December 24, 2024

नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग मंत्रालय का अजूबा,सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त को निलंबित किया

उज्जैन,27जनवरी(इ खबरटुडे)। सेवानिवृत्ती ले चुके एक सहायक आयुक्त (मुख्य कार्यपालन अधिकारी ) को नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग मंत्रालय ने चार माह बाद आरोप लगाकर निलंबित करने का आदेश जारी कर नया अजूबा अंजाम दिया है। इस पूरे मामले में खास यह है कि मंत्रालय के जिस अधिकारी ने सेवानिवृत्ति की 2016 की सूची जारी की थी , उन्होने ही निलंबन आदेश्‍ा भी जारी किया है।

उज्जैन नगर पालिक निगम में वर्ष 2016 में सहायक आयुक्त के पद पर कार्यरत शशिधर जोशी 31 अक्टूबर 2016 को नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग मंत्रालय के आदेश क्रमांक एफ 4-88/2015/18-1 दिनांक 29 दिसंबर 2015 से सेवानिवृत्त किया गया । इस आदेश में स्पष्ट किया गया था कि वर्ष 2015 एवं वर्ष 2016 में अर्द्धवार्षिकी आयु पूर्ण करने वाले मुख्य नगर पालिका अधिकारी /मुख्य कार्यपालन अधिकारी /कार्यपालन यंत्री /सहायक यंत्री तथा स्वास्थ्य अधिकारियों को उनके सम्मूख्‍ दर्शए स्थान पर सेवा निवृत्त किया जाता है। इसी आदेश के 32 वे क्रम पर शशिधर जोशी मुख्य कार्यपालन अधिकारी नगर पालिक निगम उज्जैन को 31 अक्टूबर 2016 को सेवानिवृत्ति दर्शाई गई थी ।

तीसरे माह निलंबन आदेश

श्री जोशी की सेवानिवृत्ति के तीसरे माह नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय  ने 23 जनवरी 2016 को आदेश क्रमांक एफ 4-1962016/18-1 जारी किया । इस आदेश में शशिधर जोशी मुख्य कार्यपालन अधिकारी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण मांगल्या जिला इंदौर ( वर्तमान पदस्थापना सहायक आयुक्त नगर पालिक निगम उज्जैन ) को अपने कर्तव्यों के प्रति घोर अनुशासन हीनता एवं लापरवाही बरतने ,श्री अभिषेख भट्ट को सेवा में रहते हुए भी गलत प्रमाणिकरण जारी करने एवं न्यायालयीन प्रकरणों में निगम अभिभाषक के समक्ष उपस्थित होकर जवाबदावा तैयार नहीं कराए जाने के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। खास  यह की निलंबन अवधि में जोशी का मुख्यालय , कार्यालय संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास , उज्जैन निर्धारित किया गया है। उससे भी खास यह कि निलंबन अवधि में श्री जोशी को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता दी गई है।

 आदेश दो ,अधिकारी एक

करीब 13 माह की अवधि में एक ही अधिकारी के लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय  के अवर सचिव आर एस वर्मा ने दो आदेश जारी किए हैं। 29 दिसंबर 2015 के आदेश पर भी उन्ही के हस्ताक्षर हैं ओर 23 जनवरी 2017 के आदेश पर भी उन्हीं के हस्ताक्षर हैं।
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ये मामला अजुबे से कम नहीं है। सेवानिवृत्ति के बाद पेशन रोकना एवं जारी की जाने वाली आर्थिक राशि का रोकना तो हो सकता है निलंबन ? संबंधित आदेश जारी करने वाले अधिकारी ही स्पष्ट करें तो ही समझ में आ सकता है ।पहली बार ऐसा मामला सून रहे हैं।

-प्रेम डोडिया ,अभिभाषक उज्जैन

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