राग रतलामी/ सरकार बदलते ही हैसियत बदल गई प्रथम नागरिक मैडम जी की
-तुषार कोठारी
रतलाम,27 जनवरी। इस शहर का दुर्भाग्य ही था कि शहर की प्रथम नागरिक की आर्थिक स्थिति पिछले चार सालों से बेहद खराब थी। उनकी निजी आर्थिक स्थिति नहीं,बल्कि शहर के प्रथम नागरिक के रुप में उनकी आर्थिक स्थिति। नहीं समझे? मतलब यह कि शहर सरकार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी,इसीलिए शहर सरकार की मुखिया की भी स्थिति ठीक नहीं थी। वरना व्यक्तिगत तौर पर तो उन पर उपर वाले की अच्छी छत्रछाया है। लेकिन कहते है कि घूरे के दिन भी फिरते है। ऐसे ही प्रथम नागरिक के दिन भी फिरे। जैसे ही सरकार बदली,उनकी स्थिति ठीक हो गई।
कहानी स्वागत समारोह की है। मैडम जी के आने के पहले तक शहर में रिवाज था कि गणतंत्र दिवस की परेड के बाद कार्यक्रम के अतिथिगण,शहर के छोटे बडे नेता,मीडीया वाले और गणमान्य लोगों को प्रथम नागरिक अपने घर आमंत्रित करते थे और स्वागत समारोह के साथ अल्पाहार का एक अनौपचारिक सा कार्यक्रम हो जाता था। लेकिन जब डाक्टर मैडम डाक्टरी छोडछाड कर शहर सरकार की मुखिया बनी,तो उन्होने इस रिवाज को तुरंत बंद कर दिया। उनका कहना था कि यह बेवजह की फिजूलखर्ची है और शहर सरकार की आर्थिक हालत भी ठीक नहीं है। सब लोगों ने मान भी लिया। यही गनीमत थी कि उन्होने शहर सरकार की इमारत पर की जाने वाले बिजली की सजावट को बन्द नहीं किया। वरना तो वे उसे भी बन्द कर सकती थी।
चार साल इसी तरह गुजर गए। लेकिन सरकार बदलते ही मैडम की स्थिति बदल गई। जैसे ही गणतंत्र दिवस आया,वे उत्साह से भर गई और उन्होने स्वागत समारोह आयोजित करने का फैसला कर लिया। फूल छाप के नेताओं को पता नहीं क्यों,मैडम का उत्साह रास नहीं आया और उन्होने इस स्वागत समारोह का बायकाट कर डाला। हांलाकि इससे मैडम जी को कोई फर्क नहीं पडा। स्वागत समारोह भी हुआ और लोगों ने जमकर मिठाई भी खाई।
गौर सा.के नक्शेकदम
शहर की प्रथम नागरिक मैडम जी को फूल छाप वाले गौर साहब से प्रेरित मानने लगे है। फूल छाप वालों का कहना है कि फूल छाप वाली होकर मैडम जी ने पंजा पार्टी के लोगों के साथ गणतंत्र का त्यौहार मनाया। त्यौहार मनाते वक्त उन्होने पंजा पार्टी के नेताओं को यह भी बता दिया कि उनके पापा और मंत्री जी के पापा दोनो खास दोस्त थे। लगे हाथों मंत्री जी ने भी मैडम को नसीहत दे डाली कि वे गलत जगह यानी गलत पार्टी में है। उधर,कभी प्रदेश के मुखिया रहे गौर सा.अपनी ही पार्टी को धमका रहे थे कि उन्हे दिग्गी राजा ने पंजा पार्टी से चुनाव लडने का आफर दिया है। इधर मैडम जी ने पंजा पार्टी के साथ उत्सव मना कर फूल छाप वालों को एक झटका तो दे ही दिया है। फूल छाप के बडे नेता फिलहाल चुप्पी साधे हुए है। वे कुछ कह नहीं पा रहे हैं। हांलाकि मैडम जी कायदे से तो एक्सीडेन्टल मेयर है,इसलिए फूल छाप वालों को ज्यादा चिन्ता भी नहीं है। ले देकर कुछ महींने बचे है। उसमें से भी काफी वक्त तो आचार संहिता के नाम पर निकल जाएगा। अगली बार फूल छाप वालों को मैडम की कोई जरुरत भी नहीं होगी।
वक्त है बदलाव का
सूबे में चुनाव के वक्त जब पंजा पार्टी ने यह नारा दिया था कि वक्त है बदलाव का,तब कई सारे लोगों को इस बदलाव का मतलब समझ में नहीं आ रहा था। लेकिन अब आने लगा है। अफसरशाही को अब अच्छे से बदलाव का मतलब समझ में आने लगा है। पन्द्रह सालों तक फूल छाप की सरकार में अफसरों का जलवा हुआ करता था,लेकिन अब वक्त है बदलाव का। इसलिए अफसरशाही का जमाना भी बदलने लगा है। पहले कभी सरकारी मीटींग होती थी,तो फूल छाप के बडे बडे नेता भी बेचारे बाहर खडे रहा करते थे। लेकिन अब पंजा पार्टी के राज में सरकारी मीटींग हो तो पंजा पार्टी का कोई हारा हुआ नेता भी मीटींग में शामिल होकर अफसरों को हडका सकता है। पहले के जमाने में कभी कोई नेता मीटींग में घुस भी जाता था,तो अफसर पूरी अफसरी जताते हुए उसे बाहर का रास्ता दिखा देते थे। लेकिन अब वक्त बदल गया है। अब ऐसा नहीं होता। कोई अफसर,अफसरी नहीं जता सकता। अभी कुछ दिनों पहले तक जिले के दूसरे नम्बर के अफसर के चैम्बर में घुसने के लिए नेताओं को इंतजार करना पडता था,लेकिन अब पंजा पार्टी के ढेरों नेता उसी चैम्बर में घुस कर मीटींग भी कर लेते है। इतना ही नहीं इस मीटींग के फोटो भी सोशल मीडीया पर प्रसारित करते है,ताकि हर एक को पता चल जाए कि वक्त है बदलाव का।