November 16, 2024

लोकसभा के पूर्व स्‍पीकर और ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ सोमनाथ चटर्जी का निधन

नई दिल्‍ली,13 अगस्त(इ खबरटुडे)। देश के पूर्व लोकसभा स्पीकर और वरिष्ठ सीपीएम नेता सोमनाथ चटर्जी का दिल का 89 साल की उम्र में दौरा पड़ने से निधन हो गया है। चटर्जी को रविवार को ही गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने सोमनाथ चटर्जी के निधन पर शोक जताया है। सोमनाथ चटर्जी सन 1968 में सीपीएम के सदस्य बने. ज्योति बसु का सोमनाथ चटर्जी पर स्नेह बना रहा।सोमनाथ चटर्जी के लिए राष्‍ट्रहित सर्वोपरि रहा। उन्‍होंने दलगत राजनीति का हिस्‍सा होते हुए भी इसे अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने दिया। वह जब तक लोकसभा के स्‍पीकर रहे, सदैव संसद की गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रयासरत रहे। सोमनाथ चटर्जी को किडनी की बीमारी के चलते दस अगस्त को दोबारा अस्पताल में भर्ती हुए थे। इससे पहले गत 28 जून को मस्तिष्क रक्स्राव के बाद सोमनाथ चटर्जी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके इलाज के पांच सदस्यीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था, जो उनकी हालत पर कड़ी निगरानी रख रही थी।
कोलकाता और कैम्ब्रिज में की पढ़ाई
सोमनाथ चटर्जी का जन्म असम के तेजपुर में 25 जुलाई, 1929 को हुआ था। वह मशहूर वकील और हिंदू महासभा के संस्थापक अध्यक्ष निर्मलचंद्र चटर्जी के पुत्र थे। उनकी शुरुआती पढ़ाई कोलकाता और उच्‍च शिक्षा कैम्ब्रिज विश्‍वविद्यालय में हुई। श्रमिक नेता और वकील सोमनाथ जी प्रभावशाली वक्ता हैं। वह 1989 से 2004 तक लोकसभा में सीपीएम संसदीय दल के नेता रहे। 2004 में वह सर्वसम्मति से लोकसभा के स्पीकर चुने गए थे।
सर्वश्रेष्ठ सांसद सोमनाथ चटर्जी
सोमनाथ चटर्जी 1971 में पहली बार सांसद चुने गए और इसके बाद उन्‍होंने राजनीति के क्षेत्र में कई मुकाम हासिल किए। चटर्जी दस बार लोकसभा सदस्य के रूप में चुने गए। उन्होंने 35 सालों तक सांसद के तौर पर देश की सेवा की और 1996 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ रहे सोमनाथ चटर्जी पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष भी थे। उस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल में उद्योग लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण काम किए। लेकिन चटर्जी जीवन का एक चुनाव पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हार गए थे। 1984 में जादवपुर सीट पर हुए लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने तब सीपीएम के इस कद्दावर नेता को हराया था।
अपनी जेब से विदेश दौरे पर परिवार का उठाते थे खर्च
सोमनाथ चटजी उसूलों के पक्‍के और बेहद ईमानदार शख्‍स थे। जब उनका सरकारी कामों के लिए विदेश जाना होता था, तो वह अपने परिजन का पूरा खर्च अपनी जेब से देते थे। इतना ही नहीं स्पीकर की जिम्मेदारी संभालते समय भी उन्होंने अपने सरकारी आवास पर पहले से हो रहे कुछ गैर जरूरी सरकारी खर्चों में कटौती कर दी थी। देशहित में सोचने वाले ऐसे नेता बेहद कम हैं।

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