जीवन ऐसा जियो कि याद रखें लोग – मुनिराजश्री
सूरत की धार्मिक पाठशाला के 185 बच्चों ने लिया आशीर्वाद
रतलाम 24 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। मनुष्य जीवन सबसे बड़ा होता है । अन्य योनियों की तुलना में इसे सर्वश्रेष्ठ माना गया है । मनुष्य जीवन में फेल हो गए तो नीचे जाना पड़ेगा और पास हुए तो ऊपर जाएंगे । कोई भी व्यक्ति कभी ऊंचाई से नीचे जाना पसंद नहीं करता । इसलिए नर्क में जाने के कर्म नहीं करना चाहिए । पहले सच्चा मनुष्य बनो, फिर श्रावक बनो और संयम का मार्ग अपनाकर मोक्ष को प्राप्त करो । जीवन ऐसा जियो कि लोग याद रखें । देश में कई ऐसे व्यक्ति हुए हैं जिन्हें उनके कार्यों से आज भी याद किया जा रहा है ।
यह बात मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कही। वे लोकसन्त, वत्र्तमानाचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर सूरत की यतीन्द्र सूरि जैन धार्मिक पाठशाला (थरादवाला) के 185 बच्चों ने जयन्तसेन धाम पहुंचकर आचार्यश्री के दर्शन-वन्दन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप परिवार की ओर से श्रवण काश्यप ने सभी बच्चों को पुरस्कृत किया। आयोजक परिवार तथा रतलाम श्रीसंघ की ओर से सूरत श्रीसंघ के रमेश भाई डोसी का बहुमान राजकमल जैन ने किया।
मुनिराजश्री ने उत्तराध्ययन सूर्त का वाचन करते हुए कहा कि हमारा काम भगवान की डाक सब तक पहुंचाना है, उसे मानना या नहीं मानना यह आपका काम है । संसार में साधु का जीवन ही ऐसा है जिसमें कोई संकल्प, विकल्प नहीं होता । इससे कोई चिन्ता नहीं आती और बेफिक्र जीवन व्यतीत किया जा सकता है। हमारे आचार्यश्री कई ग्रंथ लिख गए हैं । सूरज को न मानो पर उसके तेज को तो मानना ही पडता है । इसी प्रकार आचार्यश्री भी अपने ग्रंथों के कारण कालजयी बन गए हैं ।
मुनिराजश्री ने उद्देश्य मजबूत रखने का आव्हान करते हुए कहा कि दुनिया में करोड़ों मनुष्य हैं, लेकिन जीवन उसी का सफल होता है जो ध्येय मजबूत रखता है । ध्येय से गति मजबूत होती है और लक्ष्य हासिल होता है । सीमा पर जवान जैसे 24 घंटे मुस्तैद रहते हैं, उसी प्रकार दुकान पर व्यापारी को भी पूरे समय सजग रहना पड़ता है चाहे ग्राहक आए या नहीं । यदि मोक्ष की प्राप्ति का लक्ष्य है तो उसे हमेशा याद रखना चाहिए और उसकी प्राप्ति के लिए कर्म करते रहना चाहिए । पूर्व के भवों की साधना होती है, तभी वैराग्य होता है । मानव जीवन का लक्ष्य संयम होना चाहिए क्योंकि त्याग में जो आनन्द है, वह भोग में नहीं ।
पारा से आया सर्व-धर्म श्रीसंघ –
लोकसन्तश्री दर्शन-वन्दन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने पारा से अमृतलाल पोखरना बस से सर्व-धर्म समुदाय का श्रीसंघ लेकर जयन्तसेन धाम आए । लोकसन्तश्री ने आशीर्वचन में धर्म के मार्ग पर चलकर राष्ट्र की उन्नति में सहभागी बनने का आव्हान किया । संघपति श्री पोखरना, सूरत से आए अंजुबाई बोहरा, जयश्री शाह, आचार्यश्री के सांसारिक परिजनों हितेश भाई धरु व श्रेणिक भाई धरु का चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप परिवार तथा रतलाम श्रीसंघ की ओर से श्रीमती तेजकुंवरबाई काश्यप, सुरेन्द्र गंग, समीरमल पालरेचा, कांतिलाल भण्डारी, सुजानमल सोनी आदि ने बहुमान किया। दादा गुरुदेव की आरती का लाभ पारा के राजमल, नवीनचन्द्र, अमृतलाल पोखरना परिवार ने लिया।