गड्ढों की भरमार से जानलेवा बना जावरा लेबड फोरलेन,खराब सडक़ के बावजूद टोल वसूली जारी,जिम्मेदार अधिकारी मौन
रतलाम,2 मई (इ खबरटुडे)। जावरा से लेबड तक की फोरलेन सडक़ टोल कंपनी और एमपीआरडीसी की अकर्मन्यता और लापरवाही के चलते जानलेवा बन चुकी है। वाहन चालकों से टोल वसूली में कोई कमी नहीं है,लेकिन सडक़ की मरममत का अता पता नहीं है। फोरलेन की जर्जर स्थिति के चलते आए दिन वाहन हादसों के शिकार बन रहे हैं। एमपीआरडीसी के अधिकारी नियमों के उल्लंघन पर जानबूझ कर अनदेखी कर रहे हैं.ताकि उनकी कमाई चलती रहे।
जावरा से लेबड तक के 125 किमी लंबे फोरलेन मार्ग पर कुल दो टोल बूथ है और इन टोलबूथों पर वाहनों से भरपूर टोल वसूली की जाती है। टोल रोड के नियमों के मुताबिक टोल वसूली करने वाली कंपनी की जिममेदारी है कि रोड की स्थिति खराब ना हो। टोल कंपनी के कामों पर निगाह रखने की जिममेदारी मप्र सडक़ विकास निगम (एसपीआरडीसी) की है।
जावरा लेबड फोरलेन पिछले कई महीनों से जर्जर हालत में है। सातरुंडा से नागदा और आगे लेबड तक की सडक़ जगह जगह से उखड गई है। सडक़ पर गड्ढों ने कब्जा जमा लिया है। सडक़ बेहद उंची नीची हो चुकी है। फोरलेन पर चलने वाले वाहन आमतौर पर तेज गति से चलते है,लेकिन जर्जर सडक़ के कारन वाहनों के पलटी खाने का खतरा कई गुना बढ गया है। पिछले कुछ महीनों में सडक़ पर वाहन हादसों की तादाद में भारी बढोत्तरी हुई हैं।
शिकायतों पर कार्यवाही नहीं
जावरा से लेबड तक के 125 किमी फोरलेन पर दो टोल बूथ है। कहने को तो हर टोल बूथ पर शिकायत पुस्तिका रखी जाती है,लेकिन भूले भटके अगर कोई शिकायत इसमें दर्ज हो जाती है,तो उस पर अमूमन कोई कार्यवाही नहीं होती। सामान्यतया फोरलेन से गुजरने वाले लोग जल्दी में होते है,इसलिए तमाम दिक्कतों के बावजूद भी शिकायत दर्ज करने के लिए इक्का दुक्का लोग ही सामने आ पाते है। जब भी कोई व्यक्ति शिकायत दर्ज करने के लिए टोल बूथ के कार्यालय पर पंहुचता है,तो वहां के कर्मचारी शिकायत पुस्तिका देने में काफी आनाकानी करते है। इसके बाद भी अगर कोई शिकायत लिख ही देता है,तो इस पर कार्यवाही नहीं होती।
नियमों का खुला उल्लंघन
लेबड जावरा फोरलेन के निर्मान के समय से ही यहां नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। शर्तों के मुताबिक फोरलेन के बीच में हरे पेड लगाए जाना जरुरी है,जिससे कि वाहन चालकों को सामने की तरफ से आ रहे वाहनों की हेडलाइट्स से परेशान ना होना पडे। इसी तरह टोल बूथ पर वाहन चालकों की सुविधा के लिए सुविधाघर,फस्र्टएड इतयादि की व्यवस्थाएं होना चाहिए। लेकिन टोल बूथों पर सुविधाओं का पूरी तरह अभाव है। सुविधाघर दिखाने भर के लिए बने हुए है। ये इतने गंदे होते है कि आम व्यक्ति इसके भीतर जा नहीं सकता। टोल रोड नियमों के मुताबिक सडक़ की स्थिति खराब होने की दशा में उसकी तुरंत मरम्मत की जाना चाहिए और मरम्मत नहीं होने की स्थिति में टोल की वसूली रोक दी जाना चाहिए। लेकिन वास्तविकता ठीक विपरित है। सडक़ की हालत लंबे समय से खराब है,लेकिन टोल की वसूली बदस्तूर जारी है।
अधिकारियों की मिलीभगत
टोल कंपनी की गडबडियों पर रोक लगाने की जिममेदारी सडक़ विकास निगम यानी एसपीआरडीसी की है। लेकिन एमपीआरडीसी के अधिकारियों का रवैया बेहद निराशाभरा है। वे खुद इन सडक़ों से गुजरते है,सडक़ की खराब हालत से भी भलिभांति वाकिफ होते है,लेकिन टोल कंपनी पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती। इससे इस आशंका को बल मिलता है कि टोल कंपनी के साथ अधिकारियों की मिलीभगत है। जब इ खबरटुडे ने एमपीआरडीसी के अधिकारियों से इस बारे में चर्चा की गई तो उनके जवाब भी इसी संदेह को पुष्ट करते दिखाई दिए।
एमपीआरडीसी के संभागीय प्रबंधक अनिल श्रीवास्तव ने इ खबरटुडे से चर्चा में कहा कि सडक़ की मरम्मत का काम जारी है। यह पूछे जाने पर कि एमपीआरडीसी ने टोल कंपनी के विरुध्द क्या कार्यवाही की है? श्रीवास्तव प्रश्न को टाल गए। उन्होने कहा कि इस बारे में एमपीआरडीसी के प्रबन्धक अतुल मुले विस्तार से बता सकते है। अतुल मुले ने इ खबरटुडे से चर्चा में कहा कि सडक़ की मरम्मत का काम जावरा से शुरु किया गया है,कुछ ही दिनों में नागदा की सडक़ भी ठीक कर ली जाएगी। यह पूछे जाने पर कि क्या उनके द्वारा टोल कंपनी को सडक़ खराब होने पर कोई नोटिस दिया गया है? श्री मुले ने इसका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। टोल कंपनी एस्सेल इन्फ्रा के बोराली टोल बूथ प्रबन्धक राजेश रामदे ने इ खबरटुडे से चर्चा में कहा कि कंपनी द्वारा मरम्मत का काम शुरु कर दिया गया है और करीब एक महीने में सडक़ की स्थिति ठीक कर ली जाएगी। हांलाकि उन्होने इस बात का कोई उत्तर नहीं दिया कि जब सडक़ की स्थिति खराब है तो टोल की वसूली क्यों की जा रही है?
ठीक होने की संभावना नहीं
एमपीआरडीसी और टोल कंपनी अधिकारियों से हुई चर्चा से यह तो स्पष्ट है कि सडक़ की हालत पिछले लंबे समय से खराब है। ऐसी स्थिति में टोल कंपनी को तुरंत मरम्मत का काम शुरु करना चाहिए लेकिन एक सौ पच्चीस किमी लंबे मार्ग को ठीक करने के लिए केवल एक ही टीम लगाई गई है। यह टीम अपनी गति से मरम्मत करेगी तो सडक़ के ठीक होने से पहले बारिश आ जाएगी,ऐसे में सडक़ का ठीक होना फिलहाल तो संभव नहीं लगता।