खराब हुआ इमेज स्कैनर, अटके 11 लाख छात्रों के रिजल्ट
इंदौर 01दिसंबर(इ खबरटुडे)।पीएमटी फर्जीवाड़े से बदनाम हुए मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) का नाम बदलकर प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड रख दिया गया, लेकिन अब भी छात्रों के विश्वास की कसौटी पर खरा नहीं उतर पा रहा है।
दिनभर में भी 10 हजार से ज्यादा कॉपियां चेक नहीं हो पा रही
व्यापमं की तीन परीक्षाओं में शामिल हुए करीब 11 लाख छात्रों के रिजल्ट अटक गए हैं। कॉपी चेक करने के लिए ब्रिटेन से मंगाए गए 90 लाख के दो ईमेज स्कैनर में से एक खराब हो जाने से कॉपियां धीमी गति से चेक हो रही है। स्कैनर से प्रति घंटे 9 हजार कॉपियां चेक होनी चाहिए, लेकिन दिनभर में भी 10 हजार से ज्यादा कॉपियां चेक नहीं हो पा रही।
जुलाई में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के 1335 पदों को भरने के लिए हुई भर्ती परीक्षा के रिजल्ट 5 महीने बाद भी परीक्षार्थियों को नहीं मिल पाए हैं। इसमें 4 लाख 53 हजार परीक्षार्थी शामिल हुए थे। यहीं स्थिति 16 अगस्त को हुई फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा के हैं। इसमें 6 लाख 35 हजार छात्र बैठे थे।
1 नवंबर को पहली बार ऑनलाइन हुई होमगार्ड परीक्षा में 31 हजार छात्र शामिल हुए थे, लेकिन इसके रिजल्ट 30 दिन बाद भी नहीं आए, जबकि ऑनलाइन परीक्षा के रिजल्ट परीक्षा होने के कुछ घंटे बाद ही जारी कर दिए जाते हैं। 5 महीने से रिजल्ट के इंतजार में बैठे परीक्षार्थी अन्य परीक्षाओं की तैयारी भी नहीं कर पा रहे हैं।
कब आएंगे रिजल्ट अधिकारियों को भी पता नहीं
प्रदेशभर के करीब 11 लाख छात्रों के रिजल्ट अटकने से व्यापमं के भोपाल दफ्तर के लैंडलाइन नंबर पर इंदौर के सैकड़ों छात्र रोजाना रिजल्ट आने की तारीख जानने के लिए फोन कर रहे हैं, लेकिन किसी के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि कितना और इंतजार करना पड़ेगा। फारेस्ट परीक्षा में 6 लाख 35 हजार परीक्षार्थी शामिल हुए थे।
देरी के सवाल पर अफसर परीक्षार्थियों की संख्या ज्यादा होने की बात कहकर रिजल्ट में और दो माह की देरी का हवाला दे रहे हैं। हालांकि जानकारों का कहना है कि जिस गति से कॉपियां चेक हो रही है, उससे रिजल्ट घोषित होने में 6 महीने और लग जाएंगे।
हर छात्र प्रति वर्ष 3 लाख खर्च
बाहर से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आए छात्रों को कोचिंग की फीस, खाने और अन्य खर्च पर 2 से 3 लाख रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। सभी परीक्षाओं में उम्र सीमा भी निर्धारित है। ऐसे में रिजल्ट लेट होने से छात्रों आत्मविश्वास कम हो रहा है। परीक्षा की तैयारी कराने वाले शिक्षकों का कहना है कि पहले ही छात्रों के लिए नौकरी नहीं है। ऐसे में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया तेज होनी चाहिए, लेकिन इसके उलट काम हो रहा है।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की परीक्षा के लिए 1 वर्ष तैयारी की। इसमें सिलेक्शन होने की पूरी उम्मीद है। रिजल्ट लेट होने से अन्य परीक्षाओं की तैयारी भी नहीं कर पा रहे हैं। – कृतिका जोशी, प्रतिभागी तीनों परीक्षाओं में छात्रों की संख्या करीब 11 लाख है। ऐसे में रिजल्ट तैयार होने में देरी लग रही है। स्कैनर संबंधी क्या परेशानी आ रही है। इस बारे में कम्प्यूटर विभाग से बात करने के बाद भी बता पाऊंगी। – उर्मिला शुक्ला, पीआरओ, व्यापमं