न्याय की मांग को लेकर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के सामने धरने पर बैठे न्यायाधीश आरके श्रीवास
जबलपुर,01 अगस्त(इ खबरटुडे)। नागरिको को न्याय प्रदान करने वाले न्यायाधीश को ही यदि अन्याय का शिकार होना पड़े और न्याय की मांग को लेकर आंदोलन करना पड़े तो न्याय व्यवस्था की सारी असलियत सामने आ जाती है। मध्य प्रदेश के ही नहीं देश की न्याय व्यवस्था के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब किसी न्यायाधीश को अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ न्यायालय के सामने ही धरना देना पड़ रहा है। हाईकोर्ट के विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी और अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश आरके श्रीवास,मंगलवार सुबह मप्र हाईकोर्ट की इमारत के गेट नंबर तीन के सामने धरने पर बैठे है ।
न्यायाधीश श्री श्रीवास पहले परिसर के अंदर सत्याग्रह पर बैठना चाहते थे, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। जज श्रीवास 15 महीने में 4 बार ट्रांसफर किए जाने के विरोध में सत्याग्रह कर रहे हैं।
धरने पर बैठे जज श्रीवास ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश और रजिस्ट्रार जनरल को अपने साथ हुए अन्याय से अवगत कराने के बावजूद हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से अब तक कोई भी सकारात्मक रिस्पांस सामने नहीं आया। उनका कहना है कि हर 3 महीने में ट्रांसफर से परिवार परेशान हो गया है। इस बार जैसे-तैसे जबलपुर के क्राइस्ट चर्च स्कूल में बच्चे का एडमिशन करवाया था। एक को पढ़ाई के लिए नीमच में छोड़ना पड़ा, क्योंकि वहां से भी तबादला कर दिया गया था। एडीजे के पक्ष में बार के वकील भी साथ आने लगे हैं। कड़ी धूप में बैठकर धरना दे रहे जज के लिए वकीलों ने छाते मंगवाए। जज का कहना है कि न्याय नहीं मिला तो वे धरने के बाद अनशन करेंगे।
जज श्रीवास ने कहा कि महज 15 माह में चौथा तबादला हाईकोर्ट की ट्रांसफर पॉलिसी के सर्वथा विपरीत है। इससे यह साफ होता है कि एकरूपता को पूरी तरह दरकिनार करके मनमाने तरीके से भाई-भतीजावाद के आधार पर तबादले किए जा रहे हैं। इसलिए बजाए झुकने के संघर्ष का रास्ता चुना गया। मुझे अब तक नीमच में ज्वाइन कर लेना था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। इसके स्थान पर नौकरी को दांव पर लगाकर सत्याग्रह की राह पकड़ ली है। यदि मुझे गिरफ्तार करने के निर्देश दिए गए तो जेल जाने तक तैयार हूं। लेकिन अन्याय किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करूंगा।
उल्लेखनीय है कि जज श्रीवास ने कुछ दिनों पूर्व न्यायाधीशों के तबादलों में हो रही अनियमितताओं को लेकर म. प्र. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी शिकायत की थी। यह मामला उन्होंने प्रेस में भी उठाया था लेकिन समस्या हल करने की बजाय श्री श्रीवास का तबादला कर दिया गया और उनके विरूद्ध विभागीय जाँच प्रारम्भ कर दी गई। यह विभागीय जाँच अभी चल ही रही थी कि उनका फिर से तबादला कर दिया गया। बार बार किये जा रहे तबादलों से परेशान होकर आखिरकार उन्होंने आंदोलन करने का निश्चय किया।
वकील भी आये समर्थन में
जज श्रीवास के आंदोलन के बाद अब प्रदेश के वकील भी उनके समर्थन में आने लगे है। जबलपुर में श्री श्रीवास के धरने पर बैठने के बाद कई वकीलों ने धरना स्थल पर पहुंच कर उन्हें अपना समर्थन देने की घोषणा की। वंही रतलाम के वकीलों ने जुलुस निकाल कर उनके समर्थन में एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौपा।