जलाशय आन्दोलनकारियों के समक्ष कई विकल्प
मनपसंद विकल्प चुनकर आन्दोलन करें समाप्त
नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री श्री आर्य ने की अपील
भोपाल,30 अप्रैल(इ खबरटुडे)। ओंकारेश्वर जलाशय का जल-स्तर घटाने की माँग कर रहे लोगों से नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री लाल सिंह आर्य ने पुनः आग्रह किया है कि वे राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत विकल्पों पर विचार कर पानी से बाहर आ जायें। श्री आर्य ने विगत 23 अप्रैल को जल भराव विरोधियों के प्रतिनिधियों से चर्चा कर उन्हें आश्वस्त किया था कि सरकार डूब प्रभावित परिवारों के हित संरक्षण के लिये पूरी तरह वचनबद्ध है।
श्री आर्य ने चर्चा के बिन्दुओं पर उच्च-स्तरीय विचार-विमर्श के बाद आज कहा कि डूब प्रभावित अधिकांश परिवार पुनर्वास नीति के प्रावधानों तथा मुख्यमंत्री द्वारा घोषित 225 करोड़ के विशेष पेकेज का लाभ लेकर विस्थापित हो चुके हैं। भूमि के बदले भूमि की माँग करते हुए केवल 213 परिवार ऐसे हैं जो न तो शासन द्वारा आवंटित भूमि लेने को तैयार हैं और न ही विशेष पेकेज लेना स्वीकार कर रहे हैं। जल भराव का विरोध करने वाले इन परिवारों के लिये विभिन्न विकल्प सुझाये गये हैं। पहले विकल्प के रूप में वे मुख्यमंत्री द्वारा घोषित विशेष पेकेज के अन्तर्गत धनराशि लेकर अपनी पसंद की भूमि क्रय कर सकते हैं। ऐसी भूमि क्रय करने पर पंजीयन और स्टाम्प शुल्क की राशि भी शासन वहन करेगा। दूसरे विकल्प के रूप में वे सरकार द्वारा दी जा रही कृषि भूमि ले सकते हैं।
राज्य मंत्री ने कहा कि नर्मदा घाटी सिंचाई परियोजना में डूब से प्रभावितों को डूब भूमि के बदले भूमि देने के लिये सरकार ने एक लेण्ड बेंक बनाया हुआ है। इस लेण्ड बेंक में लगभग 5000 हेक्टेयर कृषि भूमि चिन्हित की गई है। भूमि के बदले भूमि की माँग करने वाले इस लेण्ड बेंक में से जो भूमि पसंद करेंगे सरकार उन्हें देने तैयार है। दी जा रही भूमि पसंद नहीं आने पर उच्चतम न्यायालय के आदेश में दी गई व्यवस्थानुसार वे शिकायत निवारण प्राधिकरण में अपना पक्ष / शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं। शिकायत निवारण प्राधिकरण के निर्णय अनुसार राज्य सरकार कार्रवाई करेगी।
श्री आर्य ने 23 अप्रैल की चर्चा के प्रकाश में यह भी स्पष्ट किया है कि भूमि के बदले भूमि चाहने वाले अधिसंख्य डूब प्रभावितों ने मुख्यमंत्री द्वारा घोषित विशेष पेकेज सहर्ष स्वीकार किया। शेष परिवार भी सुझाये गये विकल्पों पर व्यावहारिक दृष्टिकोण से विचार कर आंदोलन समाप्त करें।