उपज की चोरी का भय, रात में चौकसी कर रहे किसान
धार/बदनावर 21 अक्टूबर(इ खबरटुडे)। मंडी प्रांगण में लगे सीसीटीवी कैमरे निकलवाने के बाद मंडी प्रशासन इन्हें पुनः लगाने का नाम नहीं ले रहा है। टूट-फूट हो जाने के कारण 4-5 वर्ष पूर्व इन्हें निकालकर स्टोर रूम में रख दिया गया था तभी से ये स्टोर रूम में पड़े धूल खा रहे हैं। इन्हें न तो सुधरवाया जा रहा है और न ही प्रांगण में नए कैमरे लगाए जा रहे हैं। यही स्थिति भाव जानने के लिए लगाए गए डिसप्ले बोर्ड की भी है।
बदनावर प्रदेश की प्रमुख सोयाबीन मंडी में गिनी जाती है। इसे ए क्लास का दर्जा प्राप्त है। यहां कुछ वर्ष पूर्व प्रांगण में 16 सीसीटीवी कैमरे एवं 7 डिसप्ले बोर्ड लगाए गए थे। इन्हें लघु उद्योग निगम से खरीदा गया था, किंतु गुणवत्ता में कमजोर होने तथा ऊपर से समुचित रखरखाव नहीं होने के कारण जल्द ही ये जवाब दे गए।
ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर सोना पड़ता है
प्रांगण में सीसीटीवी कैमरे लगे होने के कारण किसान एवं व्यापारी दोनों ही निश्चित थे। उन्हें मंडी प्रांगण में पड़े सोयाबीन के ढेर, बोरियों एवं ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की निगरानी नहीं करना पड़ती थी, लेकिन जब से कैमरे निकाले गए, तब से आए दिन कृषि उपज की चोरी होने लगी है। रात में किसानों को अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर ही सोकर उपज की चौकसी करना पड़ती है। जब मंडी में सोयाबीन की अधिक आवक होती है, तब किसान जल्दी नंबर आने के चक्कर में रात में ही ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लाकर मंडी प्रांगण में खड़ी कर देते हैं। उधर, डिसप्ले बोर्ड बंद होने से किसानों को देश की अन्य मंडियों में ताजा भाव नहीं मिल पाते हैं। एक डिसप्ले बोर्ड कार्यालय के बाहर, 1 चेक पोस्ट पर तथा शेष 5 प्रांगण में कवर शेड पर लगे हुए हैं, लेकिन सभी बंद पड़े हुए हैं।
अन्य सुविधाओं का भी अभाव
मंडी में अन्य सुविधाओं का भी अभाव है। किसान विश्राम गृह के आधे हिस्से में केवल एक मेट बिछा रखी है। आधा हिस्सा बंद पड़ा रहता है। यहां पेजयल की भी कोई व्यवस्था नहीं है। पूरे मंडी प्रांगण में केवल एक ही प्याऊ है। इतने बड़े प्रांगण में एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पहुंचने के लिए समय लगता है। पहले ट्रॉली द्वारा पूरे प्रांगण में ठंडा पेयजल प्रदाय किया जाता था, लेकिन इस वर्ष से यह सुविधा भी बंद हो गई। तुलावटी एवं हम्मालों के विश्राम के लिए किसान विश्राम गृह के ऊपर हॉल बनकर तैयार है, लेकिन इसे उन्हें सौंपा नहीं जा रहा है। मंडी प्रांगण धूल एवं गंदगी से अटा पड़ा है, लेकिन साफ-सफाई नहीं होती है।
छोटे कांटों से होता है तौल
तौल के लिए 30 एवं 50 टन के इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे मौजूद हैं इसके बावजूद 3 क्िवटल के छोटे इलेक्ट्रॉनिक कांटों से तौल होता है। 3 क्िवटल के करीब 40 कांटे लगे हैं। इनमें से कुछ मंडी के तथा कुछ व्यापारियों के हैं। इनकी कभी जांच नहीं होती। बड़े तौल कांटों पर केवल ट्रक ही तुलते हैं, लेकिन जब कोई किसान बड़े तौल कांटों पर तुलवाने की जिद करता है, तो उसे मना भी नहीं किया जाता। किंतु बाद में ऐसे किसानों की कृषि उपज दोबारा क्रय करने से व्यापारी परहेज करते हैं। प्रांगण में लाइट की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है। स्ट्रीट लाइट के आधे से ऊपर हेलोजन बंद हैं। मंडी में 5 कवर्ड शेड में व्यापारियों का माल पड़ा रहता है। उन्हें स्वयं ही ट्यूब लाइट, बल्ब आदि लगाना पड़ते हैं। मंडी प्रांगण में कैंटीन से मिलने वाला भोजन भी किसान पसंद नहीं करते।
सुधरवाने को लिखा है
मंडी के स्टोर कीपर दिलीपसिंह चौहान ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे एवं डिसप्ले बोर्ड सुधरवाने के लिए बार लघु उद्योग निगम को लिखा है, पर कोई जवाब नहीं आया। एक बार पुनः लिखा गया है।