November 24, 2024

बौद्धिक सम्पदा को मिलने लगा है आर्थिक आधार-जस्टिस मिश्रा

त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस का शुभारम्भ हुआ    

उज्जैन 18 सितम्बर(इ खबरटुडे)। विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, भोपाल के सौजन्य और अखिल भारतीय विधि शिक्षक कांग्रेस के सह सौजन्य से आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस का शुभारम्भ सुप्रीम कोर्ट आॅफ इण्डिया की पूर्व न्यायमूर्ति जस्टिस ज्ञानसुधा मिश्रा के करकमलों से सम्पन्न हुआ। वैज्ञानिक नवाचार और बौद्धिक सम्पदा कानून पर केंद्रित इस अकादमिक आयोजन की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जवाहरलाल कौल ने की।
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस ज्ञानसुधा मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि वैज्ञानिक नवाचारों से जुड़े बौद्धिक सम्पदा कानूनों को लेकर व्यापक विचार की जरूरत है। एक समय में बौद्धिक सम्पदा को मात्र प्रशंसा के रूप में प्रोत्साहन मिला था, किंतु अब इसके लिए पर्याप्त अर्थ भी मिलने लगा है। वैज्ञानिक उन्नति के दौर में वैज्ञानिकों को भी संसद में अपनी बात कहने का मौका मिलना चाहिए।
कुलपति प्रो. जवाहरलाल कौल ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भूमण्डलीकरण के दौर में वैज्ञानिक नवाचारों के पेटेंट को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है। सभी क्षेत्रों में ज्ञान का विस्फोट हो रहा है। वैज्ञानिक नवाचारों को विधिक समर्थन मिलना चाहिए। संगोष्ठी का विषय सभी के लिए महत्वपूर्ण है। इसका संबंध समग्र मानवता से है। आम आदमी में इस दिशा में जागरूकता लाने की जरूरत है। वर्तमान में खाद्य संरक्षण को लेकर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसका सीधा संबंध वैज्ञानिक नवाचारों के पेटेंट से है।
वरिष्ठ आई.ए.एस. सुधीर कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालयों को वैज्ञानिक नवाचार के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए। वैज्ञानिक खोजों के प्रमाणीकरण के लिए वैज्ञानिकों को अधिकृत होना चाहिए।
पेटेंट और डिजाइन, मुम्बई के उप नियंत्रक डाॅ. राकेश कुमार ने कहा कि वैज्ञानिक खोजों के व्यावसायीकरण के लिए पेटेंट करवाना अनिवार्य होता है। इन दिनों पेटेंट के लिए जागरूकता बढ़ रही है। पेटेंट प्राप्त करना महंगा होता है। इस दिशा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सहयोग से विश्वविद्यालयों में विशेष निधि स्थापित की जा सकती है।
विशिष्ट अतिथि भारतीय उद्योग संगठन, नई दिल्ली के वरिष्ठ सलाहकार राघवेन्द्रलाल साहा ने कहा कि नए अन्वेषणों को नवाचार के रूप में मान्यता मिलती है। इनके व्यापक क्षेत्र में प्रसार के लिए पेटेंट हासिल किया जाना जरूरी होता है। बौद्धिक सम्पदा कानून के कईं आयाम हैं। पेटेंट, काॅपीराइट, टेªडमार्क, औद्योगिक डिजाइन आदि इसी के अंग हैं। किसी भी पेटेंट के लिए उनका मौलिक और अनूठा होना जरूरी है। जीव विज्ञान के क्षेत्र में पेटेंट का महत्व तेजी से बढ़ता जा रहा है।
प्रारम्भ में स्वागत भाषण मुख्य समन्वयक प्रो. एम.एस. परिहार ने दिया। अतिथि स्वागत कुलसचिव डाॅ. डी.के. बग्गा, प्रो. एम.एस. परिहार, प्रो. अलका व्यास, प्रो. तपन चैरे, प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा आदि ने किया।
इस अवसर पर बैंक आॅफ इण्डिया के जोनल मैनेजर  ए.के. पाठक ने भी विचार व्यक्त किए। अतिथियों को स्मृति चिह्न कुलसचिव डाॅ. डी.के. बग्गा ने अर्पित किये।
इस अवसर पर अतिथियों ने विधि क्षेत्र की मासिक शोध पत्रिका ‘‘शोध मंदाकिनी’’ और स्मारिका की सीडी का भी विमोचन किया गया। शोध पत्रिका का विमोचन प्रधान सम्पादक कुलपति प्रो. जवाहरलाल कौल एवं संपादक डाॅ. निशा केवलिया ने करवाया।
संचालन डाॅ. रूबल वर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन आयोजन सचिव डाॅ. अलका व्यास ने किया।
दोपहर 2.30 बजे विश्वविद्यालय स्थित शलाका दीर्घा में प्रथम तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। सत्र की अध्यक्षता श्री राघवेन्द्रलाल साहा, नई दिल्ली ने की। अतिथि वक्ता राकेश कुमार, मुम्बई, डाॅ. अभय जेरे, पुणे एवं डाॅ. एच. एस. चावला, इंदौर थे। इस सत्र में विभिन्न शोधकर्ताओं ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया। इनमें डाॅ. शोभाराम, डाॅ. प्रशांत थोटे, गोपाल राठोर, डाॅ. सतीश अहेट, डाॅ. धर्मेन्द्र मेहता, डाॅ. नवीन मेहता, डाॅ. विशाल महलवार, डाॅ. ज्ञानसिंह रघुवंशी, प्रतिमा सिंह, डाॅ. बलरामसिंह यादव, डाॅ. व्ही. रंगनाथ, डाॅ. सोनलसिंह, डाॅ. सुरेन्द्र सिंह, अनीस शेख, डाॅ. अनीता मनचंदिया, डाॅ. दर्शना मेहता आदि शामिल थे। सत्र का संचालन प्रो. एच.एस. राठौर ने किया। 19 सितम्बर को इस आयोजन के अंतर्गत तीन तकनीकी सत्र क्रमशः प्रातः 09 बजे, दोपहर 12 बजे एवं दोपहर 2.30 बजे शलाका दीर्घा में होंगे। संध्या 6.30 बजे स्वर्ण जयंती सभागार में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा।

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