नेपाल हुआ ‘लाल’: वामपंथ गठबंधन की भारी विजय
काठमांडू,12 दिसम्बर(इ खबरटुडे)। नेपाल में वामपंथ गठबंधन भारी जीत की ओर अग्रसर है। अब तक आए चुनावी नतीजों में नेपाल में लगभग सभी सीटों पर वामपंथी गठबंधन ने अपना परचम लहराया है, इस महागठबंधन ने 84 सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया है। वामपंथी गठबंधन में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली की सीपीएन पार्टी सबसे ज्यादा सीटें जीत रही है। यह पहला मौका है जब नेपाल में सभी वामपंथी दल एकजुट होकर नेपाल कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
स्थिर सरकार की मांग
स्थिर सरकार की मांग पिछले 27 साल में नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिली है। अब तक इस हिमालयी देश में किसी भी पार्टी को अपना कार्यकाल पूरा करने का मौका नहीं मिला है। इस चुनाव में सत्तारूढ़ नेपाल कांग्रेस को अब तक सिर्फ 28 सीटों पर ही जीत मिली है। हालांकि, नेपाल में पहली बार किसी पूर्ण बहुमत की सरकार बनती दिख रही है। इस बार संसदीय चुनाव मे कड़ाके की ठंड में भी नेपाल की 66 प्रतिशत जनता ने बाहर निकलकर वोट किया। नेपाल की जनता ने वाम गठबंधन को अपने देश का भविष्य चुना है, जिसका नतीजे आने वाले वक्त में पता चलेगा।
मधेसी आदोंलन ने पहुंचाया ठेस
मधेसी आदोंलन ने पहुंचाया ठेस मधेसी आदोंलन ने नेपाल के लोगों को निराश किया है, यही कारण है कि उन्होंने नेपाल कांग्रेस जनता को फिर से सत्ता में लाना नागवार गुंजरी है। मधेसी आंदोलन के दौरान भारत-नेपाल के बीच ऑपन बॉर्डर कई दिनों तक बंद रही थी, जिससे वहां के लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। मधेसी आंदोलन के दौरान नेपाल में गैस और कच्चे तेल के दाम बढ़ने से मंहगाई भी बढ़ गई थी।
विकास के लिए चीन की ओर रुख
विकास के लिए चीन की ओर रुख हाल की दिनों में नेपाल का चीन की तरफ झुकाव बढ़ा है। नेपाल को लगता है कि अगर चीन पाकिस्तान और श्रीलंका में भारी निवेश कर सकता है, यहां पर इस प्रकार की संभावनाएं बन सकती है। नेपाल में एक स्थिर सरकार आने से BRI (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) में गति मिलेगी, जो कि पिछले काफी वक्त से बंद पड़ा है। वहीं, नेपाल में 12000 MW की बुद्धी गंडकी हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट के लिए भी काम शुरू होगा, जिस पर चीन की कंपनी भारी निवेश कर रही है। नेपाल में वामपंथी सरकार बनने के बाद चीन का प्रभाव बढ़ेगा। इसके अलावा चीन और नेपाल के बीच रेल लाइन बिछाने की भी योजना है।
प्रचंड और ओली की जोड़ी
प्रचंड और ओली की जोड़ी नेपाल में प्रचंड और केपी ओली दोनों को सत्ता का अनुभव है। भारत को लेकर प्रचंड थोड़े सॉफ्ट रहे हैं, लेकिन ओली का इस मामले में रवैया काफी सख्त रवैया रहा है। ओली ने अपने चुनावी रैलियों में भी भारत पर हमला बोला था। वहीं, चीन से बेहतर और नए संबंध बनाने के लिए ओली काफी उत्साहित भी है। पूरी तरह से नतीजे घोषित होने के बाद नेपाल में केपी ओली एक बार पीएम बनेंगे।
वामपंथ-गठबंधन से बदलेगी भारत-नेपाल की विदेश नीति
वामपंथ-गठबंधन से बदलेगी भारत-नेपाल की विदेश नीति वामपंथी पार्टियों ने तो अपने चुनावी मैनिफेस्टो में यहां तक कह दिया है कि अगर उनकी सरकार आती है तो नेपाल-भारत के बीच 1950 में बनी शांति और मैत्री संधि को खत्म कर फिर से नए तरीके से टेबल पर रखा जाएगा। हालांकि, उनके सहयोगी पुष्प कुमल दाहाल ‘प्रचंड’ अब तक भारत को लेकर चुप ही रहे हैं, लेकिन इतना तय है कि नेपाल की वामपंथ सरकार कई सालों से चली आ रही दोनों देशों की राजनीति को बदलेगी।