तेज बारिश के साथ तगडी ओलावृष्टि
फसलें तबाह,सर्वे के नाम पर सिर्फ दिखावा,किसान परेशान
रतलाम,9 मार्च (इ खबरटुडे)। रविवार का दिन किसानों के लिए तबाही का नया मंजर लेकर आया। दोपहर बाद जिले के अनेक स्थानों पर तेज बारिश के साथ ओले गिरे,जिससे पहले से ही नष्टप्राय हो चुकी फसलें पूरी तरह तबाह हो गई। तबाह हुई फसलों का सर्वे अब तक वास्तविक रुप से शुरु नहीं हुआ है। इस नई तबाही के बाद क्या होगा ? यह सवाल अब मुंह बाए खडा है।
रविवार का दिन तो सामान्य तरीके से शुरु हुआ था। आसमान पूरी तरह साफ था और तेज धूप खिली हुई थी लेकिन दोपहर बाद आसमान पर बादल छाने लगे और देखते ही देखते दोपहर लगभग साढे तीन बजे तेज बारिश शुरु हो गई। तेज बारिश के साथ जमकर ओलावृष्टि हुई। जमीन बर्फ से पट गई।
खेतों में खडी फसलें पूर्व की ओलावृष्टि से पहले ही बरबाद होने की कगार पर पंहुच चुकी थी,लेकिन रविवार की ओलावृष्टि के बाद गेंहू और चने की फसलें अब पूरी तरह बरबाद हो चुकी है। गेंहू और चने के पौधे पूरी तरह धराशायी हो गए है।
तहसील के सेजावता,नगरा,बाजनखेडा,सनावदा इत्यादि सभी गांवों से तगडी ओलावृष्टि के समाचार मिल रहे है।
सर्वे नहीं सिर्फ घोषणाएं
प्रदेश भर में हुई ओलावृष्टि के बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह ने मैदानी अधिकारियों को युध्दस्तर पर नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे जिससे कि जल्दी से जल्दी किसानों को राहत दी जा सके। मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद जिले में नुकसान के आकलन का काम कछुए की गति से किया जा रहा है। जिले के अनेक गांवों में अब तक कोई भी सर्वे करने नहीं पंहुचा है। कलेक्टर राजीव दुबे जल्दी से जल्दी सर्वे करने का दावा कर रहे है लेकिन वास्तविकता यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक कोई सर्वे करने नहीं पंहुचा है। ऐसी स्थिति में दोबारा ओलावृष्टि ने तो किसानों की रही सही उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है।
ग्राम नगरा के किसान राधाकिशन पाटीदार ने बताया कि उनकी गेंहू की फसल ओलावृष्टि से पूरी तरह चौपट हो गई है,लेकिन गांव में अब तक नुकसान का आकलन करने के लिए कोई सरकारी कर्मचारी नहीं पंहुचा है। ग्राम बाजनखेडा के कैलाश पाटीदार,जडवासा के आनन्दीलाल पाटीदार आदि अनेक किसानों ने इस तथ्य की पुष्टि की है कि जिला मुख्यालय पर सर्वे के दावों के बावजूद गांवों में अब तक नुकसान का आकलन करने का काम शुरु नहीं हुआ है।