May 6, 2024

टेस्ट में पास हुई बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-4

भारत की जद में आया पाक-चीन

बालेश्वर 9 नवम्बर(इ खबरटुडे)। भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम रणनीतिक बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-4 का आज सफल प्रायोगिक परीक्षण किया। 4000 किलोमीटर तक की दूरी पर मौजूद लक्ष्य को भेद सकने वाली इस मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के तट पर स्थित एक परीक्षण रेंज से किया गया। इसके कामयाब टेस्ट से अब पाकिस्तान और चीन भारत की जद में होंगे। ये अग्नि-4 मिसाइल का पांचवां कामयाब टेस्ट था।

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सितांशुकर ने कहा कि लंबी दूरी (की मारक क्षमता) वाली मिसाइल अग्नि-4 का सफल परीक्षण डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (व्हीलर) आइलैंड के लॉन्च कॉम्पलेक्स से सुबह लगभग नौ बजकर 45 मिनट पर किया गया। सूत्रों ने कहा कि सशस्त्र बलों के शस्त्रागार में अग्नि-1,2,3 और पृथ्वी पहले से मौजूद हैं, जो कि इन्हें 3000 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी को अपनी जद में ला देती हैं। इनके जरिए देश को एक प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता मिली है।

20 मीटर लंबी और 17 टन भारी

प्रवक्ता ने कहा कि इस अभियान ने अपने सभी लक्ष्य पूरे किए। तट पर रडार स्टेशनों, टेलीम्रिटी और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल स्टेशनों द्वारा इसका निरीक्षण एवं पुष्टि की गई। उन्होंने कहा कि सतह से सतह तक मारने में सक्षम स्वदेशी मिसाइल अग्नि-4 में द्विचरणीय मिसाइल है। यह 20 मीटर लंबी और 17 टन भारी है। यह परीक्षण सेना की रणनीतिक बल कमान (एसएफसी) द्वारा किया गया।

मिसाइल में  आधुनिक एवं सुसंबद्ध वैमानिकी का इस्तेमाल हुआ

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अधिकारियों ने कहा कि सतह से सतह तक मार करने में सक्षम परिष्कृत मिसाइल में उच्चस्तरीय विश्वसनीयता के लिए आधुनिक एवं सुसंबद्ध वैमानिकी का इस्तेमाल हुआ है। प्रवक्ता ने ट्विटर पर कहा कि लक्षित स्थान पर तैनात किए गए पोतों ने अंतिम चरण का निरीक्षण किया। उन्होंने यह भी कहा कि आज के प्रक्षेपण कार्यों का नेतृत्व परियोजना निदेशक टेसी थॉमस ने किया। रक्षा सूत्रों ने कहा कि यह अग्नि-4 मिसाइल का पांचवां परीक्षण था। पिछला परीक्षण भी सेना के एसएफसी द्वारा किया गया था। दो दिसंबर 2014 को किया गया यह परीक्षण सफल रहा था।

इसमें विशेष नेविगेशन प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया

उन्होंने कहा कि अग्नि-4 मिसाइल में पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर लगे हैं। इसकी आधुनिकतम विशेषताएं उड़ान के दौरान होने वाले अवरोधों के दौरान खुद को ठीक एवं दिशानिर्देशित कर सकती हैं। वाहन का अपने लक्ष्य तक सटीकता के साथ पहुंचना सुनिश्चित करने के लिए इसमें विशेष नेविगेशन प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया है।

पुन:प्रवेश उष्मा कवच 4000 डिग्री सेंटीग्रेड तक के तापमान को सह सकता है और यह सुनिश्चित करता है कि अंदर का तापमान 50 डिग्री से कम रहे और इस दौरान वैमानिकी सामान्य ढंग से काम कर सके।

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