आत्महत्या करने जैसा होगा संविधान बदलने का प्रयास : पीएम मोदी
नई दिल्ली 27 नवम्बर(इ खबरटुडे)।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन आरोपों को ‘भ्रम फैलाना’ बताया कि संविधान बदलने के प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करना आत्महत्या करने जैसा होगा। असहिष्णुता की बहस के बीच साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार का एक ही धर्म है इंडिया फर्स्ट, सरकार का एक ही धर्मग्रंथ है भारत का संविधान।
देश संविधान के अनुसार चला है और आगे भी संविधान के अनुसार ही चलेगा
सर्व पंथ समभाव को आईडिया आफ इंडिया बताते हुए उन्होंने कहा कि देश संविधान के अनुसार चला है और आगे भी संविधान के अनुसार ही चलेगा। लोकसभा में संविधान के प्रति प्रतिबद्धता पर दो दिवसीय विशेष चर्चा का आज जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘यह भ्रम फैलाया जा है कि संविधान बदलने के बारे में सोचा जा रहा है। न कभी कोई संविधान बदलने के बारे में सोच सकता है और मैं समझता हूं कि कोई ऐसा सोचेगा तब वह आत्महत्या करेगा।’
संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के साथ जोड़े गए सेक्युलर शब्द पर सवाल उठाये जाने के बीच प्रधानमंत्री का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि कल गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस चर्चा में भाग लेते हुए सेक्युलर शब्द पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इसका सबसे अधिक राजनीतिक दुरूपयोग हो रहा है। इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार इस शब्द या उसकी व्याख्या बदलना चाहती है।
सभी वर्गों और जन-जन को साथ लेकर राष्ट्र को मजबूत बनाना है- प्रधानमंत्री
संविधान बदलने की बात को भ्रम बताते हुए मोदी ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि हमारा ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि दलितों, शोषितों और पीड़ितों के भाग्य को कैसे बदला जाए, इस बात पर होना चाहिए।’ सर्व पंथ समभाव को आईडिया आफ इंडिया बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह भाषा, वह भाषा, यह भूभाग, वह भूभाग की बातों से ऊपर उठकर समाज के सभी वर्गों और जन-जन को साथ लेकर राष्ट्र को मजबूत बनाना है।
संविधान की पवित्रता बनाये रखना हम सबका दायित्व और जिम्मेदारी
मोदी ने कहा कि संविधान की पवित्रता बनाये रखना हम सबका दायित्व और जिम्मेदारी है, हमें अल्पसंख्यक-अल्पसंख्यक करने की बजाए सर्वानुमति बनाने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह ठीक है कि आखिरी चीज अल्पमत और बहुमत से बनती है लेकिन लोकतंत्र में ज्यादा ताकत तब बनती है जब हम सहमति से चले। सहमति नहीं बनने पर अल्पमत या बहुमत की बात आती है लेकिन यह अंतिम विकल्प होना चाहिए जब सहमति बनाने के हमारे सारे प्रयास विफल हो जाएं।
जहां संवैधानिक तरीके खुले हों, वहां असंवैधानिक तरीके अराजकता की ओर ले जाते हैं..
मोदी ने कहा कि हमारे लिये संविधान आज और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा देश विविधताओं वाला है और सबकी अलग अलग आकांक्षाएं हैं। लोकतंत्र को बनाये रखने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने बाबा साहब अंबेडकर को उद्धृत करते हुए कहा कि हमें लोकतंत्र को बनाये रखना है तब पहली चीज है कि हम अपने सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों की दिशा में संविधान के तरीकों का दृढ़ता से पालन करने हुए बढ़े। जहां संवैधानिक तरीके खुले हों, वहां असंवैधानिक तरीके अराजकता की ओर ले जाते हैं..