भारत माता की जयकार के साथ शुरू हुआ तीन दिनी वनवासी खेल कुंभ
26 अक्टूबर को शहर में निकलेगा चल समारोह
रतलाम, 25 अक्टूबर (इ खबरटुडे) । शासकीय कला एव विज्ञान महाविद्यालय के खेल मैदान पर रविवार को वनवासी कल्याण परिषद मध्य भारत रतलाम के तत्वावधान में भारत माता की जय-जयकार के साथ सातवां राज्य जनजाति क्रीड़ा महोत्सव शुरू हुआ। शुभारंभ अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी सुरेशानंदजी ने खिलाडिय़ों से भारत माता का गौरव बढ़ाने का आव्हान करते हुए कहा असाध्य को साध्य करना ही खिलाडिय़ों का प्रथम धर्म है।
शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि मप्र राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष हिम्मत कोठारी रहे, जबकि अध्यक्षता महापौर डॉ.सुनीता यार्दे ने की। कार्यक्रम के दौरान विधायक चैतन्य काश्यप, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रमेश मईड़ा, क्षेत्रीय क्रीड़ा प्रमुख मुकुंद द्रविड़ मंचासीन रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामीजी ने खेल भावना से ओतप्रोत रहने और हारने पर दुख मनाने की सीख दी। उन्होंने कहा कि जीतने के लिए हारना जरूरी है। जीतने वाला खुशी मनाता है, जबकि हारने वाला चिंतन करता है और जो चिंतन करता है, वही असली खिलाड़ी होता है। ङ्क्षचतन करे बगैर कोई जीत नहीं सकता। वनवासी अंचल से निकलकर पीटी उषा, लिम्बाराम, सुनीता जाधव आदि कई खिलाडिय़ों ने भारत का नाम रोशन किया है। इससे पूर्व वनवासी कल्याण परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा ने परिषद के कार्यो पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा इस कुंभ में शामिल खिलाडिय़ों को खेल के माध्यम से भारत माता को परम वैभव पर ले जाना है। स्वामी विवेकानंद, महाराणा प्रताप और शिवाजी को जिस प्रकार बाल्यकाल से तैयार किया गया था, उसी प्रकार वनवासी कल्याण परिषद भी वनांचल में रहने वाले बच्चों को भारत माता को परम वैभव पर ले जाने के लिए प्रेरित कर रही है। परिषद के जिलाध्यक्ष डॉ.उदय यार्दे ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने बताया कि इस कुंभ में 21 जिलो के खिलाड़ी भाग ले रहे है, जिनमें से 175 खिलाडिय़ों का चयन होगा, जो 27 दिसंबर को झारखंड के रांची में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शामिल होंगे। इससे पूर्व अतिथियों ने भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन करने के बाद झंडा वंदन कर खेल कुंभ का शुभारंभ किया। इस मौके पर 400 मीटर रिले दौड़ की स्पर्धा भी हुई, जिसमें बड़वानी ने प्रथम, रतलाम ने द्वितीय और होशंगाबाद जिले ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। विजेताओं को अतिथियों ने पुरस्कृत किया। प्रारंभ में परिषद की और से प्रांतीय मंत्री मदनसिंह बघेल, संगीता, शंभुसिंह चौहान, चंदरसिंह मईड़ा और डॉ.उदय यार्दे ने अतिथियों का स्वागत किया। अंत में अतिथियों को स्मृति चिन्ह दिए गए। संचालन प्रांतीय खेल प्रतियोगिता के संयोजक अजीत छाबड़ा ने किया। आभार परामर्श दाता गोपाल मजावदिया ने माना। इस दौरान आयोजन समिति के दिलीप आप्टे, तरनी व्यास, जनक नागल, रवि गर्ग, भगत भदौरिया, सूरज जाट, सोनूसिंह बलवंत भाटी, अनुज शर्मा, ऋषि पाटीदार, मोहित चौबे, प्रखर डफरिया, , शेलेंद्र सुरेका, अशोक श्रीवास्तव, देवप्रकाश शर्मा, अरूण तिवारी, नितेश बैरागी, राजेश रांका, अमरीक राणा, प्रकाश सेठिया, चेतन पटेल, सुधीर सर्राफ, सुरेश माथुर, आरसी तिवारी, अजयसिंह बैस, राजेश ओझा, अजय यार्दे, आशीष घोटीकर व सीके लश्करी आदि मौजूद थे।
शहर में निकलेगा चल समारोह
खेल कुंभ के दूसरे दिन 26 अक्टूबर को शाम 4 बजे शासकीय कला व विज्ञान महाविद्यालय स्थित खेल प्रांगण से शहर में वनवासी बंधुओं का चल समारोह निकलेगा। इसके माध्यम से सामाजिक सद्भाव और समरसता का संदेश दिया जाएगा। चल समारोह में वनवासी बंधु अपनी संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे। चल समारोह कालेज रोड, डालूमोदी बाजार, घांस बाजार, चांदनी चौक, तोप खाना, बजाज खाना, गणेश देवरी, धानमंडी, शहर सराय, लोकेंद्र टाकीज, जेल रोड होते हुए खेल प्रांगण में समाप्त होगा। चल समारोह के बाद रात 8 बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे और रात्रि में सभी वनवासी बंधु शहरवासियों के साथ शरद पूर्णिमा महोत्सव में शामिल होंगे। प्रांतीय प्रतियोगिता का समापन 27 अक्टूबर को सुबह 11 बजे होगा।