घरेलू हिसां के प्रतिकार हेतु महिलाओं को जागरूक करें – कलेक्टर डा.गोयल
कार्यालय में आंतरिक परिवाद समिति गठन के निर्देश
रतलाम 5 जनवर(इ खबरटुडे)। कलेक्टे्रट सभाकक्ष में आज महिला एवं बच्चों के विरूध्द हिंसा और शोषण की रोक थाम के साथ ही कार्यालयों में महिलाकर्मियों को यौन उत्पीडन से बचाने के लिए बनाए गए कानूनों के प्रति जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण्ा सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए कलेक्टर डा.संजय गोयल ने घरेलू हिंसा के प्रकरणों में महिलाओं को आगे आने के लिए उनको प्रदत्त कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि जब महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होकर अपनी आवाज उठाएंगी तब ही कानूनों की मंशा के अनुरूप उन्हें समुचित रूप से न्याय दिलाया जा सकेगा।डा.गोयल ने महिलाओे को यौन उत्पीडन से संरक्षण के लिए जिले के समस्त कार्यालयों में अनिवार्य रूप से एक माह के अंदर आंतरिक परिवाद समिति गठन करने के निर्देश दिए।
प्रशिक्षण सह कार्यशाला में घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम 2005 के बारे में स्वय सेवी संस्था संविज्ञा भोपाल की डा.वर्षा चन्द्रा ने विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा से बचाने के लिए महिलाओं को कौन-कौन से अधिकार कानूनन प्रदाय किए गए है।डा.वर्षा ने बताया कि घरेलू हिंसा से पीडितों को धारा 18 से धारा 23 के बीच सुरक्षा,निवास,धन राहत,अभिरक्षा,मुआवजा एवं अंतरिम एकपक्षीय आदेश पारित किए जाने के प्रावधान किए गए है।इस एक अधिनियम के माध्यम से घरेलू हिंसा से पीडित महिलाएं चाहे वह बेटी हो,बहन हो, पत्नी हो,भाभी हो या मां हो को सुरक्षा प्रदान करने से लेकर अभिरक्षा एवं मुआवजे के समस्त अधिकार प्रदान करने के लिए प्रशासन कानूनन प्रतिबध्द है।
मध्यप्रदेश में घरेलू हिंसा से संरक्षण प्रदान किए जाने हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत कार्यरत परियोजना अधिकारियों को संरक्षण अधिकारी का दायित्व सौंपा गया है।घरेलू हिंसा से पीडित पक्ष परियोजना अधिकारी के समक्ष जाकर इससे संरक्षण की मांग कर सकता है।परियोजना अधिकारी का दायित्व है कि वह पीडित को गंभीरतापूर्वक सुनकर आवश्यक जांच एवं संतुष्टि के उपरांत कानूनी प्रावधानों के मुताबिक उसकी सहायता करें एवं उसे समुचित न्याय दिलाने के लिए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करें। इसके लिए प्रत्येक परियोजना अधिकारी को (डीआईआर) डोमेस्टिक इन्फारमेशन रिपोर्ट पीडित से भरवाकर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होता है।
कार्यशाला में कार्यालयों में कार्यरत महिलाओं को यौन उत्पीडन से संरक्षण प्रदान किए जाने हेतु महिला कर्मचारी की अध्यक्षता में आंतरिक परिवाद समिति के गठन एवं समिति के कार्यों से भी अवगत कराया गया।कार्यशाला में इसके लिए किए गए कानूनी प्रावधानों की जानकारी प्रदान की गई।
प्रशिक्षण सह कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक डा.आशीष,एडीएम श्री कैलाश वानखेडे, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री प्रशांत चौबे,जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी श्री प्रफुल्ल खत्री,कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्री सी.एल.पासी,मास्टर ट्रेनर श्री बृजेश शर्मा, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारीगण व स्वयसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।