कानपुर रेल हादसे के बाद भी रेलवे नहीं हटा रहा है पुराने कोच
लखनऊ,22नवम्बर (इ खबरटुडे)। कानपुर देहात जिले के पुखरायां स्टेशन पर इंदौर से पटना (राजेंद्रनगर) जा रही ट्रेन हादसे के बाद में रेलवे पूरी तरह से हिल गया है। मरने वालों में सर्वाधिक बड़ी संख्या उत्तरप्रदेश के लोगों की है। पिछले छल सालों में यह सबसे भीषण हादसा हुआ है।
रेलवे अब भी इस तरह के हादसों को हमेशा के लिए खत्म करने की कोशिश में पूरी तरह नहीं जुटा है। इसके लिए आधुनिक लिके हॉल्फमन बुश (LHB) कोच का निर्माण बढ़ाने का वादा किया है। इंट्रीग्रल कोच फैक्ट्री में बने ट्रेन के पुराने डिब्बों को इन नए डिब्बों से बदला जाएगा। मगर, इससे ज्यादा बड़ा बदलाव नहीं आएगा।
रेलवे सुरक्षा पर अनिल काकोदकर पैनल ने साल 2012 में कुछ सुझाव दिए थे। यदि उसे मान कर LHB कोच बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई होती, तो इस हादसे में मरने वालों की संख्या बहुत कम हो सकती थी। रेल नेटवर्क और संचालन की सुरक्षा की समीक्षा करने वाले रेलवे बोर्ड ने फैसला किया है कि वह अल्ट्रासोनिक फ्लो डिटेक्शन डिवाइस का उपयोग बढ़ाएगा।
अधिक राजस्व जुटाने की कोशिश में रेल पटरियों पर अधिक और भारी गाड़ियां चल रही हैं, जिससे रेल ट्रैक्स खराब हो रहे हैं। बोर्ड ने फैसला किया है कि रखरखाव कार्यक्रम की एकीकृत योजना बनाएगा, जो विभिन्न विभागों जैसे सिविल इंजीनियरिंग, सिग्नल और दूरसंचार और बिजली विभाग द्वारा अलग-अलग समय पर किया जाता है।ट्रांसपोर्टर ने काकोदकर पैनल के सुझाव को नजरअंदाज कर दिया कि आईसीएफ कोच गंभीर सुरक्षा जोखिम से भरे हैं और इसके निर्माण को तुरंत बंद कर देना चाहिए। पैनल ने पांच साल में पूरी तरह से सिर्फ एलएचबी कोच के उत्पादन के लिए 10,000 करोड़ रुपए का फंड जुटाने का प्रस्ताव दिया था।