May 18, 2024

अफगानिस्तान: 3 फिदायीन हमलों में 11 छात्र और 7 मीडियाकर्मियों समेत 40 की मौत, 45 जख्मी

काबुल,30 अप्रैल(इ खबरटुडे)।  अफगानिस्तान के काबुल में सोमवार (30 अप्रैल) सुबह एक के बाद एक हुए दो आत्मघाती हमलों में एएफपी के मुख्य फोटोग्राफर शाह मरई और पांच अन्य पत्रकारों सहित कम से कम 25 लोगों की मौत हो गयी. इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट समूह ने ली है. अफगानिस्तान में मारे गए पत्रकारों को उनके सहकर्मी ट्विटर पर श्रद्धांजलि दे रहे हैं. काबुल पुलिस के प्रवक्ता हशमत स्तानकजई ने बताया कि दूसरा आत्मघाती हमला पहले हमले के कुछ मिनट बाद पत्रकारों को निशाना बनाकर किया गया. ये पत्रकार पहले हमले के बाद घटना को कवर करने के लिए वहां एकत्र हुए थे.

यह आत्मघाती हमला मध्य शास डराक क्षेत्र में हुआ. यहां नाटो के मुख्यालय सहित कई दूतावास हैं. उन्होंने बताया कि दूसरा हमलावर पैदल आया था. पहले हमले के बाद घटना की रिपोर्टिंग करने आए संवाददाताओं की भीड़ में वह पत्रकार के वेश में था. गृह मंत्रालय ने मरने वालों की संख्या की पुष्टि करते हुए बताया कि मृतकों में छह पत्रकार हैं. हमले में 49 लोग घायल हुए हैं. मरनेवालों की संख्या बढ़ने की आशंका है.

एएफपी ने अपने मुख्य फोटोग्राफर मरई सहित 1TV के दो पत्रकार, टोलो न्यूज के एक पत्रकार और जहां टीवी के एक पत्रकार के मारे जाने की पुष्टि की है. मरई ने एक ड्राइवर के तौर पर 1996 में एएफपी के लिए काम करना शुरू किया था. साथ ही साथ वह तस्वीरें भी खींचते थे. इसी साल तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था. मरई ने 2001 में अमेरिकी कार्रवाई की खबरों को भी कवर किया था. वह 2002 में एएफपी के पूर्णकालिक फोटो स्ट्रिंगर हो गए थे. एएफपी ग्लोबल न्यूज की डायरेक्टर मिशेल लेरीडॉन ने बताया, “मुख्य फोटोग्राफर मरई के छह बच्चे हैं, जिनमें से एक नवजात है. यह काबुल ब्यूरो सहित पूरी एजेंसी के लिए एक भयानक खबर है.”

काबुल पुलिस प्रमुख दाऊद अमीन ने कहा कि पहले बम विस्फोट के लगभग आधे घंटे बाद दूसरा विस्फोट हुआ. पहला विस्फोट कवर करने के लिए इकट्ठा हुए पत्रकारों के एक समूह के पास दूसरा विस्फोट हुआ. काबुल पुलिस प्रमुख के प्रवक्ता स्टैनेकजई ने कहा, “शुरुआती जानकारी से पता चला है कि दूसरा विस्फोट भी एक आत्मघाती हमला था. हमलावर ने इलाके में पहुंचने के लिए खुद को पत्रकार बताया था और उसके हाथ में एक कैमरा था.”

इस्लामिक स्टेट समूह के स्थानीय सहयोगी संगठन और तालिबान देशभर में लगातार हमले कर रहे हैं. तालिबान आमतौर पर जहां सरकारी संस्था और सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर आईएस के आतंकी शिया अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं. दोनों समूह अफगानिस्तान में सख्त इस्लामिक कानून स्थापित करना चाहते हैं.

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