जयन्तसेन धाम में मिला स्वर्ग का आनन्द
पंचकल्याणक महोत्सव शुरू, च्यवन कल्याणक की जीवन्त प्रस्तुति
रतलाम 13 अगस्त(इ खबरटुडे)।श्री मुनिसुव्रत स्वामी जिनालय एवं श्री राजेन्द्रसूरि गुरुमंदिर के प्रतिष्ठांजनशलाका महामहोत्सव के तहत जयन्तसेन धाम में शनिवार को पंचकल्याणक उत्सव शुरू हो गया। पहले दिन पाण्डाल में च्यवन कल्याणक का राज दरबार सजा, जिसमें स्वप्न दर्शन, इन्द्र सिंहासन कम्पायमान, माता-पिता व इन्द्र-इंद्राणी स्थापना का मंचन किया गया ।
इस दौरान पाण्डाल में स्वर्ग का आनन्द बिखरा। गीत-संगीत की धुनों ने श्रद्धालुओं को रोमांचित कर दिया। राष्ट्रसन्त, आचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में नवकार आराधना की गई । उन्होंने इस मौके पर परमात्मा को ही सच्चा मार्गदर्शक बताया ।
च्यवन कल्याणक उत्सव के दौरान 20 वें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रत स्वामी के गर्भ धारण और उससे पूर्व बालिकाओं द्वारा माता को आए 14 स्वप्नों की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया । राष्ट्रसन्तश्री ने इस मौके पर कहा परमात्मा जीवमात्र को दुख से मुक्ति और सुख की प्राप्ति का मार्ग बताते हैं । उनके द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करने वाला सदैव मोक्ष को प्राप्त होता है। परमात्मा का माता के गर्भ में आना च्यवन कल्याणक कहा जाता है । च्यवन के समय माता को 14 स्वप्न आते हैं और परमात्मा के गर्भ में आते ही तीनों लोकों में आनन्द मंगल आ जाता है।
राष्ट्रसन्तश्री की निश्रा में जयन्तसेन धाम के विशाल मंच पर राजा-रानी, महामंत्री, सेनापति, नगर सेठ, कोषाध्यक्ष एवं दासी के किरदारों ने च्यवन कल्याणक के प्रसंग की जीवन्त प्रस्तुति दी । 14 अगस्त को प्रतिष्ठांजनशलाका महोत्सव के तहत जन्म कल्याणक, 56 दिग्कुमारी उत्सव, इन्द्र महोत्सव, राज्य ज्योतिष आगमन एवं प्रियवंदा बधाई का मंचन होगा ।
आराधना तक ही सीमित न रहे नवकार –
नवकार आराधना के चौथे दिन भी आराधकों ने 20 मालाओं के माध्यम से नवकार महामंर्त का करीब 35 लाख बार जाप किया । मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने आराधकों को संबोधित करते हुए कहा नवकार जाप को आराधना तक ही सीमित न रखें । इसे हर दिन, हर पल जपते रहें । नवकार तारणहार होता है । इसके जाप में बिताया गया समय सार्थक व सफल है । व्यस्त होने पर भी सदैव नवकार के लिए तत्पर रहना चाहिए, क्योंकि जो व्यस्त होता है वह नवकार गिन सकता है, लेकिन जो अस्त-व्यस्त होता है, वह नवकार स्मरण नहीं कर सकता । नवकार सभी पापों से मुक्ति दिलाकर शुद्ध और निर्मल बनाने वाला है । आन्तरिक रोगों से मुक्ति की यह वह औषधि है जिससे क्रोध, लोभ, मोह, माया आदि सभी रोग दूर हो जाते हैं ।