लॉकडाउन में फंसी 4 बहनें 110 दिन बाद पहुंचीं परिवार के पास,इस बीच पिता का हो गया निधन
इंदौर,12 जुलाई( इ खबर टुडे)। मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के पचोर की रहने वाली चार नाबालिग बहनें 25 मार्च को लॉकडाउन के दो दिन पहले भोपाल से अपने घर के लिए निकली थीं, लेकिन ट्रेन में नींद लगने के कारण इंदौर आ पहुंचीं। लॉकडाउन लगने के कारण ये मासूम इंदौर में अटक गईं। इस दौरान ये आश्रय गृह में रहीं। इस बीच इनके पिता का भी निधन हो गया।
इंदौर में 110 दिन फंसे रहने के बाद इंदौर व भोपाल की बाल कल्याण समिति व चाइल्ड लाइन के प्रयास से अब बालिकाएं वापस भोपाल अपने स्वजनों के पास पहुंच सकीं। ये बच्चियां भोपाल में स्टेशन के पास रहती थीं। इनको जन्म देने वाली मां का निधन होने के बाद पिता ने पचोर (राजगढ़ ब्यावरा के समीप) की एक महिला से शादी की। इसके बाद ये बच्चियां अपने सौतेली मां व पिता के साथ पचोर में रहने लगीं।
पिता दिव्यांग होने के कारण तीन पहिया साइकिल पर ही चलते थे। इस परिवार में छह बच्चे हैं। लॉकडाउन के पहले इन बच्चियों के ननिहाल में किसी की स्वजन की मृत्यु होने के कारण चारों बहनें भोपाल गई थीं। ये 23 मार्च को भोपाल से पचोर आने आने के लिए ट्रेन में बैठीं। चारों को शुजालपुर स्टेशन पर उतरना था और वहां से बस में बैठ कर पचोर जाना था। इन बहनों की रास्ते में नींद लग गई और ये इंदौर आ पहुंचीं। रिक्शा चालक ने सराफा बाजार में छोड़ दिया बच्चियों को पहले तो समझ नहीं आया कि वे शुजालपुर की बजाए इंदौर पहुंच गई हैं।
रिक्शा चालक से इन्होंने शहर के बाजार में ले जाने को कहा तो रिक्शा चालक ने इन चारों बहनों को सराफा क्षेत्र में लाकर छोड़ दिया। देर रात को ये चारों बच्चियां सराफा पुलिस को घूमते हुए मिलीं। इसके बाद रात तीन बजे सराफा थाना और चाइल्ड लाइन के माध्यम से चारों बच्चियों को राऊ स्थित जीवन ज्योति बालिका गृह में भेजा गया। चारों बच्चियों में एक की उम्र 16, दूसरी की 14 तीसरी की 12 और चौथी की 10 वर्ष है।
सिर से उठ गया पिता का साया
इंदौर की बाल कल्याण समिति ने पचोर के महिला बाल विकास अधिकारी व परियोजना अधिकारियों से चर्चा कर बताया गया कि बच्चियां चौकी के पीछे अपना घर बता रही हैं। इसके बाद वहां की पुलिस ने बच्चियों के घर की जानकारी निकाली तो पता चला कि 14 अप्रैल को इनके पिता का निधन हो गया है। इस बीच बच्चियों ने इंदौर की बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष को बच्चियों ने बताया कि भोपाल में उनका परिवार स्टेशन रोड के पास रहता है। इंदौर की बाल कल्याण समिति ने भोपाल की समिति व चाइल्ड लाइन की टीम को चारों बच्चियों के फोटो नाम व पते के साथ 25 जून को भेजे।
30 जून तक इन बच्चियों के परिवार का भोपाल में पता चला। परिवार को भी तब ही पता चला कि चारों बहनें इंदौर पहुंच गई हैं। भोपाल की समिति ने बच्चियों को इंदौर में कुछ दिन रखने की गुजारिश की। इस बीच बच्चियों के परिवार से मिलकर उन्हें सौंपने की सारी प्रक्रिया पूरी की गई और शुक्रवार को संस्था के वाहन से चाइल्ड लाइन की टीम के सदस्य चारों नाबालिग बच्चियों को उनके भोपाल में रहने वाले चाचा-चाची और बुआ को सौंपकर आए।
लॉकडाउन के दौरान इंदौर के जीवन ज्योति आश्रयगृह में रहकर इन बालिकाओं ने ऑनलाइन डांस व पेंटिंग गतिविधियों में भाग लिया। इन्हें सिलाई का प्रशिक्षण भी दिया गया। -माया पांडे, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति इंदौर