति सूत्रों के आधार पर पत्रकारिता की व्याख्या करते हुए कहा कि जहां मतों की अनेकता होती है,वहीं अच्छा सूचनातंत्र होता है। यदि सूचनाओं में वास्तविकता का अभाव हो तो वह घातक होती है। इन सूत्रों को उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करते हुए श्री केतकर ने कहा कि वर्तमान युग में टीवी चैनलों की तर्ज पर समाचारों को अतिरंजकतापूर्ण बनाया जाने लगा है। कई बार समाचारों में वास्तविकता नदारद होती है। एक समाचार का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि दिल्ली के एक समाचारपत्र ने इस आशय की खबर प्रकाशित की,कि आरएसएस का मुख्यालय नागपुर से हटाकर दिल्ली में लाया जा रहा है। यह समाचार पूरी तरह निराधार था। इस तरह के समाचारों से प्रिन्ट मीडीया की विश्वसनीयता भंग होती है।
सोशल मीडीया का महत्व बढा
श्री केतकर ने कहा कि स्वतंत्रता के पूर्व से लेकर आपातकाल लगने तक पत्रकारिता में मूल्य थे,लेकिन आपातकाल के बाद पत्रकारिता में कारपोरेट जगत का दखल बढने लगा और पत्रकारिता के मूल्य समाप्त होने लगे। टीवी के न्यूज चैनल आए और धीरे धीरे न्यूज चैनल्स को इन्टरटेनमेन्ट चैनल की तरह प्रस्तुत किया जाने लगा। इसकी वजह से इनकी विश्वसनीयता समाप्त होने लगी। कुछ अखबारों ने खासतौर पर अंग्रेजी समाचार पत्रों ने इन न्यूज चैनलों का अनुसरण करना शुरु कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि प्रिन्ट मीडीया की विश्वसनीयता भी गिरने लगी।
श्री केतकर ने कहा कि सदा स्पाट रिपोर्टिंग करने वाले नारद के देश के पत्रकार स्पाट रिपोर्टिंग छोडकर डेस्क रिपोर्टिंग करने लगे। इन सब बातों का सम्मिलित परिणाम यह हुआ कि सोशल मीडीया का महत्व बढने लगा। एक सौ चालीस शब्दों वाला ट्विटर पूरी दुनिया को हिला देता है। सूचना के ोत अमर्यादित हो गए है। यदि प्रिन्ट मीडीया इलेक्ट्रानिक मीडीया का अनुसरण करेगा तो उसका अस्तित्व खतरे में पड सकता है। लेकिन यदि प्रिन्ट मीडीया विश्वसनीयता को बरकरार रखे तो फिर प्रिन्ट मीडीया को कोई चुनौती नहीं है।
व्यक्ति नही परंपरा है नारद
श्री केतकर ने कहा कि हमारी धार्मिक कथाओं में हर कहीं नारद का उल्लेख मिलता है। महर्षि वाल्मिकी से रामायण लिखाने वाले भी नारद थे और महामुनि व्यास से महाभारत लिखवाने वाले भी नारद थे। इन तथ्यों से लगता है कि नारद किसी एक व्यक्ति का नाम ना होकर नारद एक परंपरा का नाम है। इस तरह हर पत्रकार नारद है। पत्रकार नारद का प्रतिनिधित्व करते है। सन १८१२-१३ में जब देश का पहला समाचार पत्र उदन्त मात्र्तण्ड भारत प्रकाशित हुआ था,उसमें भी नारद जी का चित्र छापा गया था और वह अंक नारद को ही समर्पित था। इसलिए पत्रकारों के लिए नारद के बताए हुए सूत्र महत्वपूर्ण है। नारद के सूत्र कहते है कि समाचारों के प्रेषण में समाज हित और देश हित की दृष्टि होना चाहिए। समाचार के प्रस्तुतिकरण में प्रत्येक पत्रकार को देश हित और समाज हित का ध्यान रखना चाहिए। आखिरकार हम देश को गौरवशाली स्थान पर ले जाना चाहते है,तो यह आवश्यक है कि समाज को दिशा देने वाले पत्रकार अपनी उच्चादर्शों की नारद परंपरा का पालन करे। श्री केतकर ने कहा कि ३ मई को वल्र्ड प्रेस डे मनाया गया। हमें अपने देश के लिए अपनी संस्कृति और समाज के आधार पर अपने मानदण्ड तय करना होंगे। पत्रकारिता के लिए नारद ही सर्वोत्तम मानदण्ड है।
आरएसएस का मुखपत्र नहीं है आर्गेनाइजर
अपने भाषण के दौरान श्री केतकर ने स्पष्ट किया कि आर्गेनाइजर आरएसएस का मुखपत्र नहीं है। उन्होने कहा कि अधिकांश समाचार माध्यम आर्गेनाइजर का उल्लेख आरएसएस के मुखपत्र के रुप में करते है,जबकि यह सही नहीं है। उन्होने कहा कि आर्गेनाइजर आरएसएस के विचारों से प्रेरणा लेकर निकाला जाता है,लेकिन यह मुखपत्र नहीं हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ आदि पत्रकार नारद जी के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। प्रारंभ में प्रेसक्लब सदस्यों ने मुख्यअतिथि श्री केतकर का पुष्पहार पहनाकर उनका स्वागत किया। अतिथि परिचय डॉ.रत्नदीप निगम ने दिया,जबकि विषय प्रवर्तन दिलीप पाटनी ने किया। कार्यक्रम का संचालन राजेश मूणत और आभार प्रदर्शन हरीश शर्मा ने किया। इस मौके पर संपादक श्री केतकर का प्रेसक्लब की ओर से शाल श्रीफल भेंट कर उनका अभिनन्दन किया गया। कार्यक्रम में बडी संख्या में पत्रकारगण उपस्थित थे।