November 22, 2024

– वैदेही कोठारी

आज हम आजादी का 75 वा वर्ष मनाने जा रहे है। यह हमारे लिए अत्यंत हर्षोलास का दिन है। आजादी के बाद जिस तरह हमारे देश ने उन्नति की है। वह अकल्पनीय है। देश की उन्नति यानी हमारी उन्नति। आज घर घर गेस,और गांव गांव में शौचालय,शहर से लेकर गांव तक सभी बैंक खाताधारी हो गए है। आज खेल हो,या तकनीकी ज्ञान सभी क्षेत्र में हमारा देश आगे हो रहा है। कोरोना महामारी में हमारे देश के नागरिकों ने जिस तरह से अपनापन दिखा कर लोगों की मदद की है,वह अत्यधिक प्रशंसनीय है। कोरोना काल में जिस तेजी से हमारे देश के डॉक्टर्स ने कोरोना वैक्सीन बनाई है। हमारे देश के लिए गर्व करने की बात है। इसी तरह ओलम्पिक में हमारे देश के युवक युवतियों ने देश का नाम रोशन किया है। आज हमने जमीं से लेकर आसमान तक अपना परचम भी फेहरा रखा है। आज हम किसी से भी कम नही है। हर क्षेत्र में आगे है। कोई भी क्षेत्र हमसे अछूता नही है। महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपना परचम फेहरा रही है। चारों ओर उन्नति ही उन्नति और खुशहाली ही खुशहाली फैल रही है। यह हमारे देश का सुंदर पहलु है।
कहते है ‘‘हर तस्वीर के दो पहलु होते है’’एक पहलु वह जिस पर सुंदर तस्वीर बनी होती है। दूसरा- तस्वीर के पीछे वाला भाग जो कि अत्यंत बेरंग है। सुंदर तस्वीर के रूप में हमारे देश का एक पहलु हुआ। अब दूसरे पहलु पर भी नजर डाल लेते है। जरा सोच कर देखिये, क्या हम वाकई में आजाद हो गए है? अगर आजाद हो गए तो ये कैसी आजादी जहंा आज भी महिलाएं सुरक्षित नही है। आज भी कई जगह उनके चरित्र को लेकर उन्हैं नगंा करके मार दिया जाता है,या फिर गांव वाले, रिश्तेदार ही किसी पेड़ से फांसी पर लटका देते है। कई महिलाओं का तो आज भी घर की चार दीवारी में शोषण हो रहा है,कभी कपड़ो को लेकर तो क भी उनकी नौकरी को लेकर। इतना ही नही छोटी छोटी बच्चियों का बलात्कार करके उनकी जुबान,हाथ पैर काट कर फैक दिया जाता है। ये कैसी आजादी ? जंहा पुरूष वर्ग आजाद घूम सकता है किंतु महिला वर्ग आज भी डरी हुई है। ऐसा नही लगता कि आज सिर्फ कुछ वर्ग को ही आजादी और सफलता प्राप्त हुई है। कुछ पुरूष वर्ग आज भी ऐसे है,जो कहते है,‘‘घर तो सिर्फ महिला ही संभालेगी,चाहे नौकरी करे या न करे’’। घर से बाहर जाना हो तो भाई पिता पुरूष के साथ ही जाएगी,उनसे पूछे बिना घर से बाहर एक कदम भी नही रख सकती। ऐसा दोहरा आचरण क्यों?
इसी तरह आज हमारी युवा पीढी नीले जहर के दल दल में फसती जा रही है। आज हर बच्चे के हाथ में स्मार्ट फोन नेट दिया हुआ है। वह बच्चा किसी (अमीर)बडे घर का हो या गरीब घर का, सभी के पास एंड्राइड फोन है। नो से अट्ठारह वर्ष के बच्चों पर आज नीला जहर अत्यधिक प्रभाव डाल रहा है। इसी उम्र में उनका शारीरिक व मानसिक विकास होता है। इसी दौरान उनके मानसिक विकास में अश्लील सोशल साईडट्स अपना घर बना रही है। जिससे बच्चो का सही रुप से मानसिक विकास भी नही हो पा रहा है। साथ ही आज आनलाईन गेम बच्चे दिन रात खेल रहे है। आज बच्चों ने खेल मेदान के खेल खेलना खत्म ही कर दिया हैं,थोड़ी कसर थी तो कोरोना ने पूरी कर दी। चार दीवारी के अंदर मोबाइल में बंद बच्चा आज आक्रामक और चिड़चिड़ा होता जा रहा है। थोडी़ सी शालीनता बची भी होगी,तो सोशल साइट्स के र्शाटस विडियों मोज वीवो जैसे ऐप ने आज की युवा पीढ़ी का बंटाधार कर दिया। ज्यादा से ज्यादा लाइक कमेंट पाने के लिए किसी भी हद तक गिरते जा रहे है। इसी तरह ओ टी टी प्लेटफार्म पर वेब सीरिज पर आज पूरी तरह गाली गलोंच अश्लीलता परोसी जा रही है। यह आजादी हमें किस दिशा की ओर ले जा रही है? यह अत्यधिक चिंतन का विषय है?

Vaidehi Kothari


आजादी का सही मतलब तब ही निकलेगा जब हमारे देश में सभी समतुल्य होगें। महिला पुरूष एक समान जो की किताबों तक ही सीमित है,उसे असल जिंदगी में उतारने की आवश्यकता है।
कुछ लोग आजादी के नाम पर हमारे संस्कारो का हनन कर रहे है। अश्लील साइट्स चला रहे है। ऐसे लोगो पर सरकार को लगाम लगाने की आवश्यकता है।

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