मतदान प्रतिशत के आंकडों ने बढाई धडकनें
अलग अलग स्थानों का अलग अलग आंकडा,पार्टियों के अपने विश्लेषण
रतलाम,21 नवंबर (इ खबरटुडे)। लोकसभा उपचुनाव के लिए शनिवार को हुए मतदान के बाद तमाम प्रत्याशियों का भाग्य जहां मशीनों में बन्द हो गया है,वहीं चुनाव प्रचार को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना चुके वरिष्ठ नेताओं की राजनैतिक हैसियत भी दांव पर लग गई हैं। जिले की तीन विधानसभा क्षेत्रों में मतदान के ट्रैण्ड अलग अलग रहे हैं और नेताओं द्वारा इनके अलग अलग विश्लेषण किए जा रहे हैं। रतलाम शहर का मतदान प्रतिशत कम होना भाजपा को चिंता में डाल रहा है।
जैसा कि अनुमान था,रतलाम शहर के मतदाताओं ने मतदान के प्रति जबर्दस्त उदासीनता का प्रदर्शन किया। रतलाम शहर में सुबह से मतदान के प्रति उदासीनता का माहौल था और मतदान केन्द्रों पर कम संख्या में मतदाता पंहुच रहे थे। मीडीया कर्मियों के लिए भी यह परेशानी का विषय था। किसी भी मतदान केन्द्र पर मतदाताओं की कतारें नजर नहीं आ रही थी और प्रेस फोटोग्राफर फोटो नहीं बना पा रहे थे। रतलाम में 52 प्रतिशत मतदान होने की खबरें हैं।
शहर के डोसीगांव क्षेत्र के ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया था। बाद में मप्र वित्त आयोग के अध्यक्ष हिम्मत कोठारी के आश्वासन पर दोपहर बाद यहां के मतदाताओं ने जैसे तैसे मतदान शुरु किया। मतदान समाप्ति तक यहां मात्र 37 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था। शहर के अल्पसंख्यक इलाकों में भी मतदान के प्रति उदासीनता का वातावरण नजर आया। यह बात कांग्रेस को चिन्ता में डालेगी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में शहर के 65 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था। इस बार मतदान का प्रतिशत मात्र 52 प्रतिशत रहा है। इसका पहला अनुमान यहीं है कि भाजपा की लीड में कमी आ रही है। मतदान में दस प्रतिशत की कमी भाजपा को 20 हजार मतों का नुकसान कर सकती है।
दूसरी ओर रतलाम ग्रामीण के मतदाताओं ने जमकर मतदान किया और यहां मतदान का प्रतिशत विगत लोकसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत के बराबर लगभग 72 प्रतिशत रहा। रतलाम ग्रामीण में मतदान का अच्छा प्रतिशत,भाजपा के लिए प्रसन्नता का विषय हो सकता है। विगत लोकसभा चुनाव में इतने ही मतदान प्रतिशत पर भाजपा ने 25 हजार की जीत दर्ज की थी। यदि मतदाताओं ने इसी हिसाब से मतदान किया है,तो यह भाजपा के लिए फायदेमन्द हो सकता है। हांलाकि कांग्रेस के नेता इस मतदान को सरकार के खिलाफ नाराजगी का मतदान बता रहे हैं। रतलाम ग्रामीण में कांग्रेस के सभी गुटों के नेता एकजुट होकर चुनाव में जुटे थे। इसका कुछ लाभ कांग्रेस को जरुर मिलेगा। यदि वास्तव में मतदाताओं ने सरकार के खिलाफ नाराजगी में वोट दिए है,तो यह भाजपा के खिलाफ जा सकता है। लेकिन इसकी संभावना कम ही है। रतलाम ग्रामीण में भाजपा को ही लाभ मिलने की संभावना है।
जिले का तीसरा विधानसभा क्षेत्र सैलाना भी कांग्रेस के लिए फायदेमन्द नजर आ रहा है। यहां 75 प्रतिशत मतदान होने की सूचना है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को सैलाना से पराजय मिली थी। उस समय मोदी लहर चल रही थी,इसके बावजूद सैलाना के मतदाताओं ने भाजपा के खिलाफ मतदान किया था। इस चुनाव में कोई लहर नहीं है। इसलिए कांग्रेस के नेता मानकर चल रहे हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन फिर से दोहराया जाएगा। इसके विपरित भाजपा नेताओं को जनता दल यू छोडकर भाजपा में शामिल हुए नेता नारायण मईडा से उम्मीदें है। उन्हे लगता है कि जनता दल यू के काफी सारे वोट भाजपा की झोली में गिरेंगे और इस तरह भाजपा सैलाना में बाजी मार लेगी।
बहरहाल,विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत के आंकडों की चीरफाड का दौर शुरु हो चुका है। अगले दो दिनों तक यह सिलसिला जारी रहेगा। मतदान के ये आंकडे नेताओं की धडकनें भी बढा रहे हैं। मौन मतदाता के मन की बात कोई नहीं जानता। मतदाता के मन की बात २४ नवंबर को मशीनें खुलने के बाद ही सामने आएगी।