सख्याराजे प्रसूति गृह में भ्रष्टाचार का मामला
जाँच में दोषी मिली आरोपी नसर्ें
गरीब भ्रष्टाचार के आगे नहीं झुके, प्रसूति में नियम विरुध्द आक्सीटोसिन का उपयोग
उज्जैन 2 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। सख्याराजे प्रसूति गृह में गरीब प्रसुताओं एवं उनके परिजनों से भ्रष्टाचार के मामले में हुई शिकायत के बाद जाँच हुई थी। इस जाँच में गरीबों ने पूरी निर्भीकता के साथ भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ साक्ष्य दिये हैं। दो स्टाफ नर्स, एक एएनएम एवं दो दाई के विरुध्द पूरे प्रमाण आये हैं। आश्चर्य इस बात का है कि दो माह बीतने पर भी दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
सख्याराजे प्रसूति गृह में चल रहे भ्रष्टाचार के गोल घेरे को तोड़ने के लिये एएनएम सुमन सोनी ने शिकायत की थी। भोपाल स्तर तक की गई इस शिकायत के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने जाँच करवाई थी। उपजिला विस्तार एवं माध्यम अधिकारी लोक स्वास्थ्य विभाग एवं परिवार कल्याण विभाग ने इसकी जाँच की थी। शपथ-पत्रों को जांचा गया था और समक्ष में बयान दर्ज किये गये थे। भ्रष्टाचार में 500 से 2000 तक वसूली करने और ऑपरेशन के नाम पर डरा-धमकाकर वसूली किये जाने के आरोप थे।
तीन ने दिये बयान, दो गैर हाजिर
शिकायत के पक्ष में साजिद पिता इब्राहीम निवासी खंदार मोहल्ला, श्रीमती संतोषबाई पति स्व. हरिराम बैरवा किशनपुरा, मुकेश पिता पूरणलाल धनोतिया निवासी निपानिया गोयल ने उपस्थित होकर बयान दिये और रिश्वत की राशि दिये जाने को लेकर शपथ-पत्र भी दिये गये हैं। शिकायतकर्ता रितेश मेहता पिता राजमल मेहता नामदारपुरा एवं अरविन्द पिता नारायण निवासी नेहरु नगर बयान देने नहीं पहुंचे।
आक्सीटोसिन का उपयोग
शिकायतकर्ता सुमन सोनी के अनुसार सामान्य प्रसूति के लिये गुपचुप रुप से आक्सीटोसिन इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है। यह स्लो आईव्ही एवं चिकित्सक के लिखे अनुसार जरुरत पर ही लगाया जाता है। इसके विपरीत नर्स और दाई अपनी मर्जी से नार्मल डिलेवरी के लिये हाईडोज इंजेक्शन की यादा मात्रा लगाकर रिश्वत के फेर में सामान्य व जल्दी प्रसूति करवा देते हैं। इसका असर गर्भवती महिलाओं व नवजात पर साइड इफेक्ट के रुप में आता है। इस इंजेक्शन से बच्चादानी में प्रेशर बनता है, जिससे डिलेवरी जल्दी हो जाती है। प्रेशर के कारण माता व शिशु को भी जान का खतरा रहता है। भ्रष्टाचार के कारण मातृ व शिशु मृत्यु दर बढ़ रही है।
जाँच अधिकारी ने लिखा मिलीभगत
जाँचकर्ता अधिकारी आर.सी. ईरवार डिप्टी एमईआईओ ने अपने जाँच प्रतिवेदन में लिखा है कि सख्याराजे प्रसूति गृह के लेबर रुम में 10 जून 2013, 20 मई 2013 को डयूटी के दौरान कार्यरत स्टाफ नर्स, एएनएम व दाइयों की आपस में मिलीभगत है। अवैध रुप से ये रुपये लेने के आदी हैं। अलग-अलग दिनांकों में प्रसूता एवं उनके परिजनों को ऑपरेशन से डिलेवरी का डर बताकर अवैध रुप से रुपये लेने के आदी हैं। यह बात सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील के अंतर्गत अनियमितता की श्रेणी में आता है। जाँच अधिकारी ने एएनएम जेनी चौरसिया, स्टाफ नर्स फरजाना खान के बयान भी दर्ज किये हैं।