November 9, 2024

गांधी जी के अहिंसावाद ने नहीं सुभाष की आजाद हिन्द फौज ने दिलाई आजादी

भंवरलाल भाटी स्मृति व्याख्यानमााला में सुब्रतो गुहा ने कहा

रतलाम,11 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। भारत की आजादी के बाद इग्लैण्ड के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लीमेन्ट एटली ने कहा था कि गांधी जी के अहिंसावाद का भारत की आजादी में नगण्य योगदान था,जबकि आजाद हिन्द फौज के आक्रमण के कारण भारत को आजादी दी गई। सुभाषचन्द्र बोस की लोकप्रियता के सामने गांधी जी और नेहरु जी टिक नहीं सकते थे। यही कारण था कि अंग्रेज भी जिनके योगदान को मानते थे,भारत में उनके योगदान की अवहेलना की गई।
यह उद्गार इन्दौर के इतिहासकार प्रो.सुब्रतो गुहा ने भंवरलाल भाटी स्मृति व्याख्यानमााला के अंतिम दिन स्थानीय पटेल सभागृह में सुभाषचन्द्र बोस के योगदान की अवहेलना क्यो विषय पर व्यक्त किए। सुभाषचन्द्र बोस से जुडे ज्वलन्त विषय पर आायोजित व्याख्यान को सुनने पटेल सभागार में बडी संख्य में गणमाान्य नाागरिक बुध्दिजीवी महिला पुरुष उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विख्यात चिकित्सक डॉ.केसी पाठक ने की। मंच पर आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ.डीएन पचौरी भी उपस्थित थे।guha2
प्रो.गुहा ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जन्म और मृत्यु के बीच के समय को उनका जीवन माना जता है,लेकिन सुभाष चन्द्र बोस ऐसे व्यक्ति थे,जिनकी जन्मतिथी की सभी को जनकारी है,लेकिन उनकी मृत्यु के बारे में कोई नहीं जानता। नेताजी की मृत्यु के रहस्य पर प्रकाश डलते हुए उन्होने कहा कि तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने यह प्रचारित किया था कि ताइवान के ताईहोकू नामक स्थान पर विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने इसे तत्काल स्वीकार कर लिया और श्रध्दांजलि भी दे डाली। लेकिन भारत की जनता ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया। गांधी जी और नेहरु जी को लगता था कि देश की जनता के मन में यह तथ्य स्थापित करना जरुरी है कि नेताजी की मृत्यु हो चुकी है। इसलिए १९५६ में सरकार ने तीन सदस्यीय शाहनवाज कमेटी बनाई। इस कमेटी के दो सदस्यों ने तो यह माना कि नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में हुई थी,लेकिन तीसरे सदस्य सुरेश बोस ने इस बात से अपनी असहमति व्यक्त की थी। उन्होने कहा था कि समिति के दोनो सदस्यों पर दबाव डाला गया था कि वे विमान दुर्घटना को सही बताए। इसके बाद १९७० में जीडी खोसला आयोग गठित किया गया। इस आयोग ने भी जांच के बाद यही रिपोर्ट दी कि विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु हुई थी। दो आयोगों की जांच के बावजूद देश की जनता मानने को तैयार नहीं थी कि नेताजी की मृत्यु उस विमान दुर्घटना में हुई थी। इसके बाद १९९९ में एमके मुकर्जी कमीशन गठित हुआ। इस कमीशन ने पहली बार यह साबित किया कि ताइवान में कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई थी और नेताजी की मृत्यु उस दुर्घटना में होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। इस कमीशन का गठन तो एनडीए सरकार के समय हुआ था,लेकिन जब रिपोर्ट आई तब देश में यूपीए की सरकार थी। इस