भाजपा नेताओं के सपनों पर पानी फिरा
सहकारिता चुनाव पर उच्च न्यायालय की रोक
रतलाम,25 सितम्बर (इ खबरटुडे)। सहकारिता चुनाव को लेकर बडे सपने संजो रहे भाजपा नेताओं के सपनो पर न्यायालय ने पानी फेर दिया है। चुनाव प्रक्रिया में अनियमितताओं को देखते हुए उच्च न्यायालय ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय ने स्टे जारी करने के साथ ही चुनाव प्रक्रिया से सम्बन्धित तमाम दस्तावेज भी न्यायालय में तलब किए है। चुनाव प्रक्रिया रोकने के लिए आलोट के रमेश पाठक ने याचिका प्रस्तुत की थी।
याचिकाकर्ता रमेश पाठक ने बताया कि उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के साथ साथ प्रतिपक्षी मध्यप्रदेश शासन का पक्ष सुनने के बाद आगामी आदेश तक सहकारिता चुनाव पर रोक लगा दी है। खारवा खुर्द सहकारी समिति की ओर से चुनाव में उतरे रमेश पाठक का नामांकन पत्र,निर्वाचन अधिकारी ने खारिज कर दिया था। नामांकन पत्र खारिज किए जाने को आधारहीन बताते हुए रमेश पाठक ने उच्च न्यायालय में चुनाव को निरस्त करने हेतु याचिका दायर की थी।
श्री पाठक ने बताया कि सहकारिता चुनाव में सत्तारुढ भाजपा ने जमकर अनियमितताएं की है। बिना उचित आधार के नामांकन पत्र को खारिज कर दिया गया। जब श्री पाठक ने निर्वाचन अधिकारी से नामांकन पत्र निरस्त करने के कारण जनना चाहा,तो निर्वाचन अधिकारी ने कोई कारण बताने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं,जब श्री पाठक ने नामांकन निरस्त किए जाने पर अपनी लिखित आपत्ति प्रस्तुत की,तब निर्वाचन अधिकारी ने आपत्ति लेने से भी इंकार कर दिया। श्री पाठक ने इस बात की शिकायत जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों से करना चाही,लेकिन कलेक्टर के अवकाश पर होने की वजह से उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार श्री पाठक को उच्च न्यायालय की शरण लेना पडी।
श्री पाठक ने कहा कि सहकारिता चुनाव में जमकर गडबडियां की गई। भाजपा ने संगठन स्तर पर जिन नेताओं को डायरेक्टर पद के लिए चयनित किया था,उनके नामांकन को छोडकर कांग्रेस समर्थित अन्य सभी नेताओं के नामांकन निरस्त करने के लिए अधिकारियों पर दबाव डाला गया। अधिकारियों ने भी भाजपा के दिशा निर्देश पर,नियम कायदों को ताक पर रखते हुए तमाम विरोधियों के नामांकन निरस्त कर दिए। पन्द्रह में से बारह डायरेक्टर निर्विरोध चुन लिए गए थे।
म.प्र.शासन ने उच्च न्यायालय में केविएट भी दाखिल की थी। याचिका दायर होने पर न्यायालय ने शासन का पक्ष भी सुना और दोनो पक्ष सुनने के बाद आगामी आदेश तक निर्वाचन प्रक्रिया को रोक दिया। न्यायालय ने निर्वाचन प्रक्रिया से सम्बन्धित तमाम दस्तावेज भी न्यायालय में तलब किए है।
उच्च न्यायालय के स्थगन के बाद केन्द्रीय जिला सहकारी बैंक के डायरेक्टर व अध्यक्ष पद को लेकर सपने संजो रहे भाजपा नेताओं के सपनों पर फिलहाल पानी फिर गया है। उधर दूसरी ओर कांग्रेस खेमे में इस आदेश के बाद खुशी का माहौल है।