नोटबंदी – बारह दिन बाद खुली मण्डी,चैक से हुआ किसानों को भुगतान
काले धन को बदलने के नए हथकण्डों की तलाश,सर्राफे में पुराने नोटों से बिक रहा है सोना
रतलाम,21 नवंबर (इ खबरटुडे)। नोटबंदी से किसानों को होने वाले नुकसान के दावों को गलत साबित करते हुए आज कृषि उपज मण्डी में सामान्य कामकाज हुआ और किसानों को करीब 50 लाख रु.का भुगतान चैक के माध्यम से हुआ। बैंकों के सामने लगने वाली कतारें भी अब छोटी हो चुकी है और अधिकांश एटीएम मशीने अब नोट देने लगी है। दूसरी ओर कालेधन को खपाने के लिए नए नए हथकण्डों की तलाश जोर पकडने लगी है। सर्राफे में पुराने नोटो से सोना बेचे जाने की खबरें जोरों पर है।
नोट बंदी के फौरन बाद कृषि उपज मण्डी को अनिश्चित काल के लिए बन्द कर दिया गया था और ऐसी आशंकाएं व्यक्त की जा रही थी,कि इस निर्णय से किसानों को भारी नुकसान होगा। लेकिन इन आशंकाओं को पूरी तरह खारिज करते हुए आज किसानों और व्यापारियों ने चैक के माध्यम से व्यापार किया और आमदिनों की तरह ही कामकाज हुआ।
मण्डी के व्यापारी प्रतिनिधि मनोज जैन के मुताबिक बारह दिनों तक बन्द रहने के बाद आज मण्डी पुन: प्रारंभ हुई। मण्डी में सामान्य दिनों की तरह आवक रही। मण्डी में आज करीब पन्द्रह सौ बोरी सोयाबीन,करीब चार सौ बोरी गेंहू,एक ट्राली डालर चना,50-60 बोरी देशी चना आदि की आवक हुई। यह भी आशंकाएं जताई जा रही थी कि किसानों को उनकी उपज के सही दाम नहीं मिलेंगे। लेकिन वस्तुस्थिति इससे ठीक विपरित रही। मण्डी में आज,मण्डी बन्द होने के दिन की तुलना में दो सौ रुपए अधिक भाव बोले गए।
श्री जैन के मुताबिक सोयाबीन के भाव साढे अ_ाईस हजार से तीन हजार रु. तक रहे। गेंहू के भाव उन्नीस सौ से बाइस सौ रुपए तक रहे। डालर चना 12400 रु. में एक ट्राली बिका,जबकि देशी चने के भाव 5300 से 7400 रहे। मनोज जैन ने बताया कि मण्डी में आज करीब सवा सौ किसान अपनी फसलें लेकर आए थे और उन्हे एकाउन्ट पेयी चैक के माध्यम से करीब पचास लाख रु. का भुगतान किया गया। श्री जैन के मुताबिक इस व्यवस्था से न तो व्यापारियों को और ना ही किसानों को कोई समस्या है। चैक के माध्यम से भुगतान लेने के लिए सभी किसान राजी है। इसलिए अब मण्डी में किसी तरह की कोई समस्या नहीं है और अब कामकाज सामान्य तौर पर चलने लगा है।
पुराने नोटों को खपाने के लिए सोने का सहारा
नोटबंदी के कारण सर्वाधिक प्रभावित हुए कालाधन रखने वाले लोगों ने अपने कालेधन को बदलने के लिए नए नए हथकण्डों की तलाश शुरु कर दी है। बाजार के जानकार सूत्रों के मुताबिक सर्राफे में जिन व्यापारियों के पास रुपए खपाने की क्षमता है,वे 35 हजार रु.के भाव में पुराने नोटों से सोना बेच रहे हैं। हांलाकि इन सौदों में सोना बुक किया जा रहा है,डिलिवरी नहीं दी जा रही है। पुराने नोटों में भुगतान लेकर सोना दो या तीन महीनों बाद देने के वादे किए जा रहे हैं। इस खेल में व्यापारी उस सीमा तक रुपए ले रहे है,जहां तक वे अपने खातों में राशि एडजस्ट कर सकते है। हांलाकि इस तरह के सौदे विश्वसनीय लोगों के साथ ही किए जा रहे है। इसके साथ ही काला धन जमा करके रखने वाले लोग अब उन मध्यमवर्गीय तथा निम्न वर्गीय विश्वसनीय लोगों की तलाश कर रहे है,जिनके खातों में पुराने नोट खपाए जा सकते है। बीस से लेकर तीस प्रतिशत कमीशन के आधार पर दूसरों के खातों में रुपए जमा करने के प्रयास अब जोर पकडने लगे है। हांलाकि ऐसे मामलों में सरकारी मशीनरी का रवैया अभी सामने नहीं आया है। कालेधन के कारोबारियों का मानना है कि वे अन्य खाताधारकों के खातों में रुपए जमा करवा कर अपनी काली कमाई का एक बडी हिस्सा बचाने में कामयाब हो सकते है। दूसरी ओर लोगों का यह भी अनुमान है कि आयकर विभाग व अन्य एजेंसियां इस तरह के मामलों पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं और इन पर कार्यवाही होना तय है।