May 18, 2024

शहीद राजाभाऊ की जयंती को भूला बैठे उज्जैनवासी,ट्रस्ट पर भवन बनाने के बाद भाजपा भी विस्म्रत कर बैठा

उज्जैन,27जनवरी(इ खबरटुडे)। गोवा मुक्ति आंदोलन में अपनी शहादत देने वाले उज्जैन के सपूत राजाभाऊ महाकाल को उनकी जयंती के अवसर पर ही शहरवासी भूला बैठे । राष्ट्रीय पर्व पर नगर निगम की ओर से जो हार प्रतिमाओं पर पहनाए जाते हैं वही गणतंत्र दिवस पर किया गया , शेष न तो कोई अलग से आयोजन किया गया न ही शहीद का कोई स्मरण मात्र किया गया । परिजनों ने जरूर जयंती पर पितृ पुरूष का स्मरण किया।

शहीद राजाभाऊ महाकाल के भतीजे प्रकाश महाकाल बताते हैं गोआ मुक्ति आंदोलन में उज्जैन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पूर्तगालियों से गोआ की मुक्ति के लिए भारत में आंदोलन छेडा गया था । इस आंदोलन को पूर्तगाली सेना ने कुचला था ,जिसमें भारत माता के 10 सपूतों की शहादत गोवा के पथरादेवी क्षेत्र में हुई थी। पुर्तगाली सेना की गोली खाकर प्राणोत्सर्ग करने वाले सपूतों में उज्जैन के राजाभाऊ महाकाल अग्रणी रहे । उनका शव गोवा से पूना लाया गया , यहां ओंकारेश्वर श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था।

नाम के ट्रस्ट कार्यालय में कोई स्मरण नहीं

श्री महाकाल के अनुसार भारतीय जनता पार्टी ने उज्जैन में शहीद राजाभाऊ महाकाल के नाम से ट्रस्ट बनाकर उज्जैन के फ्रीगंज क्षेत्र में करोंडों का संभागीय कार्यालय बनाया है। इस भवन की आधारभूत व्यवस्था में ट्रस्ट के नाम का अपना योगदान है। शहीद राजाभाऊ के नाम  के ट्रस्ट के अधिन भाजपा ने अपना संभागीय लोकशक्ति कार्यालय का निर्माण करोडो की लागत से किया  निर्माण के लिए संस्था को कारोड़ो रूपए चंदा भी मिला  लोकशक्ति कार्यालय के अंदर लगे शिलालेख इसे स्पष्ट करते हैं। राजाभाऊ का चित्र भी इस कार्यालय में भूतल एवं प्रथम तल  दो- दो स्थानों पर लगे हुए हैं इसके बावजूद गुरूवार को गणतंत्र दिवस ओर राजाभाऊ महाकाल की जयंती होने के बाद भी न तो ट्रस्ट ओर न ही भाजपा की ओर से ही उनके स्मरण का कोई आयोजन किया गया ।

कौन थे राजाभाऊ महाकाल

श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पूजारी बालाभाऊ महाकाल ओर अन्नपूर्णा देवी के यहां 26 जनवरी 1923 को उज्जैन के पानदरीबा क्षेत्र में जन्में राजाभाऊ महाकाल संघ के कार्यकर्ता थे । भारत की आजादी के करीब आठ वर्ष बाद पूर्तगालियों के कब्जे से गोआ की मुक्ति के लिए गोवा विमोचन समिति ने 1955 में आंदोलन चलाया । इस समिति के अध्यक्ष बाल गंगाधर तिलक के पूत्र जयवंत राव तिलक ने महाराष्ट्र में संभाली थी। इसी आंदोलन में संघ की ओर से भाग लेने के लिए राजाभाऊ गए थे, आंदोलन में अग्रणी भूमिका होने से पूर्तगालियों ने भारत माता के सपूतों पर गोली चलाना शुरू कर दिया उनकी गोली से दस कार्यकर्ता शहीद हो गए ।

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