November 17, 2024

अजमेर विस्फोट मामले में विशेष कोर्ट ने सुनाई दो को उम्र क़ैद की सज़ा

जयपुर\अजमेर,22 मार्च(इ खबरटुडे)। 2007 में अजमेर दरगाह पर विस्फोट में दोषी ठहराए गए देवेंद्र गुप्ता और भावेश पटेल को आजीवन क़ैद की सज़ा सुनाई गई है.राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने (एनआईए) के विशेष कोर्ट ने जयपुर में बुधवार को यह सज़ा सुनाई. 2007 के इस विस्फोट में तीन लोग मारे गए थे और 17 लोग घायल हुए थे. यह विस्फोट साल 2007 में 11 अक्टूबर को रमज़ान के महीने में हुआ था.6 मार्च को इस मामले कोर्ट ने तीन लोगों को दोषी ठहराया था. ये तीन हैं- देवेंद्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी. देवेंद्र गुप्ता और सुनील जोशी आरएसएस के पूर्व कार्यकर्ता रहे हैं. अजमेर विस्फोट में नार्को टेस्ट का विरोध
अजमेर धमाके में बरी स्वामी असीमानंद हैं कौन?
तीनों को एनआईए कोर्ट ने बम प्लांट करने और धार्मिक भावना भड़काने के मामले में दोषी ठहराया था. देवेंद्र गुप्ता और भावेश पटेल को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया था जबकि सुनील जोशी की धमाके के ठीक बाद रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी.
पहले एनआईए ने इस विस्फोट के लिए असीमानंद को मास्टरमाइंड करार दिया था, लेकिन जयपुर कोर्ट ने असीमानंद और अन्य को सबूत के अभाव में रिहा कर दिया था. इस मामले में कोर्ट ने आरएसएस के सीनियर पदाधिकारी इंद्रेश कुमार को भी बरी कर दिया था.

 

साल 2011 में असीमानंद ने मजिस्ट्रेट को दिए इक़बालिया बयान में कहा था कि अजमेर की दरगाह, हैदराबाद की मक्का मस्जिद और अन्य कई स्थानों पर हुए बम विस्फोटों में उनका और दूसरे हिंदू चरमपंथियों का हाथ था. बाद में वो अपने बयान से पलट गए और इसे एनआईए के दबाव में दिया गया बयान बताया था. इस केस में तब दिलचस्प मोड़ आया था जब भावेश कुमार ने आरोप लगाया था कि उस पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने आरएसएस के सीनियर नेता मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार का नाम इस मामले में लेने के लिए दबाव डाला था.

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