सरकार ने मुकर्जी कमीशन की रिपोर्ट को ही मानने से इंकार कर दिया। अभी हाल में ममता बैनर्जी सरकार ने नेताजी से जुडी ६४ फाईलों को सार्वजनिक कर दिया। इससे यह प्रमाणित हो गया कि आजादी के बाद से १९६४ तक सुभाष चन्द्र बोस के रिश्तेदारों की जासूसी करवाई जा रही थी। अब यह साबित हो गया है कि गांधी जी और नेहरु जी को यह निश्चित तौर पर पता था कि नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटनाा में नहीं हुई थी। इसीलिए उनके रिश्तेदारों की जासूसी करवाई जा रही थी।
श्री गुहा ने कहा कि कांग्रेस में सुभाच्चन्द्र बोस जितने समय रहे वे कभी भी गांधी जी की अहिंसावादी नीति से सहमत नहीं हुए। वे पक्के राष्ट्रवादी और भारतीय संस्कृति में विश्वास रखने वाले व्यक्ति थे। उनका स्पष्ट मत था कि आजादी मांगने से नहीं मिलती,इसके लिए सश संघर्ष आवश्यक है। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में भी नेताजी ने गांधी जी के उम्मीदवार को पराजित किया था। गांधी जी व नेहरु जी जानते थे कि यदि नेताजी स्वतंत्र भारत में आ जाते,तो नेहरु जी प्रधानमंत्री पद पर रह नहीं पाते। इसलिए स्वतंत्रता मिलने के बाद जैसे ही उनके हाथों में सत्ता आई,उन्होने वामपंथी कहानीकारों को स्कूली पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी सौंप दी। पाठ्यक्रम में यह पढाया जाने लगा कि देश की आजादी सिर्फ कांग्रेस के अंहिसक आन्दोलन के कारण मिली है। इसमें किसी अन्य का कोई योगदान नहीं है। नेहरु जी व गांधी जी जानते थे कि यदि सुभाषचन्द्र बोस को परिदृश्य से हटाया नहीं गया तो उनकी राजनीति टिक नहीं पाएगी। श्री गुहा ने कहा कि सुभाष जहां भारतीय संस्कृति में पले बढे पूर्णत: राष्ट्रवादी विचारो के व्यक्ति थे,वहीं नेहरु स्वयं को दुर्घटनावश हिन्दू मानते थे। वे कहते थे कि वे सांस्कृतिक तौर पर मुस्लिम,शिक्षा से अंग्रेज और दुर्घटनावश हिन्दू है।
इससे पहले विषय प्रवर्तन करते हुए संस्था अध्यक्ष डॉ.डीएन पचौरी ने कहा कि सुभाषचन्द्र बोस अत्यन्त मेधावी और प्रतिभाशाली थे,जबकि उनकी तुलना में नेहरु जी और गांधी जी बेहद कम योग्य थे। सुभाषचन्द्र बोस की अजाद हिन्द फौज ने ही सबसे पहले इम्फाल और कोहिमा पर आक्रमण किया था और इन हिस्सों को स्वतंत्र करवाया था। यहां आजाद हिन्द फौज के २६ हजार सैनिक शहीद हुए थे। अण्डामान निकोबार को भी आजाद हिन्द फौज से आजाद करवाया था। नेहरु जी को जानकारी थी कि नेताजी को रुस में बन्दी बनाकर रखा गया था,लेकिन उन्हो नेताजी को छुडाने की बजाय ब्रिटिश सरकार को यह पत्र लिखा कि आपके युध्द अपराधी को रुस के स्टालिन ने शरण दी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ.केसी पाठक ने कहा कि इस वैचारिक महायज्ञ में श्री गुहा ने सुभाषचन्द्र बोस से जुडे अनेक अनछुए पहलुओं को उजागर किया है। डॉ.पाठक ने सफलतम अयोजन के लिए आयोजन समिति को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का सफल संचालन राकेश मेहरा और आभार प्रदर्शन संस्था सचिव तुषार कोठारी ने किया। कार्यक्रम में बडी संख्या में नगर के गणमान्य नागरिक व बुध्दिजीवी महिला पुरुष उपस्थित थे।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds

Patel Motors

Demo Description


Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds