‘नाबालिग लड़कियों के लिए बने विशेष कानून का दुरुपयोग न करें माता-पिता’
नाबालिग बेटियां व्यक्तिगत प्रतिशोध को संतुष्ट करने के लिए फंसाने के लिए इस्तेमाल
मुंबई,10 अक्टूबर(इ खबरटुडे)। व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए यौन हमलों से बच्चों को बचाने के लिए माता-पिता विशेष कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं जिसके चलते बॉम्बे हाईकोर्ट ने फटकारा है।
अग्रिम जमानत के आवेदन पत्र के दो सेट पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति साधना जाधव ने कहा कि इस तरह के मामले वास्तविक पीड़ितों और महिलाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वे कहती हैं ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नाबालिग बेटियां व्यक्तिगत प्रतिशोध को संतुष्ट करने के लिए फंसाने के लिए इस्तेमाल की जा रही है।’
एफआईआर गलतफहमी की वजह से दायर
यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण (पोस्को) के तहत एक दूसरे के खिलाफ शिकायतों से जुड़े आवेदन हाईकोर्ट के सामने आए। इसमें बारामती से दो नाबालिगों के माता-पिता ने एक दूसरे के परिवार के पुरुष सदस्यों के खिलाफ पोस्को अधिनियम के तहत शिकायतें दर्ज की। जब अग्रिम जमानत के आवेदन पत्र कोर्ट के समक्ष पेश हुए तब माता-पिता ने हलफनामा दायर किया कि उन्होंने अपने विवाद सुलझा लिए हैं और एफआईआर गलतफहमी की वजह से दायर की गई थी।
नाबालिग बच्चियों के सम्मान और गरिमा को खतरे में डाल दिया
न्यायधीश ने टिप्पणी की है कि एक समय पर क्रॉस कम्प्लेंट्स भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दर्ज की जाती थी जो कि धोखाधड़ी, गंभीर चोट या हत्या की कोशिश पर होती थी। लेकिन जज का कहना था कि माता-पिता अब पोस्को अधिनियम का दुरुपयोग कर रहे हैं और यह नुकसान बच्चियों पर परिलक्षित हो रहा है। समाज इस हद तक बिखर गया है कि नाबालिग बच्चियों के सम्मान और गरिमा को खतरे में डाल दिया है, वह भी मात्र अपने प्रतिशोध की संतुष्टि के लिए।’
अदालत ने किसी आरोपी को गिरफ्तारी से संरक्षण देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा ‘इन परिस्थितियों में और ऐसे प्रावधानों के दुरुपयोग, कानून और प्रावधानों की प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए आवेदक पूर्व गिरफ्तारी जमानत के योग्य नहीं है।’
यह दो परिवार बारामती के निवासी हैं। 20 अगस्त, 2016 को एक परिवार ने बारामती तालुका पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज कराई थी कि अन्य परिवार के तीन युवाओं ने 17 साल की बेटी पर घात किया और उसे गलत तरीके से छुआ। उसकी दिन दूसरे परिवार ने उसी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि पहले परिवार के दो
पुरुष सदस्यों ने उनकी नाबालिग बेटी को निवस्त्र करने की कोशिश की जब वह अपने स्कूल जा रही थी। कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए जब अग्रिम जमानत के आवेदन आए तो परिवार ने हलफनामा दायर करते हुए कहा कि परिवारों ने सौहार्दपूर्ण ढंग से इस मुद्दे को सुलझा लिया है।