रिजर्व बैंक के अधीन जा सकती है देवास बैंक नोट प्रेस
देवास,26अक्टूबर (इ खबरटुडे)। अभी तक केंद्र सरकार के उपक्रम के रूप में काम कर रही बैंक नोट प्रेस भविष्य में रिजर्व बैंक का हिस्सा हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि नोटबंदी के बाद बेहतर उत्पादन को देखते हुए इस पर विचार किया जा रहा है। इसके चलते बुधवार को रिवर्ज बैंक के 8-9 अफसरों की टीम देवास पहुंची।
वर्तमान में देश में चार प्रेस हैं, जहां नोटों की छपाई होती है। इनमें से देवास बैंक नोट प्रेस और नासिक की प्रेस भारत सरकार के उपक्रम सिक्योरिटी प्रिटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसपीएमसीआईएल) का हिस्सा है, जबकि मैसूर और सालबोनी (प. बंगाल) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल) के अधीन है। बीआरबीएनएमपीएल एक नामित कंपनी है, जो करेंसी नोट की डिजाइन, प्रिंटिंग प्लेट्स और गर्वनर के हस्ताक्षर एसपीएमसीआईएल को उपलब्ध कराती है।
सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के बाद देवास बैंक नोट प्रेस में बड़े स्तर पर पांच सौ रुपए के नोटों की छपाई हुई थी। इसकी तुलना में रिजर्व बैंक की मैसूर व सालबोनी प्रेस में नोटों की उतनी छपाई नहीं हो सकी थी जितनी होना चाहिए थी। सूत्रों की मानें तो देवास की उत्पादन क्षमता को देखते हुए केंद्र स्तर पर बीएनपी देवास को आरबीआई के अधीन करने पर विचार किया गया है। इसको लेकर बुधवार को रिजर्व बैंक के 8-9 लोगों की टीम देवास पहुंची है। टीम ने देवास प्लांट का दौरा करने के साथ ही स्थानीय अफसरों के साथ लंबी बैठक भी की।
ये हो सकता है फायदा
सूत्रों की मानें तो बीएनपी के रिजर्व बैंक के अधीन होने के बाद कर्मचारियों को फायदा भी होगा और संभावना है कि कुछ नुकसान भी हो। फायदे की बात की जाए तो कर्मचारियों की ग्रेड के साथ तनख्वाह भी बढ़ सकती है। इसके अलावा नोटों की छपाई भी बढ़ सकती है। वहीं नुकसान की बात की जाए तो संभावना है कि कर्मचारियों को ओवर टाइम न मिले।
इसलिए बीएनपी बेहतर
देवास बीएनपी ने नोटबंदी के बाद पांच सौ के नोटों की छपाई को लेकर बेहतर काम किया। पिछले साल बीएनपी को करीब 3600 मिलियन नोट छापने का लक्ष्य मिला था, लेकिन कर्मचारियों ने दिनरात काम कर लक्ष्य पूरा करते हुए 3913 मिलियन नोट छापे थे। इसके बाद 20 के नोटों का लक्ष्य दिया गया, जो की पूरा कर दिया गया है। अब 200 के नोट छापने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इसी को देखते हुए बीएनपी को रिजर्व बैंक के अधीन करने की कवायद की जा रही है।
एसपीएमसीआईएल के अधीन करें रिजर्व बैंक की प्रेस
भारतीय करेंसी एंड कॉइंस कर्मचारी महासंघ के कार्यवाहक अध्यक्ष एलएन मारू का कहना है कि हमने जुलाई 2016 में रिजर्व बैंक की मैसूर व सालबोनी प्रेस को सिक्योरिटी प्रिटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के अधीन करने की मांग की थी। क्योंकि रिजर्व बैंक सप्लायर है तो वह नोटों का उत्पादन न करे। 1998 के पहले नोटों की कमी को देखते हुए रिजर्व बैंक को नोट छापने के लिए केवल वनटाइम अनुमति दी गई थी। अगर ऐसी कोई योजना है तो सरकार पहले हमें प्रस्ताव देगी और फिर उस पर चर्चा होगी।
इधर, 200 के नोट का पहली खेप भेजी
बीएनपी में इस समय 200 का नोट सबसे ज्यादा छापे जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार मंगलवार को 200 के नोट की पहली खेप मुंबई भेजा गई है। बीएनपी को 200 रुपए के 400 मिलियन नोट छापने का लक्ष्य मिला है। वर्तमान में 200 के अलावा 100 के नोट भी छापा जा रहे हैं।