January 30, 2025

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताया

divorce

यह मुस्लिम महिलाओं के हक के ख‍िलाफ-हाई कोर्ट

इलाहाबाद,08 दिसम्बर(इ खबरटुडे)। तीन तलाक के मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्प्णी करते हुए इसे असंवैधानिक बता दिया है. कोर्ट ने कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है. हाई कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देना क्रूरता की श्रेणी में आता है.

अदालत ने कहा कि तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन है. यहां तक कि पवित्र कुरान में भी तीन तलाक को अच्छा नहीं माना गया है. अदालत ने दो टूक कहा कि मुस्लिम समाज का एक वर्ग इस्लामिक कानून की गलत व्याख्या कर रहा है. दो अगल-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुनीत कुमार की एकलपीठ ने ये फैसला दिया.

ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर सियासत जारी
गौरतलब है कि ट्रिपल तलाक के मामले को लेकर केंद्र सरकार और मुस्लिम संगठन आमने-सामने हैं. केंद्र सरकार ने ट्रिपल तलाक का विरोध किया था तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस धार्मिक मामलों में दखल करार दिया था. केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू कह चुके हैं कि लैंगिक भेदभाव करने वाली इस प्रथा को न्याय, गरिमा और समानता के सिद्धांत के आधार पर खत्म करने का समय आ गया है. देश को इसे जल्द खत्म करना चाहिए. वहीं एआईएमआईएम के प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक फायदा लेने के लिए तीन तलाक का मुद्दा उठा रहे हैं. ऑल इंडिया तंजीम उलामा-ए-इस्लाम (AITUI) के नेताओं ने कहा है कि देश के मुसलमान अपने पर्सनल लॉ में दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे और तीन तलाक के मुद्दे पर आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी को ‘माकूल’ जवाब देंगे.

दूसरे देशों का उदाहरण
तीन तलाक को खत्म करने के समर्थक कहते हैं कि दूसरे इस्लामिक देशों जैसे सऊदी अरब, मलेशिया, इराक और पाकिस्तान में भी इस तरह के नियम व्यवहार में नहीं हैं. इन देशों में महिलाओं को कानूनी तौर पर बराबरी का दर्जा दिया गया है. लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दलील है कि मुस्लिम विवाह, तलाक और गुजारा भत्ते को कानून का विषय नहीं बनाया जा सकता. इसमें ना तो कोई कोर्ट दखल दे सकता है और ना ही सरकार.

मुस्लिम महिलाएं भी तीन तलाक के खिलाफ
भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (BMMA)ने तीन बार तलाक कहने को बैन करने के लिए एक अभियान शुरू किया है. इसके तहत एक याचिका तैयार की गई है. BMAA ने नेशनल कमिशन फॉर वुमेन (NCW)से भी इस अभियान को अपना समर्थन देने के लिए संपर्क किया है. याचिका पर गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, केरल, उत्तर प्रदेश राज्यों के मुस्लिमों ने हस्ताक्षर किए हैं. नेशनल कमिशन फॉर वुमेन की चीफ डॉक्टर ललिता कुमारमंगलम को लिखी चिट्ठी में BMAA ने कहा है कि ‘मुस्लिम महिलाओं को भी संविधान में अधिकार मिले हैं, अगर कोई कानून समानता और न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है तो उस पर रोक लगनी चाहिए. ठीक उसी तरह जैसे दूसरे समुदायों में होता है. चिट्ठी में यह भी लिखा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ को पूरी तरह से बदलने में समय लगेगा, लेकिन तब तक ‘ट्रिपल तलाक’ पर बैन लगाने से लाखों मुस्लिम महिलाओं को राहत मिलेगी.’

You may have missed