दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस हाईवे के सर्वे पर ग्रामीणों को आपत्ति,निजी विण्ड कंपनी को फायदा पंहुचाने का आरोप
रतलाम,31जुलाई (इ खबरटुडे)। केन्द्र सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई एट लेन एक्सप्रेस हाईवे में स्थानीय स्तर पर आपत्तियां खडी होने लगी है। धामनोद सैलाना के मध्य से गुजरने वाले एक्सप्रेस हाईवे का पूर्व में सर्वे हो जाने के बाद दोबारा से किए जा रहे सर्वे को लेकर क्षेत्र के लोगों में कई तरह की शंकाएं उत्पन्न हो गई है। धामनोद के किसानों ने आज जन सुनवाई में उपस्थित होकर अपनी शिकायत दर्ज कराई।
धामनोद के ग्रामीणों ने कलेक्टर के नाम दी अपनी शिकायत में कहा है कि गर्मियों के मौसम में धामनोद के साईं मन्दिर क्षेत्र में एक्सप्रेस हाईवे के लिए सर्वे किया गया था और इस सर्वे के निशान भी लगा दिए गए थे। लेकिन अभी करीब एक सप्ताह पहले नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट से जुडे कुछ लोग गांव में पंहुचे और उन्होने ग्रामीणों से कहा कि धामनोद चौपाटी क्षेत्र में हाईवे का सर्वे करना है,इसलिए किसान अपनी खडी फसल में सर्वे करवाएं। इस सर्वे के लिए सर्वे कंपनी के लोगों ने किसानों को धनराशि देने का प्रलोभन भी दिया। किसानों के विरोध के चलते खडी फसल में अब तक सर्वे नहीं हो सका है।
कलेक्टर की की गई अपनी शिकायत में धामनोद निवासियों ने कहा है कि पूर्व में जो सर्वे किया गया था,उसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं थी। पहले का सर्वे साईं मन्दिर क्षेत्र में हुआ था,इस क्षेत्र में सैकडों बीघा बंजर और नाकाबिल काश्त की सरकारी भूमि उपलब्ध है,जो कि सर्वे न.250/1/1 46.96 है.,सर्वे न. 315,19 है.,सर्वे न.10/18 13.85 हैक्टेयर इस तरह कुल 69.81 हैक्टेयर सरकारी बंजर भूमि यहां उपलब्घ है। यदि यहां से एक्सप्रेस हाईवे गुजरता है,तो इससे जहां सरकार को भूमि अधिग्रहण का मुआवजा नहीं देना पडेगा,वहीं करोडों की कृषि योग्य भूमि भी खराब नहीं होगी।
किसानों ने अपने ज्ञापन में आरोप लगाया है कि सर्वे कंपनी ने सरकारी जमीन को छोडकर कुछ निजी कंपनियों को लाभ पंहुचाने के लिए अब नया सर्वे करने की योजना बनाई है। ग्रामीणों का आरोप है कि पूर्व में जहां सर्वे किया गया था,वहां निजी कंपनी के विण्ड पावर प्लान्ट लगे हुए है,और यदि एक्सप्रेस हाई वे यहां से निकलता,तो इन विशालकाय पंखों को यहां से हटाना पडता। इसी वजह से निजी कंपनी को फायदा पंहुचाने के उद्देश्य से एक्सप्रेस हाईवे का मार्ग बदलने की कवायद की जा रही है।
नए सर्वे में किसानों की कृषियोग्य सिंचीत भूमि का उपयोग हाईवे के लिए किया जाना प्रस्तावित है। इससे जहां किसानों की लहलहाती खेती बरबाद हो जाएगी और उनके सामने बेरोजगारी का संकट खडा हो जाएगा वहीं शासन को भी करोडों रुपए का अतिरिक्त व्यय करना पडेगा। जबकि पूर्व के सर्वे में न तो उपजाउ भूमि खराब होती और ना ही शासन को अतिरिक्त व्यय होता।
अपने ज्ञापन में किसानों ने यह भी कहा है कि नए सर्वे के कारण एक्सप्रेस हाईवे अपने लक्ष्य से भटकता हुआ नजर आ रहा है। नए सर्वे में हाईवे जहां से गुजरेगा,वहां से रतलाम शहर मात्र आठ किमी दूर है और नामली का महू नीमच हाई वे मात्र छ: किमी की दूरी पर है। जबकि केन्द्रीय सडक़ मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में यह स्पष्ट कहा था कि इस एक्सप्रेस हाईवे को आदिवासी क्षेत्रों से निकाला जाएगा,ताकि वहां विकास हो सके,लेकिन इस नए सर्वे के कारण एक्सप्रेस हाईवे आदिवासी क्षेत्र से दूर होकर नगरीय क्षेत्र में आ रहा है। नए सर्वे का हाईवे धामनोद के नगरीय सीमा क्षेत्र के वार्ड क्र 2 से होकर जा रहा है।
ग्रामीणों ने कलेक्टर से मांग की है कि इस सर्वे को तुरंत रोका जाए और पूर्व में तय किए गए सर्वे के अनुसार ही सडक़ बनाई जाए।
नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट के प्रोजेक्ट डायरेक्टर केपीएस चौहान ने चर्चा के दौरान कहा कि पूर्व में किए गए सर्वे,खरमोर बर्ड्स सेंचुरी रास्ते में आने के कारण इसके स्थान पर नया सर्वे किया जा रहा है। नया सर्वे फिलहाल अत्यन्त प्राथमिक अवस्था में है,इसलिए इसके बारे में विस्तार से बताया नहीं जा सकता। श्री चौहान ने कहा कि ग्रामीणों में भ्रम की स्थिति बनाई जा रही है,जबकि सर्वे के पूरा होने तक कोई भी यह नहीं बता सकता कि एक्सप्रेस हाईवे कहां से गुजरेगा। उन्होने कहा कि सर्वे पूरा होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
अनुविभागीय अधिकारी रतलाम ग्रामीण सुश्री शिराली जैन ने बताया कि ग्राम धामनोद के निवासियों द्वारा एक्सप्रेस हाईवे के सर्वे को लेकर आपत्ति प्रस्तुत की गई है। इस मामले में तथ्यों का परीक्षण करवाया जा रहा है। परीक्षण के उपरान्त ही इस मामले में कुछ कहा जा सकेगा।