November 15, 2024

जहां अहंकार है वहां पराजय (हार) है जहां प्रेम है वहां सदैव जीत है : मुनि रत्न कीर्ति विजय म.सा.

रतलाम 22मई (इ खबरटुडे)। सजन रे झूठ मत बोलो, न हाथी है न घोड़ा है, जब छोड़ के जाना है। जिसे पाने के लिए हमने सबको दूर कर दिया, क्लेश-झगड़ा किया वह यहीं रह जाता है, साथ में कोई नहीं आता। सायर-चबुतरा स्थित गुजराती उपाश्रय में मुनि रत्न कीर्ति विजय म.सा. ने प्रात: धर्मसभा को संबोधित करते हुए

कहा कि जहां अहंकार है वहां हार है जहां प्रेम है वहां सदैव जीत है। परमात्मा प्रेम भरे हुए थे तभी बुद्ध महावीर बने। पुष्य से सत्ता सौंदर्य, संपत्ति मिली वहीं प्रेम, स्नेह, वात्सल्य, ममता से मैत्री, करुणा, प्रमोद की प्राप्ति होती है। मजबूरी में हम सहनशील हो जाते है, फिर समझदारी में सहनशील क्यों नहीं? मेरा-मेरा दु:ख खड़ा करता है।
 जड़ पदार्थ की प्राप्ति के लिए सुख, शांति, कुटुम्ब, परिवार सबकों किनारे कर देते हो वहीं पदार्थ साथ में आने वाला नहीं सत्य समझना होगा। तप-त्याग-तपस्या जब स्वभाव बनता है तो सन्यास प्रकाशित होता है। मजबूरी से छोडऩा धर्म नहीं होता सिकंदर ने अपने समय में दोनों हाथ खुले, अर्थी हकीम, वैद्य को उठाने का, धन दौलत जमीन पर बीघा देने का आदेश दिया था।
धर्म का स्वरुप ही सच्चा सुख है, जो परछाई बन कर साथ आएगा। उक्त जानकारी पारस भंडारी ने देते हुए बताया कि पूज्य मुनिराज की स्थिरता सोम, मंगलवार 23-24 मई तक रहेगी, तत्पश्चात विहार बडऩगर की और होगा। प्रवचन गुजराती उपाश्रय में प्रात: 9 से 10 बजे होंगे। सायं प्रतिक्रमण करमचंदजी उपाश्रय सायं 7.30 बजे प्रारंभ होगा।

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