December 25, 2024

जेल में 12 कैदियों ने पास की एंट्रेंस, कर रहे एमबीए की पढ़ाई

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इंदौर,11 जून(इ खबरटुडे)। इंदौर की सेंट्रल जेल के भी कुछ कैदी जिंदगी के कठिन सफर को मुमकिन बनाने में जुटे हैं। यहां आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी एमबीए की पढ़ाई कर रहे हैं। प्रदेश में पहली बार 14 कैदी प्रवेश परीक्षा में बैठे। उनमें से 12 ने पास हो गए। अब सजा के साथ-साथ अगले तीन साल में वे एमबीए हो जाएंगे। इन्हें उम्मीद है कि सजा पूरी कर जब बाहर निकलेंगे तो जीवन को नए तरीके से संवारेंगे।

सेंट्रल जेल में इग्नू का शिक्षा केंद्र 2009 से संचालित है। तबसे यहां 500 कैदी गे्रजुएट हो चुके हैं। इस साल इसमें एमबीए को भी जोड़ा गया है। प्रदेश की आठ केंद्रीय जेलों और दो जिला जेलों में इग्नू के एजुकेशन सेंटर चल रहे हैं, लेकिन इंदौर सेंट्रल जेल प्रदेश की एकमात्र ऐसी जेल रही, जिसमें इस साल एमबीए कोर्स के लिए कैदी बैठे।
एमबीए कोर्स पूरा करने वाले कैदियों के लिए कंपनियों और एनजीओ से कैम्पस प्लेसमेंट का इंतजाम भी किया जाएगा। जेल नियमों के मुताबिक, यहां से पढ़ाई कर पास होने वाले कैदियों को सजा में छूट भी मिलती है।
यहां से जो सीखा, यहीं बांट रहा हूं
सांवेर के लखमनखेड़ी गांव के राकेश धानक हत्या के जुर्म में बंद हैं। 12वीं तक पढ़े राकेश ने जेल से ही बीकॉम और एमकॉम किया। अब एमबीए की एंट्रेंस पास कर ली। राकेश के मुताबिक, क्रोध में आकर जो किया, वह गलत ही था। सजा पूरी होने के बाद खुद का रोजगार करूंगा।
अवसर मिला है तो कैसे छोड़ दूं
इंदौर में रेवती रेंज क्षेत्र के विष्णुप्रसाद बुड़ानिया हत्या के मामले में सात साल से आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। सजा का लगभग इतना ही समय बाकी है। समाजशास्त्र में एमए बुड़ानिया स्कूल में पढ़ाते-पढ़ाते एमबीए करना चाहते थे कि इसी बीच हालात ऐसे हुए कि पड़ोसी से विवाद में हत्या के आरोपी बन गए। उनका एमबीए का सपना अब जेल में पूरा होने जा रहा है। उनके मुताबिक, एक बार पुन: अवसर मिला है तो इसे कैसे छोड़ते। सजा पूरी होने के बाद अपनी इस पढ़ाई का उपयोग किसी एनजीओ से जुड़कर करना चाहते हैं।
मैनेजमेंट के बाद कानून की पढ़ाई
खरगोन जिले की महेश्वर तहसील के कवड़िया गांव के गजानंद मांगीलाल नागरे संविदा शिक्षक थे। अब पत्नी की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास काट रहे हैं। वह जेल में एमबीए की पढ़ाई यह सोचकर कर रहे हैं कि सजा पूरी होने के बाद की जिंदगी बेहतर बना सके। जेल से बाहर निकलकर कानून की पढ़ाई भी करना चाहते हैं। मां-बाप मजदूरी करते हैं और गजानंद की सजा के कारण सात साल के बेटे की पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पा रही है। नागरे की सजा पांच साल तीन माह हो चुकी है। उनकी सजा के लगभग नौ साल और बाकी है।
कभी आरएसएस के कार्यकर्ता रहे इंदौर के कुलकर्णी भट्टा निवासी विशाल गावड़े हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। वह सिविल में डिप्लोमा कर चुके थे और बड़वानी जिले में विहिप के संगठन मंत्री का दायित्व संभाल रहे थे। भाई की हत्या ने उनका जीवन बदल दिया। बदले की आग में वे अपराधी बन गए। अब जेल में टीचर हैं और आगे की पढ़ाई कर रहे हैं। सजा के बाद फिर आरएसएस के लिए काम करने की इच्छा है। गावड़े की 14 साल की सजा में से लगभग 11 साल की सजा हो चुकी है।
प्रदेश से अब तक 5 हजार कैदी हुए ग्रेजुएट और डिप्लोमाधारी
  • प्रदेश की जेलों में चल रहे इग्नू के एजुकेशन सेंटरों से अब तक 5 हजार कैदी ग्रेजुएशन की डिग्री और डिप्लोमा ले चुके हैं। भारत की जेलों में ऐसे 100 केंद्र चल रहे हैं जिसमें तिहाड़ जैसी जेलें भी शामिल हैं।
  • इंदौर सेंट्रल जेल में इस साल 250 कैदी बीए, बीकॉम, एमकॉम की परीक्षा में बैठे हैं। इसके अलावा 10वीं में 100 और बेसिक प्रीलिमनरी प्रोग्राम (बीपीपी) की परीक्षा 70 कैदी देने वाले हैं।
  • कैदियों की क्लास सुबह साढ़े आठ से 10.30 बजे तक लगती है। वे अन्य काम भी करते हैं। जिन कैदियों को तैयारी करना होता है वह बैरक में रात को भी पढ़ सकते हैं।
हायर एजुकेशन पूरा किया तो अधिकतम साढ़े पांच माह की छूट
जेल नियमों के मुताबिक, यहां से पढ़ाई कर पास होने वाले कैदियों को सजा में छूट भी मिलती है। यहां से 10वीं पास करने वाले कैदी को एक माह, बीपीपी करने वाले को डेढ़ माह और ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले को तीन माह तक सजा में छूट का प्रावधान है। इस तरह जो कैदी सजा के दौरान 10वीं से लेकर ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी कर लेता है उसे अधिकतम साढ़े पांच माह की छूट मिल जाती है।
इनका कहना है
कोशिश रहेगी कि सजा पूरी करने के बाद उन्हें बेहतर नौकरी या रोजगार मिल जाए, ताकि बाद की जिंदगी वे अच्छे इंसान की तरह गुजार सकें। अक्सर अशिक्षा की कोख से ही अपराध जन्म लेते हैं। जेल में शिक्षा से सकारात्मक माहौल बनता है और कैदी क्राइम से दूर होते हैं।

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