दिल्ली मुंबई एटलेन प्रोजेक्ट में धामनोद के भूमि अधिग्रहण में भारी गडबडियां,पटवारी शीट में हेरफेर और अनियमितता को लेकर ग्रामीणों ने दिया ज्ञापन
रतलाम,1 सितंबर (इ खबरटुडे)। शहर के नजदीक से गुजरने वाले नई दिल्ली मुंबई एटलेन प्रोजेक्ट के भू अर्जन में कई सारी विसंगतियां और अनियमितताएं है। भू अर्जन से जुडे शासकीय कर्मचारियों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को गलत जानकारियां देकर गुमराह किया जा रहा है और केन्द्र सरकार के महत्वाकांक्षी टाइम लाइन प्रोजेक्ट में रोडे अटकाए जा रहे है। ग्राम धामनोद की पटवारी शीट में हेरफेर किया गया है,जिसकी वजह से किसी किसान का सर्वे नम्बर गायब हो गया है,तो किसी का रकबा कम कर दिया गया है। किसी किसान की जमीन अधिग्रहित कर ली गई है तो उसे मुआवजा ही नहीं मिल रहा है।
ये सारे आरोप ग्राम धामनोद के किसानों द्वारा कलेक्टर को सम्बोधित एक ज्ञापन में लगाए गए हैं। यह ज्ञापन धामनोद के किसानों ने आज एडीएम जमुना भिडे को सौंपा गया। कलेक्टर को सम्बोधित इस ज्ञापन में किसानों ने बताया कि ग्राम धामनोद की पटवारी हलका नम्बर 4 की वर्तमान पटवारी शीट में राजस्व कर्मचारियों द्वारा भारी हेरफेर कर दिया गया है। इस हेरफेर की वजह से भू अर्जन में कई सारी विसंगतियां उत्पन्न हो गई है।
ज्ञापन में किसानों ने बताया कि ग्राम धामनोद की कृषि भूमि वर्तमान में बेहद कीमती होकर 60 से 70 लाख रु.बीघा के मूल्य की है। लेकिन किसानों को जो मुआवजा नोटिस दिया गया है,उसमें जमीन की कीमत बहद कम आंकी गई है।
पटवारी शीट में गडबडी के सम्बन्ध में ग्रामीणों ने ज्ञापन में बताया है कि एटलेन प्रोजेक्ट में कई सारी ऐसी घटनाएं सामने आई है,जिनमें एटलेन मे जा रही भूमियों को अधिग्रहित नहीं किया गया है,और एटलेन प्रोजेक्ट से दूर वाली जमीनों को अधिग्रहण कर लिया गया है। यही नहीं कई जमीनों के रकबे में भारी हेरफेर कर दिया गया है। कई भूमियों के सर्वे नम्बर ही गायब कर दिए गए है।
ज्ञापन में ग्रामीणों ने हलका पटवारी मनोहर राठोड पर आरोप लगाते हुए कहा है कि पटवारी मनोहर राठौड पिछले आठ वर्षों से धामनोद में पदस्थ है। ग्राम धामनोद का सन 1956-57 का राजस्व नक्शा तहसील कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने से पटवारी वर्तमान शीट में मनमर्जी से हेरफेर करता रहा है।
कई सर्वे नम्बरों मे गडबडी
ग्रामीणों ने अपने ज्ञापन के साथ भू अर्जन के लिए गठित सत्यापन दल द्वारा किए गए सत्यापन की जानकारी देते हुए बताया है कि सर्वे न.1440-1-2 और सर्वे न.1443-1-2 ऐसे सर्वे नम्बर है जो मौके से हजार फीट दूर है,लेकिन इनका अधिग्रहण कर लिया गया है। इसी प्रकार सर्वे न.1442 सरकारी सर्वे न. है,जो कि मौके पर स्थित नहीं है। सर्वे न.1442 एटलेन प्लान में नहीं है,यह सरकारी होकर मौके से दूर है,लेकिन इसे प्लान में दर्शाया गया था। इतना ही नहीं इस सर्वे न. को प्लान में तीन जगह अलग अलग ढंग से दर्शाया गया है। इसी नम्बर को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि पटवारी शीट में भारी हेरफेर की गई है। ज्ञापन में इसी प्रकार की कई कई अन्य गडबडियों को भी विस्तार से बताया गया है।
जांच और कार्यवाही की मांग
ग्रामीणों ने ज्ञापन देकर मांग की है कि भू अर्जन में की जा रही इन तमाम गडबडियों की उच्चस्तरीय जांच करवाते हुए पटवारी शीट में हेरफेर करने वाले पटवारी मनोहर राठौड तथा अन्य जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों के विरुध्द कडी कार्यवाही की जाए और किसानों को उनकी भूमि अर्जन का बाजार भाव के हिसाब से मुआवजा दिया जाए।