December 25, 2024

अब जम्मू-कश्मीर में प्रशासनिक स्तर पर होंगे बदलाव

kashmir

जम्मू-कश्मीर,07 अगस्त(इ ख़बर टुडे)। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया है. सोमवार को सरकार ने एक विधेयक पारित कर जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेशों के तौर पर मान्यता दे दी. अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हालात बदलने वाले हैं. सवाल है कि बाकी बदलावों के बीच प्रशासनिक स्तर पर क्या बदलाव होंगे? जम्मू कश्मीर का प्रशासन किस तरह से चलेगा?

जम्मू-कश्मीर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों (IAS, IPS और IFS) की जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों में तैनाती होगी. हालांकि बताया जा रहा है कि भविष्य में अरुणाचल प्रदेश गोवा मिजोरम केंद्र शासित कैडर (AGMUT) के प्रशासनिक अधकारियों की तैनाती भी दोनों नए केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में हो सकती है.

केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर और लद्दाख के नए केंद्रशासित प्रदेशों के तौर पर आने के बाद कैडर निर्धारण के नए नियम कायदे बना सकती है.

केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक चलेंगे प्रशासनिक अधिकारी
जम्मू-कश्मीर में फिलहाल कुल 137 IAS अधिकारियों की तैनाती की सीमा है, जबकि IPS अधिकारियों की तैनाती के लिए 147 आधिकारिक संख्या है. अरुणाचल प्रदेश गोवा मिजोरम केंद्र शासित प्रदेश कैडर के लिए आईएएस अधिकारियों की तैनाती की आधिकारिक संख्या 403 और आईपीएस अधिकारियों के लिए 309 है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों जगहों पर तैनाती वाले अधिकारी केंद्र सरकार के नियम कायदों के मुताबिक चलेंगे.

दूसरी सेवाओं के लिए, जिसमें जम्मू कश्मीर के अहम पद शामिल हैं, पर अधिकारियों की तैनाती दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में होगी. इन अधिकारियों की तैनाती उपराज्यपाल के आदेश पर होगी. इस बारे में कहा जा रहा है कि अधिकारियों की सेवा शर्तें और उसकी इच्छा के मुताबिक उपराज्यपाल फैसला लेंगे.

उपराज्यपाल प्रदेश के दूसरे अहम पदों पर तैनात अधिकारियों पर लेंगे फैसला
अधिकारियों के सामने जम्मू कश्मीर और लद्दाख दोनों में से किसी जगह को चुनने का ऑप्शन दिया जाएगा. हालांकि डेप्यूटेशन बेसिस पर अधिकारियों को दोनों जगहों पर भेजा जा सकता है. अधिकारियों की कमी की स्थिति में उपराज्यपाल डेप्यूटेशन बेसिस पर किसी भी अधिकारी को दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में से किसी एक में भेज सकते हैं.

जम्मू कश्मीर और लद्दाख के स्टेट पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स, कॉरपोरेशंस और ऑटोनॉमस बॉडीज़ के कर्मचारी एक साल तक पहले की तरह ही काम करते रहेंगे. हालांकि उसके बाद इंस्टीट्यूशंस दोनों केंद्रशासित प्रदेशों के कर्मचारियों के अदला-बदली पर फैसला ले सकते हैं. 90 दिनों के भीतर केंद्र सरकार एक एडवायजरी कमिटी बना सकती है. जो कंपनियों और कॉरपोरेशंस के अधिकार, उनकी जिम्मेदारियों और संपत्तियों पर फैसले ले सके.

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