December 24, 2024

कश्मीर में शाह: 30 साल में पहली बार…गृह मंत्री का दौरा, अलगाववादियों ने नहीं बुलाया बंद

amit shah pc

श्रीनगर 27 जून (इ खबरटुडे)।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं। आज उनके दौरे का दूसरा दिन है। बतौर गृह मंत्री यह उनका पहला दौरा है। इस बीच कश्मीर घाटी में आतंकवाद के तीन दशकों के बीच ऐसा पहली बार हुआ है कि अलगाववादी संगठनों ने किसी गृह मंत्री के दौरे के वक्त बंद की अपील नहीं की। गृह मंत्री बनने के बाद अपने पहले दौरे के तहत शाह बुधवार को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सुरक्षा और विकास से जुड़ी परियोजनाओं के सिलसिले में कई बैठकों की अध्यक्षता की।
अमरनाथ दर्शन भी करेंगे शाह
गृह मंत्री शाह का राज्य में पार्टी के नेताओं, सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों और पंचायत सदस्यों से मुलाकात के अलावा अमरनाथ दर्शन का कार्यक्रम है। इसके साथ ही वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ यूनिफाइड हेडक्वॉर्टर्स बैठक में शिरकत करने वाले हैं।
‘आतंक पर सख्त रवैया बरकरार रखें
सुरक्षा के मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान शाह ने सभी एजेंसियों से आतंकियों और उपद्रवियों के खिलाफ सख्त रवैया बरकरार रखने को कहा। उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों को अमरनाथ यात्रियों पर किसी तरह के आतंकी हमले या खतरे को टालने के लिए सभी संवेदनशील और घुसपैठ के संभावित पॉइंट पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने के निर्देश दिए हैं।

हुर्रियत के किसी धड़े ने नहीं बुलाया बंद
शाह के जम्मू-कश्मीर दौरे की खास बात यह है कि अलगाववादी संगठनों की तरफ से बुधवार को कोई बंद नहीं बुलाया गया। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सैयद अली शाह गिलानी हों या मीरवाइज उमर फारूक, किसी भी धड़े की ओर से बंद की अपील नहीं की गई। यही नहीं किसी भी अलगाववादी नेता ने कोई बयान जारी नहीं किया। पिछले तीन दशक के दौरान जब भी केंद्र सरकार के किसी भी प्रतिनिधि के दौरे में अलगाववादी समूह घाटी में बंद बुलाते रहे हैं।

पीएम मोदी के दौरे के वक्त जेआरएल का बंद
तीन फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब घाटी का दौरा किया था, उस वक्त गिलानी, मीरवाइज और जेकेएलएफ चीफ यासीन मलिक की अगुआई वाले संगठन संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (JRL) ने घाटी में पूर्ण बंद बुलाया था। यही नहीं 10 सितंबर 2017 को जब तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर का दौरा किया, तब भी जेआरएल ने घाटी में बंद रखा था। इसके उलट बुधवार को सभी अलगाववादी संगठनों ने चुप्पी साधे रखी।

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