November 23, 2024

चीन की हर हिमाकत का मिलेगा करारा जवाब, भारतीय सेनाओं ने शुरू किया ‘चीता प्रोजेक्‍ट’ पर काम

नई दिल्‍ली,09 अगस्त (इ खबर टुडे)। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच भारतीय सेनाएं अपनी ताकत में इजाफा करने में जुटी हैं। सेनाएं लेजर गाइडेड बमों से लैस हेरोन ड्रोन हासिल करने के प्रोजेक्‍ट पर काम कर रही हैं। सेनाओं की कोशिश दुश्मन के ठिकानों और बख्तरबंद वाहनों को ध्‍वस्‍त करने के लिए एंटी-टैंक मिसाइलें हासिल करने की है। चीता नाम का यह खरीद प्रोजेक्‍ट लंबे समय से लंबित था जिसे दुश्‍मन देशों की ओर से बढ़ रहे खतरे को देखते हुए सशस्त्र बलों द्वारा पुनर्जीवित किया गया है। इस खरीद पर 3,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी।

समाचार एजेंसी एएनआइ ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस प्रोजेक्‍ट के तहत तीनों सेनाओं के लगभग 90 हेरॉन ड्रोनों को लेजर गाइडेड बमों से लैस किया जाएगा। यही नहीं हवा से जमीन पर और हवा से मार करने वाली एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों की भी खरीद होगी। यह प्रोजेक्‍ट उच्च स्तरीय रक्षा मंत्रालय निकाय द्वारा हैंडल किया जा रहा है। इसमें रक्षा सचिव अजय कुमार (Defence Secretary Ajay Kumar) भी शामिल हैं। अजय कुमार तीन सेवाओं के लिए हथियारों की खरीद के प्रभारी भी हैं।

इस प्रस्‍ताव में सशस्त्र बलों ने दुश्मन के ठिकानों पर नजर रखने और जरूरत पड़ने पर हमले के लिए टोही ड्रोनों को हैवी पेलोड से लैस करने का भी प्रस्ताव दिया गया है। इस परियोजना से तीनों सेनाओं की सर्विलांस क्षमता के साथ ही हमला करने की ताकत में इजाफा होगा। वैसे तीनों सेनाएं पहले से ही लद्दाख सेक्टर में सर्विलांस हेरॉन अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) का इस्तेमाल कर रही हैं। मध्यम एल्‍टीट्यूड वाले इन ड्रोनों के भारतीय बेड़े को मानवरहित हवाई वाहनों के रूप में भी जाना जाता है। इनमें मुख्य रूप से इजरायल के हेरॉन ड्रोन शामिल हैं।

हेरॉन ड्रोनों की खासियत है कि ये दुश्‍मन के ठिकानों की टोह लेने के साथ ही उसके ठिकानों को नेस्‍तनाबूंद करने की क्षमता भी रखते हैं। मौजूदा वक्‍त में पूर्वी लद्दाख के दुर्गम इलाकों में भी ये ड्रोन यही काम कर रहे हैं। ये चीनी सेना के ठिकानों और उसके बिल्‍डअप की सटीक जानकारी दे रहे हैं। आक्रामक ऑपरेशनों को अंजाम देने के लिए इन ड्रोनों को अपग्रेड किया जाना बेहद जरूरी है ताकि बिना किसी नुकसान के दुश्मन के ठिकानों को ध्‍वस्‍त किया जा सके। चीता परियोजना के जरिए अपग्रेडेशन की प्रक्रिया के साथ ही घातक हथ‍ियारों की खरीद करना शामिल है।

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