May 4, 2024

Acquittal : मूर्ति खरीद काण्ड में इक्कीस साल बाद आया फैसला,निगमायुक्त एपीएस गहरवार,तत्कालीन महापौर और निगम अध्यक्ष समेत सभी अभियुक्त दोषमुक्त

रतलाम,22 अगस्त (इ खबरटुडे)। रतलाम की पहली निर्वाचित निगम परिषद के कार्यकाल में सतह पर आए कथित मूर्ति खरीद घोटाले में न्यायालय ने निगम आयुक्त एपीएस गहरवार,तत्कालीन महापौर जयन्तीलाल जैन पोपी,निगम अध्यक्ष सतीश पुरोहित समेत सभी 9 अभियुक्तों को दोषमुक्त कर दिया है। इस घोटाले में राज्य आर्थिक अपराध अनुसन्धान ब्यूरो द्वारा वर्ष 2002 में एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईर दर्ज होने के करीब इक्कीस साल बाद न्यायालय का यह फैसला आया है। उल्लेखनीय है कि उस वक्त निगमायुक्त रहे एपीएस गहरवार वर्तमान में भी नगर निगम के आयुक्त है।

APS Gehrwar (Commissioner)

प्रकरण में निगम आयुक्त एपीएस गहरवार के अभिभाषक सुभाष उपाध्याय ने बताया कि नगर निगम की पहली निर्वाचित निगम परिषद के कार्यकाल के दौरान वर्ष 1998-99 में नगर निगम द्वारा घोडे पर सवार महाराणा प्रताप की प्रतिमा क्रय की गई थी। इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर मनोज झालानी द्वारा मूर्ति खरीद की जांच आर्थिक अपराध अनुसन्धान ब्यूरो से कराए जाने हेतु स्थानीय शासन विभाग को पत्र लिखा गया था। स्थानीय शासन विभाग की मांग पर ईओडब्ल्यू द्वारा प्रकरण की जांच के बाद दिनांक 19 मार्च 2002 को धोखाधडी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया था।

ईओड्ब्ल्यू ने इस मामले में तत्कालीन महापौर जयन्तीलाल जैन पोपी,निगम अध्यक्ष सतीश पुरोहित,निगमायुक्त अखिलेश प्रताप सिंह गहरवार,उपयंत्री सुहास पण्डित,राधेश्याम माहेश्वरी (लिपिक),तत्कालीन आडिटर रामकिशोर माहेश्वरी,कैलाश नारायण श्रीवास्तव और मूर्ति सप्लायर प्रमोद शर्मा (उज्जैन) को आरोपी बनाया गया था।

ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच से यह स्थापित करने का प्रयास किया था कि नगर निगम ने जिस मूर्ति को 25 लाख रु. में क्रय किया था,उसकी वास्तविक कीमत मात्र आठ लाख रु. ही थी और इस तरह से अभियुक्तों ने अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए से अवैध लाभ अर्जित किया था। अभियोग पत्र में अभियुक्तों पर शासकीय दस्तावेजों में कूट रचना किए जाने के भी आरोप लगाए गए थे।

अभिभाषक सुभाष उपाध्याय ने बताया कि प्रकरण की सुनवाई जिला न्यायालय के प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसके गुप्ता द्वारा की गई। यह मामला करीब इक्कीस साल तक चला और अब जाकर इसका निराकरण हुआ है। प्रकरण में बचाव पक्ष के अभिभाषक यह स्थापित करने में सफल रहे कि मूर्ति खरीदी में कोई अनियमितता नहीं की गई। न्यायालय ने बचाव पक्ष के तर्कों से सहमत होते हुए यह माना कि कला का मूल्य आंका नहीं जा सकता। कलाकार अपनी कला का मूल्य लगाने के लिए स्वतंत्र होता है। विद्वान न्यायाधीश ने प्रकरण के सभी अभियुक्तों को दोषमुक्त कर दिया। प्रकरण में अन्य अभियुक्तों की ओर से निर्मल कटारिया,विजय स्टीफन,सुरेन्द्र शर्मा,चन्द्रसिंह पंवार,मनमोहन दवेसर इत्यादि अभिभाषकों ने भी पैरवी की थी।

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