May 7, 2024

कोरोना बुलेटिन : देश में रिकवरी रेट बढ़कर 22.17 प्रतिशत हुआ, 16 जिलों में 28 दिनों से कोई केस नहीं: स्वास्थ्य मंत्रालय

नई दिल्ली,27 अप्रैल (इ खबरटुडे)। स्वास्थ्य मंत्रालय, गृह मंत्रालय और आईसीएमआर ने कोरोना वायरस पर सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कई जानकारियांं दींं। पिछले 24 घंटे में 1396 नए मामले सामने आए हैं। देश में अब तक कुल 6185 लोग ठीक हो चुके हैं। सोमवार तक अभी तक 27892 संक्रमण के मामले देश में सामने आ चुके हैं। जबकि 872 लोगों की जान जा चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि अच्छी बात यह है कि मरीजों के ठीक होने की दर देश में बढ़ती जा रही है। 

16 जिलों में 28 दिन से कोई केस नहीं : स्वास्थ्य मंत्रालय

  • 85 जिलों में पिछले 14 दिनों से कोई मामला नहीं आया है।
  • 22.17 प्रतिशत मरीज ठीक हुए। हमारा रिकवरी रेट बढ़ रहा है। 
  • 16 जिलों में पिछले 28 दिनों से कोई केस नहीं आया है। इस सूची में तीन नए जिलों के नाम जुड़े हैं।
    इनमें महाराष्ट्र का गोंडिया, कर्नाटक का देवनगिरी और बिहार का लखीसराय शामिल है।
    पीलीभीत और पंजाब के एक जिले में फिर से नए केस आए हैं।  

हमारी लड़ाई बीमारी से बीमार से नहीं

  • हमें कोरोना वायरस को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि हमें अपने व्यवहार में बदलाव लाना होगा। 
    यह लड़ाई सिर्फ किसी एक की नहीं है बल्कि पूरे देश की है। हमें कोरोना वॉरियर्स से भेदभाव नहीं करना चाहिए। 
    स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि हमें कोरोना मरीजों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। ठीक हुए मरीज कोरोना नहीं फैलाते। 

बीमार व्यक्ति के साथ खड़े होने की जरूरत है।

कोरोना वायरस जाति, धर्म देखकर नहीं होता। ऐसे में किसी खास समुदाय पर उंगली उठाना ठीक नहीं है।
हमें कोविड19 के लिए खासतौर से अस्पताल तैयार करना चाहिए और यहीं पर उनका इलाज होना चाहिए। जबकि अन्य अस्पतालों में बाकी मरीजों का इलाज होना चाहिए। इसके अलावा टेलीमेडिसिन की भी मदद ली जा सकती है। 

लॉकडाउन 2.0 में आर्थिक गतिविधियों में हुई बढ़ोतरी: गृह मंत्रालय

गृह मंत्रालय के अनुसार दो करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। ग्रामीण क्षेत्र में ईंट भट्टों आदि के शुरू होने से प्रवासी मजदूरों को रोजगार मिल रहा है। हालांकि हमें इस दौरान दिशानिर्देशों का पालन करना जरूरी है। 
मनरेगा के तहत 2 करोड़ लोग काम कर रहे हैं। 1.5 करोड़ लोगों को रोज खाना खिलाया जा रहा है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अंतर मंत्रालयी टीमों ने संबंधित राज्यों में पहुंचकर अपना काम शुरू कर दिया है। उनकी विशेषज्ञता हम राज्यों के साथ साझा करना चाह रहे थे ताकि कोविड 19 के खिलाफ सफलता पा सकें। 
पुणे में केंद्रीय टीम ने कई जगह दौरा किया। उन्होंने नगर निगम के वॉर रूम, अस्पतालों आदि का दौरा किया।
टीम ने पाया है कि पुणे में डबलिंग रेट 7 दिन है, जो बाकी देश की तुलना में थोड़ा ज्यादा है। टीम ने सुझाव दिया है कि टेस्टिंग और ट्रेसिंग में तेजी लानी चाहिए।

  • स्लम में जहां दिशानिर्देशों का पालन नहीं हो रहा है, वहां सख्ती से पालन होना चाहिए। 
  • इसके अलावा जयपुर में भी टीम ने दौरा किया। उन्होंने कहा कि पुराने शहर में शाम को लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन न हो, इसका ध्यान रखना चाहिए। साथ ही गैर कोविड अस्पतालों की पहचान की जानी चाहिए ताकि अन्य मरीजों का भी इलाज हो सके। 
  • 80 फीसदी मंडियों का संचालन शुरू हो चुका है।  

सप्लाई चेन में जुटी सरकार 

एम्पावर्ड ग्रुप 5 के संयोजक परमेश्वरन अय्यर ने बताया कि खाना और दवा लेकर जाने वाले ट्रकों की आवाजाही 30 मार्च को 46 फीसदी थी, जो 25 अप्रैल को बढ़कर 76 हो गई।  इसी तरह ट्रेन, समुद्र के जरिए व अन्य साधनों से भी सामान पहुंचाने की दर में काफी तेजी आई है।  ट्रक ड्राइवरों को पास की जरूरत नहीं। उन्हें बस लाइसेंस दिखाना होगा। इसके अलावा दो अन्य लोग उसके साथ हो सकते हैं।  खाली ट्रक ले जाने पर भी ड्राइवर को रोका नहीं जाएगा।  58 रूटों पर 109 टाइम टेबल ट्रेन भारतीय रेल के द्वारा चलाई जा रही है। लॉकडाउन में टमाटर, आलू और प्याज के दामों में बढ़ोतरी नहीं हुई। दूध और एलपीजी सिलेंडर की सप्लाई भी लॉकडाउन के पहले जैसी ही जारी है।

मुंबई, पुणे घनी आबादी वाले क्षेत्र

महाराष्ट्र में मुंबई और पुणे घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं। इस वजह से वहां दिक्कतें आ रही हैं। हमें जोखिम वाले लोगों की पहचान करें और ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करनी होगी। हमारी तीन केंद्रीय टीम वहां गईं और राज्य सरकार के साथ मिलकर कोशिशें की हैं। 

रैपिड टेस्टिंग किट 

हमारे पास पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग किट उपलब्ध हैं। हम भविष्य को देखते हुए पहले ही योजना बना रहे हैं। इसलिए घबराने की जरूरत है। आरटीपीसीआर टेस्ट की व्यवस्था हमारे पास पर्याप्त मात्रा में है। 
देश में जितनी किट की जरूरत है, हमारे पास उससे ज्यादा किट उपलब्ध हैं। खराब रैपिड टेस्टिंग किट के लिए भारत की ओर से पैसे नहीं दिए गए हैं।

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