श्रद्धालुओ को हुए भगवान महाकाल के पुष्प मुकुट दर्शन , कोरोना के चलते सिर्फ पुजारी-पुरोहितों की उपस्थिति में हुई दोपहर की भस्मार्ती
उज्जैन,12 मार्च (इ खबरटुडे /ब्रजेश परमार )। विश्व प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिणमुखी श्री महाकालेश्वर मंदिर में विराजमान भगवान श्री महादेव ने महाशिवरात्रि पर्व के दूसरे दिन 12 मार्च को पुष्प मुकुट धारण कर श्रद्धालुओं को दर्शन दिये। इसके बाद वर्ष में एक बार होने वाली दोपहर की भस्मार्ती हुई।
महाशिवरात्रि पर्व के दूसरे दिन 11 मार्च को प्रात: 4 बजे भगवान महाकाल को सेहरा चढाया गया। और उसके बाद प्रात: 6 बजे सेहरे की आरती की गई। पूर्वान्ह 11 बजे से सेहरा उतारा गया तत्पश्चात दोपहर 12 बजे से भगवान महाकाल की भस्मार्ती प्रारंभ हुई। भस्मार्ती के बाद मंदिर समिति की ओर से महाकाल प्रवचन हॉल में पारणा भोजन (ब्राम्ह्ण भोज) आयोजित किया गया।
दोपहर 12 से दो बजे तक भस्मार्ती हुई-
महाकाल मंदिर में बाबा महाकाल दूल्हा स्वरूप भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। पूरे गर्भगृह से लेकर नंदी हाल को फूलों से सजाया गया है। 11 मार्च की रात 11 बजे से शुरू हुई महापूजा के बाद शुक्रवार तड़के चार बजे से बाबा को दूल्हे के रूप में तैयार किया गया। सप्तधान्य (चावल, मूंग खड़ा, तिल, मसूर खड़ा, गेंहू, जौ, उड़द खड़ा) महाकालेश्वर भगवान को अपर्ण किया गया। पं. आशीष गुरु ने बताया कि बाबा महाकाल को सवा मन प्राकृतिक आंकड़े के फूलों, सवा लाख बेलपत्रों से सजाया गया है। बाबा महाकाल को स्वर्ण के आभूषण, स्वर्ण का चंद्रमा, स्वर्ण का त्रिपुर्ण और स्वर्ण का तिलक लगाकर दूल्हा बनाया गया है।तड़के 4 बजे से सेहरा चढ़ना शुरू हुआ। सुबह 6 बजे सेहरा आरती की गई। सुबह 11 बजे से सेहरा उतरना प्रारंभ हुआ।
सुबह नौ बजे तक बाबा का सेहरा दर्शन हुआ। इसके बाद श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश रोक दिया गया। पुजारियों ने पंचामृत से बाबा का अभिषेक किया। वर्ष में एक बार दोपहर में होने वाली भस्मारती दोपहर 12 बजे से शुरू होकर दो बजे समाप्त हुई। बाबा महाकाल को महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनती गिरि महाराज ने भस्म चढ़ाई। भस्मारती में पंडे-पुजारी ही थे। आम लोगों को भस्मारती में प्रवेश नहीं दिया गया।कोरोना के कारण इस बार भस्मार्ती में केवल पुजारी-पुरोहित ही शामिल हुए।
इस बार वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भस्मार्ती में शामिल नहीं हुए। कलेक्टर आशीष सिंह एवं पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र कुमार शुक्ल ने कंट्रोल रूम में बैठकर समस्त व्यवस्थाओं की मॉनीटरिंग की। मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक नरेन्द्र सूर्यवंशी ने बताया कि, रविवार 14 मार्च चन्द्र दर्शन की द्वितीया पर बाबा महाकाल के पंचानन दर्शन होंगे, जिसमें बाबा के पांच स्वरूपों का दर्शन एक साथ होगा। दर्शन दोपहर 03 बजे संध्या आरती पूजन उपरांत से शयन आरती के पूर्व तक होंगे।