दुर्गम रास्ते से 4 किमी पैदल चल 13 बच्चों को पढ़ाने पहुंचता है दिव्यांग शिक्षक
बड़वानी,21सितम्बर(ई खबर टुडे)। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के पाटी विकासखंड की ग्राम पंचायत वलन के कोठारी फलिया (छोटा रहवासी क्षेत्र) में चल रहे सैटेलाइट प्राथमिक स्कूल तक पहुंचने का रास्ता आसान नहीं है। इसके बावजूद यहां के 13 बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी एकमात्र दिव्यांग शिक्षक सायसिंग पिता सिलदार बखूबी निभा रहे हैं।
फलिए का रास्ता ऊबड़-खाबड़ और पथरीला है। साथ ही स्कूल भवन में भी जरूरी सुविधाएं नहीं हैं। सायसिंग पिछले आठ साल से दूरस्थ क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगाने के लिए हर दिन 4 किमी की दूरी पैदल तय कर रहे हैं। हर मौसम में वे समय पर स्कूल पहुंचते हैं।
पाटी से 11 कि मी दूर कोठारी फलिया में करीब 10 कच्चे घर हैं। बच्चों की पर्याप्त संख्या न होने से जिला शिक्षा केंद्र ने 2010 में यहां सैटेलाइट प्राथमिक विद्यालय आरंभ किया। शिक्षक के रूप में तभी सायसिंग को नियुक्त किया गया। सायसिंग पाटी में रहते हैं। सुबह वे दोपहिया से बेनी नदी तक पहुंचते हैं। वहां खेत के पास स्कू टर खड़ाकर पैदल स्कूल जाते हैं। स्कूल तक पहुंचने में उन्हें करीब एक घंटा लगता है। रास्ते में नाला भी पार करना पड़ता है। बारिश में नाले में पानी होने पर इंतजार भी करना पड़ता है। पानी उतरने पर ही आगे बढ़ पाते हैं।
सीमेंट का पोल बनवाया
इस स्कूल भवन की छत जर्जर हो चुकी है। सायसिंग ने अधिकारियों को इसकी जानकारी दी लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो उन्होंने पहले तो बल्ली लगाकर छत को सहारा दिया। कुछ दिन ऐसे ही चला। बाद में उन्होंने स्वयं के खर्च से सीमेंट को पोल बनवाकर छत को अस्थायी सहारा दिया। हालांकि अब भी भवन पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। शौचालय के दरवाजे चोरी हो चुके हैं और रसोई कक्ष में ग्रामीणों ने मवेशियों के लिए भूसा जमा कर रखा है।
ऐसे में फलिए के ही एक घर से बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन बनकर आता है। सायसिंग का कहना है कि मुझे बच्चों को पढ़ाने का शौक है। मैं चाहता हूं कि दूरस्थ गांवों के बच्चे भी पढ़-लिखकर आगे बढ़ें। स्कूल तक पहुंचने की दिक्कतों को उठाने में मुझे कोई परेशानी नहीं है, लेकिन कम से कम बच्चों की सुरक्षा और सुविधा का तो ध्यान रखा जाना चाहिए। बच्चों को अच्छा सुविधा मिलेगी तो वे मन लगा कर पढ़ेंगे।
जिम्मेदारों को खबर नहीं
जनजाति विकास विभाग के सहायक आयुक्त विवेक पांडेय ने बताया कि कोठारी फलिया में यदि ऐसी परिस्थितियां हैं तो जल्दी ही पता लगाएंगे और परेशानी को दूर किया जाएगा। जिला शिक्षा केंद्र के डीपीसी संजय तोमर ने बताया कि आपके माध्यम से शाला की स्थिति के बारे में पता चला है, पहले जानकारी नहीं थी। जल्द ही वहां की समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास करेंगे।
यह है सैटेलाइट स्कूल
शासन प्राथमिक विद्यालय वहां शुरू करता है, जहां कम से कम 60 बच्चे होते हैं। इससे कम संख्या होने पर शासन सैटेलाइट स्कूल स्थापित करता है। यहां सिर्फ एक शिक्षक की नियुक्ति की जाती है। बाद में बच्चों की संख्या बढ़ने पर उन्हें पास के किसी प्राथमिक स्कूल में दाखिला दिलवा दिया जाता है।