December 25, 2024

मुख्यमंत्री का प्रतिस्पर्धी कौन है ….. ?

SHIVRAJ

-चंद्र मोहन भगत

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों जिस उत्साह से कर्मचारी अधिकारियों को निलंबित कर रहे हैं स्वयं को निडर और एकमात्र मुखिया दिखाने का प्रयोग कर रहे हैं । इससे लगता है कि कहीं ना कहीं कोई स्पर्धी उन्हें सता रहा है ।जब से पड़ोसी राज्यों के चुनाव में जनमानस की जो खबरें आ रही है और जिस तरह भाजपा ने गुजरात में पूर्व मुख्यमंत्री मंत्रियों को चुनाव स्पर्धा से हटाकर खूंटी पर टांग दिया है इस प्रयोग से शिवराज डरे हुए नजर आ रहे हैं । और इसी डर ने उन्हें अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के अंतिम वर्ष में दबंग मुख्यमंत्री बनने को मजबूर कर दिया है ।

देशभर के राज्यों में भाजपा का कहीं भी कोई भी शिवराज की तरह इतने लंबे समय तक मुख्यमंत्री नहीं रहा है । इसलिए अनुभवी तो हो ही गए साथ ही राजनीति में होने वाले बदलावों को भी भांपने में माहिर हैं। यही कारण है कि अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल की शुरुआत से मध्य तक तो कभी ऐसी दबंगता का प्रदर्शन नहीं किया था । यह दर्शाता है कि कहीं ना कहीं शिवराज को डर सता रहा है कि डबल इंजन वाला भाजपा हाईकमान गुजरात के रुपानी की तरह इन्हें भी खूंटी पर टांग सकता है । इसी डर के कारण ऐसे कामों को भी अंजाम देते जा रहे हैं जिससे भाजपा को प्रदेश के आगामी चुनाव में जीत हासिल करना नामुमकिन जैसा हो जाए। और मुमकिन तभी हो पाएगा जब डबल इंजन हाईकमान फिर से शिवराज के प्रदेश नेतृत्व को हरी झंडी दिखाएगा।

ऐसा शिवराज के तीन चुनाव के नतीजे और अनुभव के कारण संभव भी हो सकता है। बानगी देखिए शिवराज सिंह की वर्तमान सरकार ने अपनी ही सहकारिता की जमीनी पोध को काटना शुरू कर दिया है। पहले तो चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में 6 महीने का विलंब किया और अब जमीनी समितियों के चुनाव कराने की बजाय एक साल में चुनाव कराने की बाध्यता भी समाप्त करने का निर्णय लिया जा रहा है । ऐसा होने पर भाजपा के निचले स्तर के टप्पे टप्पे पर काम करने वाले कार्यकर्ता बेकार हो जाएंगे और भाजपा प्रत्याशियों का जितना मुश्किल हो जाएगा । दूसरा कारण सार्वजनिक रूप से कर्मचारी अधिकारियों को निलंबित करने से पहले उनका पक्ष न सुनने के कारण इस वर्ग में भी नाराजगी पनप गई है, शिवराज सरकार के प्रति। अतः पहले के चुनाव की तरह यह वर्ग आंतरिक मदद करने से कतराएगा ।

इन सब से अलग हटकर एक बड़ा हिस्सा उन भाजपाइयों में नाराजगी भी है जिन्हें सिंधिया समर्थकों के आने के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है । इन लोगों को यह भावना आहत कर रही है कि सिंधिया समर्थकों के आने का शिवराज ने मुख्यमंत्री बन अकेले अपना वर्चस्व बना लिया और कई महत्वकांक्षी भाजपाइयों को बलि चढ़ा दिया । ऐसे आहत भाजपाई डबल इंजन हाईकमान को अपनी परेशानी बयां भी कर चुके हैं । इसलिए शिवराज ने अपना रक्षा कवच ऐसा बना लिया है कि उन्हें विजय रूपानी बनाना मुश्किल होगा। फिर भी बनाया गया तो सहकारिता की जो जड़े काटी है वह भाजपा की सरकार आसानी से नहीं बनने देगी क्योंकि काटी हुईं जड़ों को जोड़ने का इल्म शिवराज ने अपनी जेब में रखा हुआ है ।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds