आधी रात तक गंगा मां की आरती में झूमे वनवासी
शिवगंगा अभियान के तहत बाबा मौर्य ने प्रस्तुत की गंगा मां की आरती
झाबुआ,17 मार्च (इ खबरटुडे)। वनवासी अंचल में चलाए जा रहे शिवगंगा अभियान के तहत 14 से 17 मार्च तक आयोजित मातानुवन विकास शिविर में शनिवार की रात अन्तर्राष्ट्रिीय ख्यातिप्राप्त अद्भुत कलाकार बाबा सत्यनारायण मौर्य के नाम रही। बाबा मौर्य द्वारा प्रस्तुत गंगा मां की आरती में झाबुआ जिले के दूरस्थ वनवासी ग्रामों से आए हजारों वनवासी महिला पुरुष आधी रात तक झूमते रहे। बाबा मौर्य ने अपने गीत संगीत और चित्रमय कार्यक्रम में गंगा अवतरण की कथा को आधुनिक सन्दर्भों के साथ प्रस्तुत की।
कथा पाण्डाल में मौजूद हजारों वनवासी एवं शहरी महिला पुरुषों को सम्बोधित करते हुए बाबा मौर्य ने कहा कि भागीरथ के प्रयत्नों से स्वर्ग की गंगा पृथ्वी पर आई,लेकिन वर्तमान युग के कथित विकास ने गंगा को मैला कर दिया। उन्होने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि गांव गांव में जलोतों का संरक्षण किया जाए। बाबा मौर्य ने कहा कि हमारे गांव की गंगा को हम सुरक्षित कर लें,यही सबसे बडी देशभक्ति है। बाबा ने कहा कि वनों को बचाना सबसे ज्यादा जरुरी है। उन्होने कहा कि बिना वन के जीवन नहीं चल सकता। जीवन में वन समाहित है। बाबा मौर्य ने वनवासी बन्धुओं से आव्हान किया है कि अपने विकास के लिए उन्हे स्वयं जागरुक होना पडेगा।
बाबा मौर्य ने कहा कि गांवों के विकास के लिए सरकार और नेताओं के भरोसे रहने की आदत छोडना होगी और स्वयं ही अपने विकास की चिन्ता करना पडेगी। जब गांव के वनवासी अपने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के प्रति जागरुक हो जाएंगे तभी वास्तविक विकास हो सकेगा।
बाबा मौर्य का गीत संगीत से सजा कार्यक्रम आधी रात तक चलता रहा। इस दौरान बाबा ने कई सुमधुर गीत भजन इत्यादि प्रस्तुत किए और पाण्डाल में मौजूद लोगों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। इस दौरान बाबा ने कई चित्र भी बनाए। बिजली की गति से गीतों के साथ चित्र बनते देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। बाबा ने दिल को छू लेने वाली कई कविताएं भी सुनाई। कार्यक्रम का शुभारंभ बाबा ने गणपति वन्दना के साथ गणेश जी का चित्र बनाकर किया।
मातानुवन विकास
शिवगंगा अभियान इस बार पर्यावरण संरक्षण को समर्पित है। पिछले वर्षों में शिवगंगा अभियान वनवासी ग्रामों में जल संरचनाओं के निर्माण पर केन्द्रित था। प्रथम चरण में गांव गांव में शिवलिंग और हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित कर गंगा अवतरण अर्थात जल ोतों का निर्माण व संरक्षण किया गया।
इस वर्ष शिवगंगा अभियान पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण पर केन्द्रित है। वनवासी अंचल की पर्यावरण आधारित परंपरा मातानुवन के आधार पर मातानुवन विकास शिविर का आयोजन किया गया है। मातानुवन विकास शिविर में झाबुआ जिले के ३२० गांवों से लगभग पांच हजार वनवासी महिला पुरुष आए है। वनवासी बन्धु कार्यक्रम स्थल पर दस हजार पौधों का रोपण करने के साथ उनकी देखभाल भी करेगें। मातानुवन विकास शिविर में प्रत्येक गांव में मातानुवन विकसित करने का लक्ष्य भी रखा गया है। शिवगंगा अभियान के प्रेरणाोत महेश शर्मा के नेतृत्व और मार्गदर्शन में गांव गांव से आए हजारों वनवासी वनवासी अंचल को हरे भरे वृक्षों से आच्छादित करने के लिए संकल्पबध्द हो चुके है।
अद्भुत व्यवस्था
शिवगंगा अभियान के अन्तर्गत आयोजित चार दिवसीय मातानुवन विकास शिविर आयोजन व्यवस्था की दृष्टि से अनूठा आयोजन है। शिविर में करीब पांच हजार वनवासी महिला पुरुष व बच्चे सपरिवार शामिल हुए है। महाविद्यालय मैदान पर आयोजित शिविर स्थल की व्यवस्थाएं अत्यन्त अनूठी है। मुख्य पाण्डाल के चारों ओर शिविरार्थियों के आवास की व्यवस्था की गई है। शिविरार्थियों के भोजन की व्यवस्था भी अद्भुत है। अलग अलग विकासखण्डों या गांवों के शिविरार्थियों को वहीं पर लकडियां व कच्ची भोजन सामग्री उपलब्ध कराई गई है,जिससे कि वे स्वयं अपना भोजन तैयार कर सके। वनवासी परंपरा के मुताबिक शिविरार्थी अपने अपने समूहों में स्वयं ही भोजन तैयार कर लेते है। शिवगंगा अभियान के प्रेरणाोत एवं मार्गदर्शक महेश शर्मा ने इ खबरटुडे को बताया कि पूरा अभियान स्वावलम्बन के आधार पर संचालित किया जा रहा है। शिविर में भाग ले रहे प्रत्येक शिविरार्थी से सौ रुपए शुल्क लिया गया है। वनवासी स्वयं शुल्क देकर शिविर में आए है। इस वजह से उनका वनवासी स्वयं शुल्क देकर शिविर में आए है। इस वजह से उनका दायित्वबोध भी बढा है।