अभियोजन फेल, मानववध के आरोप से आयुर्वेदिक डॉक्टर मुक्त
रतलाम,16अप्रैल (इ खबरटुडे)।ढ़ाई साल पूर्व के पिपलौदा तहसील के चर्चित मामले में जावरा की प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश माया विश्वलाल ने आयुर्वेदिक, युनानी एवं प्राकृतिक चिकित्सक डॉ.भेरूलाल बोराना को भादंवि की धारा 304/304 ए और मप्र आयुर्वेदिक परिषद अधिनियम की धारा 13/24 से बरी कर दिया है।
इस मामले में अभियोजन ग्रामीण महिला जीवणीबाई की मौत गलत इलाज से होने का आरोप प्रमाणित नहीं कर पाया। प्रकरण के प्रमुख गवाह भी पलट गए।
पिपलौदा पुलिस ने 5 जुलाई 2014 को डॉ.भेरूलाल के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था
एडवोकेट केसी रायकवार ने बताया कि 4 अप्रैल 2014 को जीवणीबाई पति गंगाराम निवासी आम्बा की जिला अस्पताल में मौत हो गई थी। पिपलौदा पुलिस ने 5 जुलाई 2014 को डॉ.भेरूलाल के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। इसमें उनपर 6-7 महीने पूर्व जीवणीबाई को बुखार आने पर एलोपैथिक पद्धति से इलाज कर गलत इंजेक्शन लगाने और उससे जीवणीबाई की मृत्यु होने से मानववध का आरोप लगाया गया था। डॉ.भेरूलाल द्वारा जीवणीबाई को इंजेक्शन लगाने से गठान बन गई थी, इससे उसके पैरों ने काम करना बंद कर दिया था। जीवणीबाई को उसका पति भादवा माता ले गया था और बाद में रतलाम अस्पताल लाया। यहां से इलाज के बाद दो-तीन दिन घर रहने के बाद
1 अप्रैल को उसे पुन: भर्ती करवाया गया और 4 अप्रैल 14 को उसकी मृत्यु हो गई। न्यायालय में प्रकरण के विचारण के दौरान मृतिका के पति गंगाराम, उसके भाई पन्नालाल, मित्र प्यारेलाल और इस मामले की विभागीय जांच करने वाले डॉ.लक्ष्मणसिंह चौहान ने अभियोजन के कथानक का समर्थन नहीं किया। गवाही से पलटने के कारण उन्हें पक्ष विरोधी घोषित किया गया।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि मप्र आयुर्वेदिक परिषद अधिनियम धारा 24 में स्पष्ट किया गया है कि आयुर्वेदिक युनानी और प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड में पंजीकृत चिकित्सक को एलोपेथी उपचार करने के लिए दंडित नहीं जाएगा। प्रकरण में आरोपी की पैरवी अभिभाषक केसी रायकवार, रोहित रायकवार व नीलू रायकवार ने की।