श्रमिक संगठनों की देशव्यापी हड़ताल, 20 करोड़ कर्मचारी शामिल
नई दिल्ली,08जनवरी(ई खबर टूडे).बैंक कर्मचारी यूनियन, श्रमिक संगठनों, नॉर्थ ईस्ट में सिटिजनशिप बिल के विरोध में तमाम संगठनों ने 8 और 9 जनवरी को हड़ताल का आह्वान किया है. इसके चलते लोगों को बैंक संबंधी कामों को लेकर कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
हालांकि इन दो दिनों के दौरान देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में संभवत: कामकाज होगा जिसकी 85,000 शाखाएं हैं. कुछ अन्य नेशनल बैंकों में भी सामान्य कामकाज होने की उम्मीद है.
कईं राज्यों में रोकीं ट्रेनें, दफ्तर बंद, लोगों को हो रही परेशानी
इस हड़ताल का असर मंगलवार सुबह से ही देश के कई राज्यों में नजर आया है। मुंबई में जहां बेस्ट बसों के पहिए थम गए हैं वहीं अन्य राज्यों में प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर उतरकर रास्ते जाम किए साथ ही ट्रेनें भी रोकीं।
10 श्रमिक संगठनों का हल्ला बोल
कौर ने कहा कि केंद्रीय श्रमिक संघ एकतरफा श्रम सुधारों का भी विरोध करता है. उन्होंने कहा, हमने सरकार को श्रमिक कानूनों के लिए सुझाव दिए थे, लेकिन चर्चा के दौरान श्रमिक संघों के सुझाव को दरकिनार कर दिया गया. हमने 2 सितंबर 2016 को हड़ताल की. हमने 9 से 11 नवंबर 2017 को ‘महापड़ाव’ भी डाला, लेकिन सरकार बात करने के लिए आगे नहीं आई और एकतरफा श्रम सुधार की ओर आगे बढ़ गई. इस हड़ताल में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हो रहे हैं. लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ इसमें भाग नहीं ले रहा है.
मजदूर संगठनों की क्या है मांग?
कौर ने कहा कि सरकार रोजगार पैदा करने में नाकाम रही है. सरकार ने श्रमिक संगठनों के 12 सूत्रीय मांगों को भी नहीं माना. श्रम मामलों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में बने मंत्रीसमूह ने 2 सितंबर की हड़ताल के बाद श्रमिक संगठनों को चर्चा के लिए नहीं बुलाया. इसके चलते हमारे पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. श्रमिक संघों ने ट्रेड यूनियन अधिनियम-1926 में प्रस्तावित संशोधनों का भी विरोध किया है.