जंजीर से बांधा जाता था, मुक्के और पाइप से मारते थे मौलवी, रातभर होता था दर्द
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भोपाल,16 सितंबर (इ खबर टुडे)। मदरसा से भागे 10 वर्ष व 7 वर्ष के दोनों बच्चों को अशोका गार्डन पुलिस ने चाइल्ड लाइन को सौंप दिया। चाइल्ड लाइन ने उनकी काउंसिलिंग कर मदरसा में दी जा रही तालीम और व्यवहार की जानकारी ली तो चौकाने वाली बातें पता चलीं। 10 वर्षीय बच्चे ने बताया कि गुरुवार से ही हम दोनों को जंजीर से बांध रखा था। रविवार को मदरसा खाली रहता है, जिससे मौका देखकर हम भाग गए।
उन्होंने बताया कि अकसर पढ़ने के लिए मौलवी मुक्के से पीठ पर इतनी जोर से मारते थे कि रात भर दर्द करता था। साथ ही पाइप से भी पिटाई की जाती थी। लगभग सभी बच्चों को बेरहमी से पीटा जाता है। कुछ दिन पहले दूसरे बच्चों को भी जंजीर से बांधा गया था। मरदसे में खाना भी अच्छा नहीं मिलता था। पतली दाल व खराब चावल दिया जाता था। कभी-कभी सब्जी मिलती थी। जब हमारे अम्मी-अब्बू आते थे तो पिटाई होने की बात बताने पर मौलवी उनके जाने के बाद और अधिक पीटते थे।
बच्चों ने बताया कि हम यहां रहना नहीं चाहते थे, लेकिन घरवाले हमें पढ़ाने के लिए घर नहीं ले जाते थे। दरअसल, अम्मी-अब्बू दोनों मजदूरी करते हैं, इसलिए हमें यहां रहने के लिए भेज दिया।
बच्चे के शरीर पर कई स्थानों पर घाव
10 साल के बच्चे के शरीर पर कई स्थानों पर मेडिकल के दौरान डॉक्टर को घाव मिले हैं। हालांकि पुलिस को समझ नहीं आ रहा है कि यह मारपीट के हैं या बीमारी के फोड़े-फुंसी के हैं।
मां-पिता में विवाद
सात साल के बच्चे के माता-पिता के बीच विवाद चल रहा है। पिता भितरवार ग्वालियर के रहने वाले हैं, जबकि मां भोपाल में अपने मायके में रहती है। उसने ही बच्चे को मदरसे में डाला था।
मां और पिता को धमकाया !
बच्चों के माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उन्हें मदरसे वालों ने धमकाया था। यही वजह है कि बच्चों के माता-पिता पुलिस के सामने मदरसा संचालक पर कार्रवाई नहीं करने की मांग कर रहे थे।
बाल आयोग ने लिया संज्ञान
बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मदरसे से भागे बच्चों के मामले में संज्ञान लिया है। आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने बताया कि मौलवी द्वारा तालीम देने के नाम पर बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया है। इस पर कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। साथ ही जुवेनाइल जस्टिस एक्ट धारा-75 के तहत मामला दर्ज करने की अनुशंसा पुलिस से की गई है।
राजधानी में दो सौ मदरसे अवैध
बता दें कि इससे पहले भी मदरसों की कई शिकायतें आयोग के पास पहुंची हैं। इस संबंध में आयोग ने जिला परियोजना समन्वयक को मदरसों की जानकारी मांगी थी। इसमें पाया गया था कि राजधानी में 1500 मदरसे हैं, जिसमें से करीब 200 मदरसे अवैध रूप से संचालित हैं। इसके लिए मदरसों का पंजीयन कराने के लिए कहा गया था, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ।
निरीक्षण होना चाहिए
मदरसों से बच्चों के भागने के मामले कई बार आए हैं। दो माह में छह केस मदरसा के बच्चों के आए हैं। मदरसों का निरीक्षण होना चाहिए –अर्चना सहाय, डायरेक्टर, चाइल्ड लाइन