May 3, 2024

जहां-जहां मोदी, वहां-वहां व्यापार

नई दिल्ली   5सितम्बर(इ खबरटुडे)। विनय कुमार मिश्र]गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को बोधगया के महाबोधि मंदिर में अंतरराष्ट्रीय हिन्दू-बौद्ध सम्मेलन के समापन समारोह में शामिल थे। जहां कई देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस समारोह को भी एक अवसर के रूप में इस्तेमाल करते हुए गुजरात पर्यटन के क्षमता का विस्तार से प्रस्तुतिकरण किया गया। इससे मोदी के व्यापारीकरण का मनोभाव व गुजरात को बढ़ावा देने की सोच स्पष्ट तौर पर दिखी।

जबकि यहां पूर्व से तैयारी मगध के समृद्ध इतिहास की जानकारी पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से देने की थी। जिसके लिए गुजरात के बाद मगध का प्रजेंटेशन का समय निर्धारित किया गया था। गुजरात के प्रजेंटेशन को पीएम मोदी ने देखा। लेकिन मगध के प्रजेंटेशन से पूर्व अपना संबोधन पूरा कर प्रस्थान कर गए। हालांकि मंच संचालक ने सभी प्रतिनिधियों से मगध के प्रजेंटेशन देखने की मनुहार करते रहे। लेकिन पीएम मोदी के जाते सभी प्रतिनिधि भी उठकर चलते बने।

गुजरात सरकार के पर्यटन विभाग के अतिरिक्त सचिव अनिल पटेल ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से गुजरात के बौद्ध स्थलों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने भगवान बुद्ध के आवासन संबंधी स्थलों का जीर्णोद्धार कर पुर्नजीवित करने संबंधी गुजरात सरकार की योजना को बताया। गुजरात के एवनी मोरी में बुद्ध से जुड़े पाए गए भगनावशेषोंके लिए सरकार द्वारा एक महत्वकांक्षी बहुउद्देशीय योजना की जानकारी दी। और कहा कि बौद्ध स्थलों का सरंक्षण, विकास और अध्ययन केन्द्र सहित संग्रहालय व पुस्तकालय की स्थापना की जाएगी।

यहां एक बौद्ध विवि की परिकल्पना भी इसमें शामिल है। 108 फीट की मंदिर और उसके शीर्ष पर 1959 में खुदाई के दौरान प्राप्त अस्थि अवशेष को रखा जाएगा। उन्होंने ह्वेनसांग के गुजरात के कई प्रदेशों में यात्रा का जिक्र भी किया। गुजरात में दो हजार बौद्ध मठ व बौद्ध स्तूप कालांतर में थे। जो नष्ट हो गए। खुदाई कराने पर बौद्ध धर्म से जुड़े कई स्थलों का पता चला है। और अवशेष प्राप्त हुए हैं। उक्त योजना को वर्ष 2021 तक पूरा करना है। श्री पटेल ने बताया कि इसके लिए इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफेडरेशन, टोक्यो बुद्धिस्ट फेडरेशन का भी सहयोग लिया जाएगा। इसके लिए आगामी जनवरी माह में जापान में आयोजित सम्मेलन में इस पर चर्चा की जाएगी। उक्त प्रोजेक्ट पर तिब्बतियों के आध्यात्मिक धर्मगुरु पावन दलाई लामा का सहमति और आर्शीवाद प्राप्त है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds